मध्यप्रदेश के बजट में कुल विनियोग राशि 1 लाख 85 हजार 5 सौ 64 दशमलव 27 करोड़ रुपए का अनुमान है। वित्त वर्ष 2017-18 में कुल शुद्ध व्यय 1 लाख 69 हजार 9 सौ 54 करोड़ रुपए और कुल प्राप्तियां 1 लाख 69 हजार 503 करोड़ रुपए का अनुमान है। साल 2004-05 से मध्यप्रदेश में निरंतर राजस्व आधिक्य रहा है। अगले वित्तीय वर्ष में भी राजस्व आधिक्य रहने का अनुमान है। मध्यप्रदेश का राजकोषीय घाटा 25 हजार 6 सौ 89 करोड रुपए़ होना संभावित है।

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण की शुरुआत में आर्थिक परिदृश्य के बारे में बताते हुए कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था, विशेषकर विश्व व्यापार की स्थिति अब विकासशील देशों के लिए पूर्व भांति अनुकूल नहीं रह गई है। घरेलू बाजार में कुछ बड़े निवेशकर्ता कर्जदार बन गए हैं। एन.पी.ए. के कारण बैंकों की स्थिति खराब है। नई परियोजनाओं में निजी निवेश उत्साहजनक नहीं है। उन्होंने बताया कि इन विपरीत परिस्थितियों में भी मध्यप्रदेश का विकास दर लगातार दूसरे साल भी राष्ट्रीय विकास दर से आगे है।

साल 2017-18 से केन्द्र सरकार ने आयोजना एवं आयोजनेतर व्यय के मध्य विभेदीकरण समाप्त करने का निर्णय लिया है। मध्यप्रदेश ने भी 2017-18 के बजट से इस पर अमल शुरू कर दिया है। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने बताया कि कृषि क्षेत्र के लिए बजट में 33 हजार 564 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 2 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन देने के लिए 40 करोड़ रुपए और ट्रैक्टर एवं कृषि उपकरणों पर अनुदान के लिए 46 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है।

ग्रामीण विकास के लिए निर्मल भारत अभियान के तहत 3 हजार पंचायतों में ठोस, तरल एवं अपशिष्ट प्रबंधन कार्य के लिए 17 सौ 50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में आवास के लिए 3 हजार 5 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है। आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक प्रदेश में सभी झुग्गियों की जगह पक्के मकान बनाने एवं आवासीय भूमि से वंचित लोगों को आवास एवं भूखंड की गारंटी देने के लिए इसी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। साल 2017-18 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 6 लाख 33 हजार आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस साल से प्रदेश में ‘दीनदयाल रसोई योजना’ लागू की जा रही है, इसके लिए बजट में 10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 150 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए कर दी गई है। सेवारत और पेंशन पाने वाली विधवाओं को छोड़कर सभी विधवाओं को पेंशन देने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए बजट में 1 हजार 501 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

रोजगार गारंटी योजना के लिए 2 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। स्वच्छ भारत अभियान के लिए 6 सौ करोड़ रुपए और स्मार्ट सिटी के लिए 7 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। महिला एवं बाल विकास के तहत आंगनवाड़ी के नए भवन निर्माण के लिए 90 करोड़ रुपए बजट में रखा गया है। प्रदेश में कुपोषण से निपटने के लिए 6 नए पोषण पुनर्वास केन्द्र खोले जाएंगे। लाडली लक्ष्मी योजना के लिए 9 सौ 72 करोड़ रुपए बजट में है। तेजस्विनी ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का विस्तार 6 जिलों से बढ़ाकर 14 जिलों में किया जाएगा। सड़क एवं पुल निर्माण के लिए बजट में 5 हजार 966 करोड़ रुपए रखा गया है। नर्मदा नदी के तट संरक्षण के लिए फलदार एवं गैर फलदार पौधारोपण के लिए 102 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।

बजट में स्कूल शिक्षा के लिए 19 हजार 872 करोड़ रुपए और उच्च शिक्षा के लिए 22 हजार 93 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में 36 हजार अध्यापकों की भर्ती की कार्यवाही नए वित्तीय वर्ष में की जाएगी। 520 हाई स्कूल और 240 हायर सेकेंडरी स्कूल का उन्नयन किया जाएगा। बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए 11वीं में प्रवेश लेने वाली बालिकाओं को साइकिल दी जाएगी। अगले साल से ‘‘मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना’’ लागू की जा रही है। इसके लिए 500 करोड़ रुपए का एक कोष बनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित 12वीं की परीक्षा में 85 फीसदी से ज्यादा अंक लाने वाले विद्यार्थी इसके पात्र होंगे। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए अनुदान दिया जाएगा।

प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र को विस्तार देने के लिए 7 नए मेडिकल काॅलेज के लिए भवन निर्माण के लिए 590 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है। सभी जिला अस्पताल में सीटी स्कैन एवं एम.आर.आई. की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।

उद्योग एवं रोजगार को बढ़ावा देने के लिए 9 नए औद्योगिक क्षेत्रों में औद्योगिक संरचना विकसित करने का प्रावधान किया गया है। स्वरोजगार की विभिन्न योजनाओं के लिए 797 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। हवाई यात्रा में रीजनल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर एवं खजुराहो को छोड़कर अन्य हवाई अड्डों पर विक्रय होने वाले एटीएफ पर वैट की दर 4 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी किया जाएगा। इंदौर और भोपाल में इसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी किया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा मद्य सेवन पर नियंत्रण के लिए 2017-18 में मद्य संयम नीति बनाई है। राज्य में 2011 से कोई भी नई मदिरा दुकान नहीं खोली गई है। नए वित्तीय साल में नर्मदा नदी के 5 किलोमीटर की सीमा में आने वाली 66 मदिरा दुकानों को बंद कर दिया जाएगा। नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे पर स्थापित 1427 मदिरा दुकानों को हाइवे से 500 मीटर दूर किया जाएगा। प्रदेश में कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए पीओएस मशीन को कर मुक्त किया गया है। बजट में डिजिटाइजेशन को बढ़ावो देने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। (संवाद)