मुस्लिम बहुल इलाको में सबसे ज्यादा मतदान हुए। मुस्लिम और गैर-मुस्लिम दोनों समुदायों ने जमकर मतदान किए। इन क्षेत्रों में पिछली बार समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा था। कांग्रेस के बड़े नेता यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए वह भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
रोहिलखंड में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। वैसे उनका मुख्य रुझान समाजवादी पार्टी गठबंधन की ओर है, लेकिन मायावती भी उनका वोट पाने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं। उन्होंने प्रदेश भर में 100 से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं।
मुस्लिम मतदाताओं को डर लग रहा है कि कहीं मायावती एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी का समर्थन लेकर अपनी सरकार न बना ले। वह पहले भी भाजपा के समर्थन से तीन बार मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। एक बार तो मुख्यमंत्री उस समय भी बनी थीं, जब गोधरा कांड के बाद गुजरात में भीषण दंगे हुए थे। उसके बाद हुए गुजरात चुनाव में मायावती ने नरेन्द्र मोदी के लिए वोट मांगे थे।
मायावती मुसलमानों के इस डर को दूर करने की कोशिश कर रही हैं और कह रही है कि अब वह भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार नहीं बनाएगी, भले ही उसे विपक्ष में बैठना पड़े। उधर भारतीय जनता पार्टी को पूरा भरोसा है कि मुस्लिम मतों का भारी विभाजन होगा और इसके कारण उनके अनेक उम्मीदवार चुनाव जीत जाएंगें
तीसरे दौर का मतदान तो अखिलेश के लिए बहुत ही ज्यादा निर्णायक साबित होने वाला है। यहां 69 सीटें हैं और उनमे से 55 पर पिछले चुनाव में उनकी पार्टी की जीत हुई थी। ये विधानसभा क्षेत्र मध्य उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में फैले हुए हैं। यह क्षेत्र परंपरागत रूप से मुलायम सिंह यादव का गढ़ रहा है। मैनपुरी, इटावा और कन्नौज इसके हिस्से हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी ने भारी जीत दर्ज की थी, यहां से मुलायम परिवार के सभी सदस्य चुनाव जीत गए थे। खुद मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव जीते थे, जबकि अखिलेश यादव की जीत इटावा से हुई थी। अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से चुनाव जीतकर लोकसभा में सांसद हैं। अभी मैनपुरी का प्रतिनिधित्व अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव कर रहे हैं। तेज प्रताप लालू यादव के दामाद हैं।
इस क्षेत्र में मुलायम की अखिलेश से नाराजगी का असर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत पर पड़ सकता है। जब कभी भी चुनाव होते थे, तो मुलायम सिंह एक स्टार प्रचारक हुआ करते थे, लेकिन इस बार वे प्रचार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सिर्फ अपने भाई शिवपाल और बहु अपर्णा यादव के लिए चुनाव प्रचार किया है।
शिवपाल के अनेक समर्थकों का टिकट अखिलेश ने काट दिया है। वे बागी हो गए हैं और समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। कुछ तो खुद अन्य दलों के टिकट से उम्मीदवार बन गए हैं और अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। अखिलेश ने अपने विधायकों के टिकट काटकर कांग्रेस को कुछ सीटें दे दी हैं। वहां सपा के लोग कांग्रेस उम्मीदवारो के लिए मुसीबत पैदा कर सकते हैं।
लखनऊ कैंट में भी इसी चरण में चुनाव हो रहे हैं। यहां सबसे दिलचस्प चुनाव हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार यहां से रीता जोशी बहुगुणा हैं। वे यहां की विधायक भी रही हैं। लेकिन पिछला चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीता था। उस समय वे कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष भी थीं।
इस बार उनके सामने मुलायम की बहु अपर्णा यादव मैदान में हैं। उनके साथ मुलायम परिवार की प्रतिष्ठा जुड़ गई है। उनके लिए खुद मुलायम भी प्रचार कर चुके हैं और उनकी जेठानी डिंपल यादव भी चुनावी सभा को संबोधित कर चुकी हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी उनके लिए यहां प्रचार करने आए थे। (संवाद)
तीसरे दौर का चुनाव अखिलेश के लिए निर्णायक
भाजपा मुस्लिम वोटों के विभाजन पर निर्भर
प्रदीप कपूर - 2017-02-18 16:27
लखनऊः पहले दो दौर के मतदान में समाजवादी पार्टी- कांग्रेस गठबंधन अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों से आगे चलता दिखाई दे रहा है। दूसरे दौर में भारी मतदान हुआ है। इससे स्पष्ट है कि विधानसभा के त्रिशंकु बनने के कोई आसार नहीं है।