यदि केन्द्र सरकार पश्चिम बंगाल के लोगों के हितों की रक्षा करते हुए बांग्लादेश के साथ समझौता करती है, तो भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में अपना पैर मजबूती से फैला सकती हैं। लेकिन यदि वह किसी भी कीमत पर बांग्लादेश के साथ तीस्ता पर समझौता कर लेती है, तो इससे दोनों देशों के बीच संबंध तो बेहतर हो जाएंगे और इसे एक नये अध्याय का आरंभ भी कहा जा सकता है, लेकिन इसके कारण भारतीय जनता पार्टी को पश्चिम बंगाल में अपना पांव जमाना कठिन हो जाएगा।

यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सामने विकट समस्या है और उनके लिए किसी नतीजे पर पहुंचना आसान नहीं है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी अपनी बातें स्पष्ट कर अब फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर छोड़ दिया है।

अप्रैल के दूसरे सप्ताह में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत की यात्रा पर थीं। उस दौरान ममता बनर्जी भी दिल्ली पहुंची और भारत और बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों के साथ हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि बांग्लादेश चाहे तो उत्तर पश्चिम बंगाल की अन्य नदियों का पानी ले ले, पर तीस्ता के पानी पर अपना दावा छोड़ दे।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि दोनों प्रधानमंत्रियो से हुई अपनी बातचीत के पहले ममता बनर्जी ने इस तरह के प्रस्ताव की कोई भनक भी किसी को नहीं लगने दी थी। मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने दिल्ली और कोलकाता में पत्रकारों को संबोधित किया। लेकिन बांग्लादेश ने उनके प्रस्ताव पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की गई।

बांग्लादेश लौटने के बाद शेख हसीना ने एक अलग किस्म का सुझाव दे डाला। उन्होंने कहा कि भारत को चाहिए कि वह तीस्ता नदी को चार या पांच नदियों से जोड़ दे। उसके बाद तीस्ता में काफी पानी रहेगा और फिर बांग्लादेश को पानी देने के बावजूद पश्चिम बंगाल के किसानों के पास पर्याप्त पानी मौजूद रहेगा।

दोनों के रुख से साफ है कि ममता बनर्जी बांग्लादेश को तीस्ता नदी से पानी देने के लिए तैयार नहीं हैं और दूसरी तरफ शेख हसीना को तीस्ता नदी का ही पानी चाहिए।

दोनों बहुत मजबूत व्यक्तित्व वाली नेता हैं और दोनों ने अतीत में बहुत सारे संकटों का सामना किया है। इसलिए यदि उन दोनों में से कोई एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करेंगी, तो बात बनेगी ही नहीं। लेकिन इसके कारण दोनों देशों के करोड़ों लोगों के हित मारे जाएंगे।

भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश ईकाई तीस्ता जल बंटवारे के मुद्दे पर बंटी हुई है। इसमें जो कडे़ रुख वाले लोग हैं, वे ममता बनर्जी के विचारों से सहमति व्यक्त करते हैं और बांग्लादेश की मांगों के सामने नहीं झुकने के लिए ममता की प्रशंसा करते हैं। लेकिन उन्हें डर लगता है कि यदि उन्होंने खुलकर ममता का समर्थन किया, तो इससे एक नेता के रूप में उनका कद बड़ा हो जाएगा।

लेकिन पश्चिम बंगाल भाजपा में ऐसे लोग भी कम नहीं, जो केन्द्र की अपनी सरकार के पक्ष में हैं। वे चाहते हैं कि तीस्ता जल बंटवारे पर बांग्लादेश के साथ जल्द समझौता हो और इस पुरानी समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाय। (संवाद)