दूसरे विधानसभा क्षेत्र बांधवगढ़ में भाजपा के ज्ञान सिंह चुनाव जीते थे। चुनाव जीतने के बाद वे प्रदेश सरकार में मंत्री बनाए गए थे। लेकिन उन्हें लोकसभा के एक उपचुनाव में जबर्दस्ती उम्मीदवार बना दिया गया। नहीं चाहते हुए भी वे शिवराज सिंह के कहने पर उम्मीदवार बन गए और चुनाव जीत भी गए। बांधवगढ़ विधानसभा की सीट उनके इस्तीफे से ही खाली हुई थी।
पर लोकसभा के सदस्य बनने के बावजूद ज्ञान सिंह प्रदेश में मंत्री पद पर बने रहे। उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। यानी वे देश की लोकसभा के सदस्य और मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री एक साथ बने रहे। इस्तीफा देने के पहले वे अपनी एक शर्त पार्टी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से मनवा लेना चाहते थे। वह शर्त थी कि उनके बेटे को बांधवगढ़ का प्रत्याशी बनाया जाय, तभी वे प्रदेश का अपना मंत्री पद छोड़ेंगे। उनके बेटे को पार्टी ने वहां का प्रत्याशी बना दिया है और उन्होंने मंत्री का पद भी छोड़ दिया।
बांधवगढ़ में अपनी जीत को लेकर भारतीय जनता पार्टी निश्चिंत है और वह अटेर में भी जीत का परचम लहराने की हर संभव कोशिश कर रही है। इसके लिए पार्टी और मुख्यमंत्री चैहान ने अपनी सारी ताकत लगा दी है। बांधवगढ़ भिंड जिले में पड़ता है, जहां ज्योतिरादित्या राव सिंधियां की तूती बोलती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने वहां अपने प्रत्याशी के चुनाव का प्रचार करने के लिए सिंधिया परिवार पर ही हमला बोल दिया।
शिवराज सिंह चैहान ने सिंधिया परिवार पर आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजों से मिलकर आजादी की लड़ाई को कुचलने का आरोप लगाया। इस सिलसिले में वे 1857 के आजादी की पहली लड़ाई तक पहुंच गए। उन्होने कहा कि सिंधिया परिवार ने लक्ष्मीबाई के साथ विश्वासघात किया था।
ज्योतिरादित्य राव सिंधिया की पकड़ को कमजोर करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने वह कहा था, लेकिन लोगों को उनका वह बयान नागवार गुजर रहा है। भिंड और ग्वालियर जिले में सिंधिया परिवार की बहुत प्रतिष्ठा है और लोग उस परिवार के खिलाफ कुछ भी सुनना पसंद नहीं करते।
शिवराज सिंह चैहान का वह बयान इसलिए भी उचित नहीं माना जा रहा है, क्योंकि सिंधिया परिवार के कुछ लोग उनकी पार्टी में भी हैं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी की उपाध्यक्ष हुआ करती थी। पार्टी के विकास में उनका बड़ा हाथ रहा है। वह अब इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन उनकी एक बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी की नेता हैं और राजस्थान की मुख्यमंत्री भी हैं। यही नहीं यशोधरा राजे सिंधिया भी भारतीय जनता पार्टी में हैं और उन्हें शिवराज सिंह चैहान ने खुद अपनी सरकार में मंत्री बना रखा है।
शिवराज सिंह चैहान के हमले पर ज्योतिरादित्य ने तो किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की और वे इस पर चुप्पी साध गए, लेकिन यशोधरा राजे सिंधिया ने मुख्यमंत्री के उस बयान पर अपनी नाखुशी जता दी। इस तरह से मुख्यमंत्री का बयान उन्हीं पर चोट करने लगा।
अटेर में अपनी जीत के प्रति आश्वस्त कांग्रेस पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान बांधवगढ़ जीतने के लिए अपना सारा जोर लगा दिया है। (संवाद)
उपचुनाव जीतने के लिए कांग्रेस लगा रही है पूरा जोर
शिवराज की टिप्पणी ने मतदाताओं को नाराज किया
एल एस हरदेनिया - 2017-04-08 11:02
भोपालः मतदान होने के साथ अब मध्यप्रदेश के दोनों विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों के नतीजे पर सबकी नजर है। ये दो विधानसभा क्षेत्र हैं- अटेर और बांधवगढ़। पिछले विधानसभा चुनाव में अटेर से कांग्रेस के सत्यदेव कटारे विजयी हुए थे। उन्हें विधानसभा में कांग्रेस विधायको ने अपना नेता बनाया था और उस हैसियत से वे विधानसभा में विपक्ष के नेता भी थे। उनकी मौत से यह सीट खाली हुई थी। कांग्रेस ने उनके बेटे हेमंत कटारे को अपना उम्मीदवार बनाया है।