बांकुरा जिले की एक जनसभा में प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी की निंदा की और सभी धर्मो के लोगों का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर दुहराया।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने रामनवमी उत्सव में तलवार, त्रिशूल और लाठी लेकर जाने वाले लोगों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई की कोई घोषणा नहीं की। गौरतलब हो कि उस तरह के हथियार लेकर चलने वाले लोग जय श्री राम का नारा भी लगा रहे थे।
सीपीएम के प्रदेश सचिव डाॅक्टर सूर्यकांत मिश्र ने आश्चर्य जाहिर करते हुए कहा कि उस तरह के हथियारबंद जुलूस निकालने की इजाजत ही क्यों दी गई। उन्होंने आयोजकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
रामनवमी उत्सव के अगले दिन ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष सहित अन्य आयोजकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करेगी। गौरतलब है कि दिलीप घोष खुद जुलूस में तलवार लेकर चल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि पुलिस सभी जिलों में निकाले गए जूलुस में गैरकानूनी तरीके से हथियार का प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ अपने आप संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करेगी।
ममता बनर्जी इस समय भारतीय जनता पार्टी और केन्द्र सरकार की ओर से पड़ रहे दबाव से उबर नहीं पा रही हैं। बांग्लादेश से भारत सरकार बेहतर संबंध बनाने की कोशिश कर रही है और तीस्ता पानी के बंटवारे की समस्या को सुलझाना चाहती है, पर ममता बनर्जी रास्ते का रोड़ा बन रही है।
उम्मीद की जा रही है कि बांग्लादेश से भारत के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ममता बनर्जी के विरोध को नजरअंदाज करते हुए भी समझौता कर सकते हैं। बिना राज्य सरकार को विश्वास में लिए भी केन्द्र सरकार अंतरराष्ट्रीय मामलों का समझौता कर सकती है। ऐसा करने मे संविधान बाधा नहीं बनती है। यह दूसरी बात है कि संघीय संबंधों को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार राज्य सरकार की सहमति लेने की कोशिश करती है और चाहती है कि राज्य सरकार की सहमति भी प्राप्त कर ली जाय।
ज्यादा से ज्यादा ममता बनर्जी केन्द्र सरकार से कुछ राहत पा सकती है। उत्तरी पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था, जो तीस्ता जल पर कुछ हद तक निर्भर है, केन्द्र से पैकेज पा सकती है। इसके अलावा केन्द्र से लिए गए कर्ज में डूबे राज्य को भी कुछ राहत दिलाने की पेशकश मोदी तीस्ता जल समझौते के एवज में कर सकते हैं।
इन सबके अलावा ममता बनर्जी नारद और शारदा घोटाले में सीबीआई से कुछ राहत की उम्मीद भी कर सकती है।
इन विषयों पर भारतीय जनता पार्टी और केन्द्र सरकार से ममता बनर्जी की बातचीत चल रही है। यही कारण है कि राम नवमी उत्सव पर ममता बनर्जी कड़ी प्रतिक्रिया देने नहीं जा रही है। पुलिस कार्रवाई की बात कर सिर्फ ममता बनर्जी अपने वामपंथी आलोचकांे का मुह बंद करने की कोशिश कर रही थी।
वामपंथी और तृणमूल नेता एक दूसरे पर भाजपा से सांठगांठ का आरोप लगाते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से दोनो ही भाजपा का विरोध करते रहते हैं।
ममता बनर्जी कहती हैं कि ऐसे लोग हैं, जो दिन में सीपीएम के सदस्य रहते हैं और रात को भाजपा के सदस्य हो जाते हैं और वे दोनों जनविरोधी हैं। दूसरी तरफ सीपीएम के प्रदेश सचिव कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी राम की पूजा करती है, तो तृणमूल कांग्रेस हनुमान की पूजा करती है।
रामनवमी उत्सव को जिस तरह की सफलता मिली है, उससे वामपंथी और तृणमूल नेता दोनों भ्रमित हो गए हैं। इन उत्सवों को संघ ने आयोजित कराया था, लेकिन संघ के नेता कहते हैं कि अन्य संगठनांे ने इनको आयोजित किया था। (संवाद)
तृणमूल भाजपा में जोर आजमाइश
रामनवमी के दिन लगा अखाड़ा
आशीष बिश्वास - 2017-04-11 09:33
हालांकि यह विवादित था, फिर भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रायोजित रामनवमी उत्सव काफी लोकप्रिय रहा और तृणमूल कांग्रेस इसका प्रभावी राजनैतिक जवाब देने में विफल रही।