पूर्व में मत पत्र प्रक्रिया जटिल एवं देर से परिणाम देने वाली रही जब कि आज की मतदान प्रकिया में जारी इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशाीन से कुछ पल में ही परिणाम आने लगते । इसी प्रक्रिया से जब पूर्व में दिल्ली विधान सभा के चुनाव सम्पन्न हुए जिसमें नये उभरे दल आम पार्टी को अपार जनादेश मिला तो देश के दो बड़े राजनीतिक दल भाजपा एवं कांग्रेस अल्पमत में ही नहीं आये बल्कि अस्तित्वविहिन हो गये तब इस पर किसी ने सवाल नहीं उठाये । आज जब इस प्रक्रिया से भाजपा को जहां जनादेश मिलने लगा है, दूसरे दल पिछड़ रहे है , वहां इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े होने लगे है । जब कि अभी हाल ही में इसी प्रक्रिया से सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव परिणाम एक जैसे नहीं रहे । दो राज्यों में भाजपा को अपार सफलता मिली तो तीन राज्यों में भाजपा पीछे भी रही । फिर इस तरह के उभरते हालात को संदेह के दायरे में क्यों देखा जा रहा है?
दिल्ली में इसी प्रक्रिया से सर्वाधिक जनादेश पाने वाले आम पार्टी के मुखिया एवं दिल्ली सरकार के मुख्य मंत्री आज अपनी पराजय के बाद इसी प्रक्रिया पर एकतरफा होने का संदेह जताते हुए दावे के साथ ईवीएम हैक किये जाने के तरीके बता रहे है। अब प्रश्न यह उभरता है कि यदि यह प्रक्रिया प्रदूषित है, पक्षपातपूर्ण है तो दिल्ली विधान सभा के चुनाव परिणाम को किस परिप्रेक्ष्य में देखा जाय । विचारणीय मुद््दा है।
आज मतदान की इस आधुनिक तीव्रगति से परिणाम देने वाली ईवीएम पर अनेक सवाल उठने लगे हैं । भाजपा को छोड आज देश के सभी छोटे - बडे राजनीतिक दल इसके विरोध में लामबद्ध होकर पूर्व में जारी मतदान कराने की मत पत्र प्रणाली प्रक्रिया को फिर से लागू किये जाने की चुनाव आयोग से वकालत करने लगे है। जब कि कई वर्षो से केन्द्र में कांग्रेस के शासन काल से ही जारी ईवीएम से मतदान कराने की यह आधुनिक प्रणाली देश में लागू है। जिसके परिणाम संतोषजनक एवं बेहतर रहे है ।
इस तरह के परिवेश पर उठते सवाल एवं मांग के तहत मतदान की दोनों प्रक्रियाओं पर मंथन जरूरी है । मतपत्र द्वारा मतदान करने की प्रक्रिया ईवीएम प्रक्रिया से कम जटिल एवं खर्चीली साबित हुई है । पूर्व प्रक्रिया से इस आधुनिक प्रक्रिया में समय एवं श्रम दोनों की बचत है । पूर्व प्रक्रिया से यह आधुनिक प्रक्रिया सबसे ज्यादा विश्वसनीय साबित हुई है। चुनाव के दौरान समाज के राजनीति से जुड़े असमााजिक तत्वों द्वारा मतपत्र फाड़े जाने, मत्रपत्रों से भरी मतपेटियों को कब्जा किये जाने एवं मतगणना के दौरान मतपत्रों को गायब करने की प्रक्रिया से प्रायः सभी भलीभॅति है। इस तरह की प्रक्रिया आज के आधुनिक प्रणाली में संभव नहीं है । अवैध सूमहों द्वारा मतदान केन्दों पर कब्जा किये जाने की प्रक्रिया दोनों प्रणाली में संभव है पर मतगणना के दौरान मतपत्र प्रणाली से ईवीएम प्रणाली ज्यादा बेहतर एवं निष्पक्ष साबित हुई है । आज का मानव जब उंची उड़ान की बात सोचता है तो मतदान कराने की आधुनिक ईवीएम प्रणाली के वजाय फिर से मतपत्रों द्वारा मतदान कराये जाने की मांग करना यथोचित प्रसंग नहीं हो सकता । इस दिशा में ईवीएम से भी बेहतर आधुनिक प्रणाली की तलाश जारी रहनी चाहिए।
ईवीएम पर सवाल करने के वजाय राजनीतिक दलों को अपनी कार्यप्रणाली पर मंथन करना चाहिए। सत्ता में रहते हुए एवं सत्ता से बाहर होने पर जनता की नब्ज को पहचानने के बजाय चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाना सकरात्मक लोकतांत्रिक पहल कभी नहीं हो सकती भले भीड़ तंत्र के परिप्रेक्ष्य में लोकतंत्र की पराजय हो जाय। इस तरह के परिप्रेक्ष्य में राजनीतिक दलों को जनादेश का आदर करते हुए देशहित में मंथन कर अपने में उभरते असमाजिक प्रवृृतियों का त्याग करना होगा। आज तक सत्ता के मोह में उपजा अवैध संचालन प्रक्रिया एवं ओछी सोच लोकतंत्र के लिये घातक ही साबित हुआ है।
आज देश के सभी राजनीतिक दल सत्ता पाने के लिये हर तरह के असंवैधानिक कार्य करने को तत्पर है। जहां चुनाव के दौरान समाज के असमाजिक तत्वों को टिकट देने, चुनाव उपरान्त सत्ता बनाने की जोड़ तोड़ में अवैध तरीेके अपनाने के लिये हर कदम उठाने को तैयार है तो इस मानसिकता में चुनाव प्रणाली मत्रपत्र से हो, ईवीएम से हो या किसी और आधुनिक प्रणाली से , क्या फर्क पड़ता ? इस पर मंथन करना जरूरी है। ईवीएम को छोड़कर पेपर बैलट के युग में जाना उचित नहीं। जरूरी यह है कि ईवीएम द्वारा किए गए मतदान को विश्वसनीय बनाने की हर संभव कोशिश की जाय और छेड़छाड़ की सभी संभावनाओं को समाप्त कर दिए जाए। वीवीपीएटी का इस्तेमाल और मशीनी नतीजे पर सवाल खड़ा होने की स्थिति में वीवीपएटी की गणना का विकल्प भी बने, तभी मतदान और मतगणना की गड़बड़ियों मंे पैदा संदेह को समाप्त किया जा सकता है। (संवाद)
आधुनिक मतदान कराने की प्रणाली ईवीएम पर उठते सवाल
वीवीपीएटी की गणना का विकल्प भी मौजूद हो
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2017-04-17 09:54
लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत सत्ता परिवर्तन के इस दौर में जो दल कभी पीछे चल रहे थे, आज सबसे आगे है , जो आगे रहे थे , सबसे पीछे खड़े हैं । जनता जर्नादन किसे तख्त ताज देगी, किसे पदच्यूत कर देगी, कोई नहीं जानता। लोकतांत्रिक प्रक्रिया का इससे ज्यादा जीता जागता और क्या प्रमाण हो सकता है? चुनाव में जीत तो सबकुछ सही, हार तो हर प्रक्रिया संदेह के दायरे में , कुछ इसी तरह के परिवेश भारतीय लोकतंत्र में उभरने लगे है। जनाक्रोश को समझने के बजाय लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर संदेहात्मक सवाल उभरने लगे है। आज की मतदान कराने की आधुनिक प्रणाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशाीन पर कुछ इसी तरह के सवाल उभरने लगे है । जब कि यह प्रणाली मत पत्र प्रक्रिया से अधिक विश्वसनीय एवं तीव्रगति से परिणाम देने वाली साबित हुई ।