चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा चीन के एक बेल्ट एक रोड की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। इस योजना के तहत चीन अपने आपको दुनिया के 65 देशों के साथ जोड़ना चाहता है। इन 65 देशों की कुल आबादी 4 अरब 40 करोड़ है और दुनिया की आय का 40 प्रतिशत इनके पास है।

भारत के पहले चीन ने एक बीसीआईएम (बांग्लादेश, चीन, इंडिया और म्यान्मार) आर्थिक गलियारे का प्रस्ताव रखा था। उसके बाद ही भारत ने बीबीआईएन (बांग्लादेश, भूटान, इंडिया और नेपाल) नेटवर्क का प्रस्ताव रखा। चीन का प्रस्ताव आर्थिक मानदंडों पर भारत के प्रस्ताव से कहीं बहुत ज्यादा बेहतर है। चीन की एक बेल्ट एक रोड की विश्वव्यापी महत्वाकांक्षा को पूरा करने वाली 6 परियोजनाओं मे एक एक परियोजना बीसीआईएम भी है।

बीबीआईएन देशों में सालाना व्यापार करीब 29 अरब डाॅलर है, जबकि बीसीआईएम देशों के बीच होने वाला सालाना व्यापार इससे कई गुना ज्यादा होगा, क्योंकि उसमे चीन भी शामिल है। बीबीआईएन देशों के बीच अनौपचारिक व्यापार भी होते हैं, जिनके 25 अरब डाॅलर तक होने का अनुमान है। लेकिन इसमें अकेले भारत की भागीदारी 75 प्रतिशत के आसपास है।

भारत इन देशों को निर्यात बहुत ज्यादा करता है, जबकि वहां से आयात बहुत कम होते हैं। आयात और निर्यात के बीच कितना बड़ा गैप है इसका अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि भारत के कुल निर्यात का 6 प्रतिशत अपने तीन पड़ोसी देशों को जाता है, जबकि भारत के आयात में इन देशों का हिस्सा एक प्रतिशत से भी बहुत कम है।

यही कारण है कि तीनों देश भारत से इस बड़े गैप की शिकायत करते रहते हैं और मांग करते हैं कि उनके देशों का आयात भारत में बढ़ाने के लिए भारत उचित कदम उठाए और अनेक प्रकार की टैरिफ और नाॅन टैरिफ बाधाओं को दूर करे।

भारत ने हाल के दिनों मे उनकी मांग को कुछ हद तक मानते हुए आयात की कुछ बाधाओं को समाप्त करने की दिशा में भी कदम उठाए हैं।

अब तक तो ऐसा ही लग रहा है कि भारत, बांग्लादेश और नेपाल बीबीआईएन परियोजना को लेकर बहुत उत्साहित हैं। बांग्लादेश इसको लेकर उत्साहित है, क्योंकि यह उसके लिए एक बहुत बड़ा बाजार उपलब्ध करा देता है। भारत के लिए भी बांग्लादेश का 16 करोड़ आबादी का बाजार लाभकारी हो सकता है।

अनेक प्रकार की कृत्रिम बाधाएं समाप्त होने के बाद अब बांग्लादेश उम्मीद करता है कि भारत के साथ उसका व्यापार तेजी से बढ़ेगा।

भारत और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था नेपाल और भूटान की अर्थव्यवस्थाओं से बहुत बड़ी हैं। नेपाल और भूटान दोनों चारों तरफ जमीन से ही घिरे हुए हैं। इसके कारण भी उनकी अपनी सीमा है, जबकि भारत और बांग्लादेश के पास जलसीमा भी है। यही कारण है कि इस नेटवर्क से सबसे ज्यादा फायदा इन्हीं दोनों देशों को होना है। लेकिन इसके कारण नेपाल की उम्मीदें कम नहीं हुई हैं।

पर भूटान इस नेटवर्क को लेकर सशंकित है। वहां की आबादी सिर्फ 10 लाख है और उत्पादन का आधार भी बहुत सीमित है। इसलिए उसे लगता है कि कहीं इस नेटवर्क के तैयार हो जाने के बाद अन्य देशों से भारी संख्या में लोग वहां कहीं आने न लग जाएं और उसके कारण वहां का संतुलन खराब होने लगे। भूटान चाहता है कि अन्य देश उसे आश्वस्त करे कि ऐसा नहीं होगा। (संवाद)