उस धमकी के बाद उस प्रक्रिया को झटका लगने वाला है जिसकी शुरुआत दोनों पक्षों के बीच में हिंसा के चक्र को समाप्त करने के लिए की गई थी। एलडीएफ के सत्ता में आने के बाद से ही हिंसा का यह चक्र जारी है।

गौरतलब हो कि मध्यप्रदेश में दिए जा रहे अपने भाषण में वहां के स्थानीय संघ नेता कुन्दन चन्द्रावत ने एक नफरत भरा भाषण दिया था। जहर से बुझे उस भाषण में उन्होंने घोषणा की थी कि केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन का सिर जो भी काटकर उनको भंेट करेगा, उसे वे एक करोड़ रुपये का इनाम देंगे।

संघ के उस नेता के उस बयान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के फासीवादी चेहरे को एक बार फिर बेनकाब कर दिया है। उसकी असहिष्णुता के बारे में लोग पहले से ही चर्चा कर रहे हैं और उसके हिंसा स्वभाव की आलोचना की जाती रही है।

चन्द्रावत के उस बयान की देश की तमाम पार्टियों ने आलोचना और निंदा की है। उसके बाद संघ ने चन्द्रावत के उस बयान से दूरी भी बना ली है और उनके पद से भी उन्हें हटा दिया गया है। लेकिन इसके कारण संघ को जो कुछ भी नुकसान होना था, वह पहले ही हो गया है।

सीपीएम के महासचिव सीताराम यचुरी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि चन्द्रावत के उस बयान से संघ का आतंकवादी संगठन होने का असली रंग सामने आ गया है। उन्हें उस बयान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए हैं।

सबसे खतरनाक बात तो यह है कि चन्द्रावत का वह बयान एक भाजपा सांसद और विधायक की अनुपस्थिति में आया था। येचुरी ने मांग की है कि चन्द्रावत को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए और उनपर यूएपीए के तहत मुकदमा चलना चाहिए।

केरल भाजपा की प्रतिक्रिया आशा के अनुरूप ही रही है। उसके नेता बात बात पर बयानबाजी करने के लिए विख्यात हैं, लेकिन इस मामले में उन्होंने चुप्पी साध रखी है और चन्द्रावत की निंदा के शब्द नहीं कह रहे हैं।

इसके कारण सबसे ज्यादा चिंतित अल्पसंख्यक समुदाय के मुस्लिम और ईसाई हो रहे हैं। गौरतलब हो कि प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेता ईसाइयों से संबंध बेहतर बनाने की कोशिश करते रहे हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें इस बात का अहसास है कि यदि उन्हें केरल में तीसरी ताकत बननी है तो ईसाइयों का समर्थन उन्हें हासिल करना ही होगा।

लेकिन चन्द्रावत प्रकरण ने भारतीय जनता पार्टी के इन प्रयासों को गहरा झटका दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को दी गई इस धमकी के बाद प्रदेश के ईसाई खासकर ईसाई जनाधार वाली केरल कांग्रेस (मणि) अब संघ और भाजपा से नजदीकी बढ़ाने के पहले सौ बार सोचेगी।

यह प्रकरण सीपीएम के नेताओं के लिए भी आत्ममंथन की सीख देता है। इसका कारण यह है कि जब से प्रदेश में उसकी सरकार बनी है, उस समय से ही संघ के साथ उनका हिंसक टकराव हो रहा है। सीपीएम को अपनी पार्टी के अंदर गर्म मिजाज के नेताओं पर लगाम लगानी ही होगी। (संवाद)