केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने बजट पेश होने के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ही नहीं, बल्कि खाद्यमंत्री रामविलास पासवान से भी मुलाकात की थी और उनके सामने प्रदेश के पक्ष को रखा था। दोनों ने मुख्यमंत्री को कुछ आश्वासन भी दिए थे।

लेकिन बजट पेश होने के बाद साफ पता चल गया कि उन मुलाकातों का कोई भी फायदा केरल को नहीं हुआ है। बजट से इसकी जो भी उम्मीदें थीें, वे सब के सब धराशाई हो गई हैं।

आॅल इंडिया इंस्टीच्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की स्थापना की मांग केरल बहुत सालों से कर रहा है। देश के अनेक राज्यों में केन्द्र सरकार एम्स की स्थापना कर चुकी है। इस बार केरल को उम्मीद थी कि इस बजट में केरल में एम्स की स्थापना के लिए कुछ कहा जाएगा।

लेकिन केरल को एम्स नहीं मिला। मुख्यमंत्री पी विजयन का कहना है कि केरल उन सब शर्तों को पूरा करता है, जिनके तहत किसी राज्य में इसकी स्थापना की जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी केरल में एम्स की स्थापना करने के लिए केन्द्र सरकार राजी नहीं हो पा रही है।

केरल के लिए यह जले पर नमक जैसा है कि भाजपा शासित दो राज्यों को इस बार बजट मे एम्स का उपहार मिला है। वे दोनों राज्य हैं- गुंजरात और झारखंड। लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल को उनकी भाजपा को हराने के लिए दंडित किया है।

एम्स के साथ साथ केरल को उम्मीद थी कि नोटबदी से प्रदेश को हुई क्षति की भरपाई के लिए भी केन्द्रीय बजट में कुछ किया जाएगा। यहां के लोगो का मानना है कि नोटबदी के कारण केरल को जितना नुकसान हुआ है, उतना अन्य किसी राज्य को नहीं हुआ।

इसका कारण है कि प्रदेश की ग्रामीण आबादी का 70 फीसदी सहकारी बैंको पर निर्भर करते हैं और नोटबंदी के दौरान इन्हें पंगु बना दिया गया था। जिसके कारण प्रदेश को काफी क्षति हुई, लेकिन उसकी भरपाई के लिए केन्द्रीय बजट में कुछ भी नहीं किया गया।

केरल सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आपूर्ति किए जाने वाले अनाजों को लेकर भी काफी आशान्वित थी। प्रदेश को देश की सबसे बेहतर सार्वजनिक वितरण प्रणाली रखने का गोरव प्राप्त है। इसके बावजूद आपूर्ति को बढ़ाने का प्रावधान केन्द्रीय बजट में नहीं किया गया।

महात्मा गांधी नरेगा में किए गए आबंटन से भी केरल को झटका लगा है। उसे लग रहा था कि इसके लिए बड़ी राशि का आबंटन किया जाएगा, लेकिन यह आबंटन सिर्फ 48 हजार करोड़ रुपये का ही है, जो देखने में भले बहुत ज्यादा लगता है, लेकिन वास्तव में जरूरतों के सामने बहुत कम है।

केरल सरकार रेल परियोजनाओ ंके लिए भी बहुत आशान्वित थी, लेकिन यहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी है।

केरल की केन्द्रीय बजट में की गई उपेक्षा से केरल के सभी लोग क्षुब्ध हैं और अपने अपने तरीके से उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन सबसे सटीक प्रतिक्रिया पूर्व मुख्यमंत्री अच्युतानंदन की है, जिनका कहना है कि केन्द्र सरकार में शामिल लोगों को भारत के नक्शे में केरल का अस्तित्व ही नहीं दिखाई दे रहा है। (संवाद)