निर्वाचन आयोग में पार्टी के सिंबाॅल और नाम पर जीत दर्ज करने के बाद अखिलेश यादव का न केवल अपनी पार्टी पर पूरा कब्जा हो गया, बल्कि उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबधन कर अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। मुस्लिम मतों को उन्होंने अब लगभग पूरी तरह अपने साथ कर लिया है। इसके कारण भारतीय जनता पार्टी ने अब अपनी रणनीति बदल ली हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने अपना मुख्यमंत्री चेहरा पेश नहीं किया है और वह नरेन्द्र मोदी के चेहरे को आगे करके ही चुनाव लड़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश में 14 बड़ी चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे।

प्रधानमंत्री अपनी चुनावी सभाओं में अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान करेंगे। वे नोटबंदी के फायदों को भी लोगों को बताएंगे। पाकिस्तान में सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की भी वे चर्चा करेंगे। पिछले बजट में लोगों को दी गई राहतों को भी वे अपने चुनावी भाषणों में जोरशोर से उठा सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव सभाओं में अखिलेश सरकार की नाकामियों की चर्चा भी कर सकते हैं और बिगड़ी कानून व्यवस्था को लोगों के सामने उठा सकते हैं।

एक रणनीति के तहत भारतीय जनता पार्टी अब बहुजन समाज पार्टी को ज्यादा महत्व देती दिखाई दे रही है। वह बसपा को ही अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में लोगों के सामने पेश कर रही है। ऐसा मुस्लिम मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है। उसे लगता है कि ऐसा करने से मुस्लिम मतदाता बसपा को भी वोट डालेंगे, जिसके कारण उनके मतों का बिखराव हो जाएगा।

सांप्रदायिक भावना फैलाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करते हुए भाजपा नेताओं ने कत्लगाहों के मुद्दों को उठाया और राम मन्दिर की बात भी की।

विवादास्पद विधायक संगीत सोम के भड़कीले प्रचारों के कारण उन पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है।

एक अन्य भाजपा विधायक सुरेश रैना को भी भड़काऊ भाषण के कारण मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा था कि यदि उनकी जीत हो गई, तो कुछ जिलों में कफ्र्यू लग जाएगा।

इतना ही काफी नहीं था। भाजपा सांसद आदित्यनाथ ने कहा कि वोट देने के पहले मतदाता दंगों और बलात्कारों को याद करें।

भाजपा इस बात को लेकर भी चिंतित है कि इस बार जाट अजित सिंह की ओर मुखातिब हो रहे हैं। अजित सिंह ने भाजपा के अनेक विक्षुब्धों को भी अपने राष्ट्रीय लोकदल का टिकट दे दिया है। इसके कारण भी भाजपा परेशान है। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के मसले को उठा रही है।

भाजपा नेता एकाएक मुलायम और शिवपाल के प्रति मुलायम हो गए हैं और वे अपना मुख्य हमला अखिलेश पर ही केन्द्रित किए हुए हैं। उन पर अपने पिता और चाचा की उपेक्षा का आरोप लगाया जा रहा है।

भाजपा इस पर बार भारी पैमाने पर विद्रोह का सामना कर रही है। उसने भारी संख्या में दूसरी पार्टियों से आए उम्मीदवारों को टिकट दे दिया है, जिसके कारण उसके अपने लोग बगावत कर चुके हैं। वे लोग भाजपा के उम्मीदवारों को हराने में लगे हुए हैं और कई तो खुद उम्मीदवार बनकर मैदान में आ डटे हैं। भारतीय जनता पार्टी को इतने बड़े पैमाने पर कभी भी बगावत का सामना नहीं करना पड़ा।

यही कारण है कि सांप्रदायिक धु्रवीकरण पर पार्टी की निर्भरता बढ़ गई है। उसने अब विनय कटियार, मनोहर जोशी और वरुण गांधी जैसे कट्टर हिन्दुवादियों को अपना स्टार प्रचारक बनाकर मैदान में उतार दिया है। गौरतलब हो कि उसने पहली सूची में इन्हें स्टारर प्रचारकों में शुमार नहीं किया था। (संवाद)