भारतीय जनता पार्टी ने अपना काफी विस्तार किया है। वह केन्द्र में ही नहीं, बल्कि अनेक राज्यों में सत्ता में है। वह अपने बूते दश के 8 राज्यों में सत्ता में है और गठबंधन सरकार में वह पांच राज्यों में सत्ता की भागीदारी कर रही है।पिछले ढाई सालों में उसने दिल्ली और बिहार को छोड़कर अन्य राज्यों के चुनावों मं अच्छे प्रदर्शन किए हैं। सदस्यों की संख्या के लिहाज से वह देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी से भी बड़ी हो गई है। आगामी 11 मार्च को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने वाले हैं।

आने वाला साल तो मोदी सरकार के लिए और भी निर्णायक साबित होने वाला है। उस साल अनक राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। वर्तमान साल के अंत में गुजरात में विधानसभा का चुनाव होना है। इन चुनावों के साथ साथ अब मोदी अगले लोकसभा चुनाव के लिए भी तैयार होने लगे हैं।

सेना द्वारा नियंत्रण रेखा के पार किया गया सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी उसे ही ध्यान में रखकर की गई थी। यह दूसरी बात है कि सर्जिकल स्ट्राइक के कारण मोदी को खूब बाहबाही मिली, तो नोटबंदी के कारण उसे चैतरफा आलोचनाएं झेलनी पड़ी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था को तबाह करने के अलावा इससे कुछ भी हासिल नही हुआ है।

नरेन्द्र मोदी सरकार की सफलता सबसे ज्यादा विदेशी संबंधों के मोर्चे पर देखी जा सकती है। अबतक नरेन्द्र मोदी दर्जनों देशों के दौरे कर चुके हैं। विदेशी दौरों मे उन्होंने अब तक के सारे अन्य प्रधानमंत्रियों को पीछे छोड़ दिया है। इसके नतीजे भी अच्छे आए हैं। बाग्लादेश से संबंध अच्छे हुए हैं। अफगानिस्तान से भी भारत के संबंध सुधरे हैं। अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भारत का दबदबा बढ़ा है। विदेशों में भारतीय प्रवासियों के हौसले बुलंद हुए हैं। मोदी की यात्राओ ंके कारण भारत में विदेशी निवेश के प्रस्तावों में भारी वृद्धि हुई है। रूस से भी संबंध पहले से बेहतर हुए हैं, हालांकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को संदेह के साथ देख रहे हैं।

विदेशी मोर्चे पर पाकिस्तान के साथ भारत के सबंध अनिश्चय भरे हैं। उसके साथ सबंधों में उतार चढ़ाव होता रहा है। अभी संबंध खराब हैं, लेकिन अतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की स्थिति कमजोर करने में भारत सफल हुआ है।

यह सब तो पीछे की बात है। अब ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आगे क्या होता है। मार्च 11 भारतीय जनता पार्टी और नरेन्द्र मोदी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सच तो यह है कि यह भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा मोदी के लिए मायने रखता है। अभी पार्टी पर मोदी की पकड़ बहुत मजबूत है और पार्टी के अन्य नेता उनके खिलाफ दबे स्वर में भी आवाज नहीं उठाते, क्योंकि मोदी में ही उन्हें जीत दिलवाने की ताकत है। 11 मार्च को यदि भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन बेहतर नहीं होता है और पांचों राज्यों में पार्टी चुनाव हार जाती है, तो पार्टी क अंदर से ही मोदी के खिलाफ आवाज उठने लगेगी।

11 मार्च के नतीजे इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि उसके बाद राष्ट्रपति और फिर उपराष्ट्रपति के चुनाव होने हैं। इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद ही मोदी अपनी पसंद के व्यक्ति को राष्ट्रपति के पद पर बैठा सकते हैं। सबसे ज्यादा वोट उत्तर प्रदेश से है। इसलिए वहां की जीत भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत मायने रखती है।

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद गुजरात विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई देगी। वहां का चुनाव भी मोदी के लिए काफी महत्वपूर्ण होगे। 2018 मे तो देश के सभी हिस्सों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उत्तर मंे हिमाचल प्रदेश, तो दक्षिण में कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव होंगे। मध्यप्रदेश, छत्तीसगझढ़ और राजस्थान के चुनाव भी उसी साल होने हैं। कुछ हिमालयी राज्यों में भी चुनाव होने हैं। उनके नतीजे 2019 के लोकसभा चुनाव को प्रभावित करेंगे। इसलिए अभी से मोदी उसकी तैयारी कर रहे हैं। (संवाद)