भारतीय जनता पार्टी के लिए यह साल काफी निर्णायक होने वाला है। कांग्रेस, अकाली दल, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी के लिए भी यह कोई कम महत्वपूर्ण नहीं है। आम आदमी पार्टी गोवा और पंजाब में अपना विस्तार करने की कोशिश कर रही है। वह कोशिश कितना सफल होती है, इसका पता इसी साल लगेगा। कांग्रेस के लिए तो यह साल अपने अस्तित्व का सवाल लेकर खड़ा होगा, क्योंकि लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस के पास जीतने का मौका है। भारतीय जनता पार्टी को यह साबित करना होगा कि मोदी की लहर अभी भी देश में चल रही है।

साल की शुरुआत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में विधानसभाओं के चुनाव से होगी। भाजपा गोवा में सत्ता में है और पंजाब में भी वह अकाली दल के साथ सत्ता की साझेदारी कर रही है। कांग्रेस उत्तराखंड और मणिपुर में सरकार में है। उत्तर प्रदेश की सत्ता समाजवादी पार्टी के पास है। नरेन्द्र मोदी के लिए उत्तर प्रदेश में भाजपा का बेहतर प्रदर्शन जरूरी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर भारतीय जनता पार्टी ने वहां 80 में से 71 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। दो सीटें उसके सहयोगी अपना दल के हाथ लगी थी।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती की राजनैतिक नियति का पता भी अगले साल चल जाएगा। 2014 मे मायावती को उत्तर प्रदेश में एक भी लोकसभा की सीट नहीं मिली थी। उस समय से ही उनकी स्थिति डांवाडोल चल रही है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो उत्तर प्रदेश और अन्य जगह उसके प्रदर्शन में बेहतरी उसके भविष्य के लिए अच्छा संदेश लेकर आएगी। इस समय तो उस पार्टी मे हौसलापस्ती का माहौल है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ, तो उससे दोनों को फायदा है, लेकिन इस समय तक दोनो के बीच कोई गठबंधन नहीं हुआ है।

उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने का इंतजार कर रही है। वहां कांग्रेस और भाजपा बारी बारी से सरकार बनाती रही है। इस बार बारी भारतीय जनता पार्टी की है। ऐसा उसके नेताओं को लगता है। कांग्रेस को लगता है कि एक बार फिर वह वहां सत्ता में आ जाएगी। क्या होगा, अभी दावे के साथ कोई नहीं कह सकता है।

पंजाब एक अन्य राज्य है, जहां कांग्रेस सरकार बनाने की उम्मीद पाल रही है। वहां दस साल से अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार है। सत्ता विरोधी लहर का फायदा कांग्रेस उठाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वहां आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत के साथ वहां मैदान में है। वह पंजाब के अलावा गोवा में भी चुनाव लड़ने जा रही है और उसके बाद गुजरात में भी वह अपनी ताकत आजमाएगी।

मणिपुर में इस समय कांग्रेस की सरकार है। पिछले 15 साल से कांग्रेस के इबोबा सिंह वहां के मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी वहां कोई फैक्टर नहीं है, लेकिन इरोम शर्मिला ने अपनी पार्टी बनाई है और वह मुख्यमंत्री पद का दावा करती हुई चुनाव लड़ेगी।

साल के अंतिम महीनों में गुजरात में भी चुनाव होने हैं। 2018 में भी अनेक प्रदेशों में विधानसभाओं के चुनाव होंगे। उन चुनावों की तैयारी भी अगले साल से ही शुरू हो जाएगी।

2017 में राष्ट्रपति के पद के लिए भी चुनाव होना है। उसके बाद उपराष्ट्रपति का भी चुनाव होगा। इस पद के लिए सुमित्रा महाजन और वेंकैया नायडू का नाम अभी से हवा में तैर रहा है। उपराष्ट्रपति के पद पर भारतीय जनता पार्टी अपनी पसंद के उम्मीदवार को आसानी से बैठा सकती है, क्योंकि उस पद के लिए मतदान सिर्फ संसद सदस्य ही करते हैं, लेकिन राष्ट्रपति पद के लिए सांसदों के साथ साथ विधानसभाओं के सदस्य भी वोट डालते हैं। इसलिए यदि भाजपा ने 5 राज्यों में होने वाले चुनावों मे अपनी स्थिति बेहतर की, तो उसकी पसंद का व्यक्ति की राष्ट्रपति बनेंगे। (संवाद)