रोक लगाने के एक दिन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने एक कमिटी का गठन किया है, जो वैज्ञानिक खनन के बारे में बताएगा। उस कमिटी में वरिष्ठ नौकरशाहों और विशेषज्ञों को रखा गया है। यह कमिटी छह महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।
पैनल वैज्ञानिक खनन के उपायों को बताएगा और उसके लिए मानदंड तय करेगा। पैनल रेत के उत्पादन के तकनीक भी बताएगा और उसके मार्केटिंग पर भी जानकारी मुहैया कराएगा।
खनन सचिव मनोहर दुबे ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सरकार ने वैज्ञानिक रेत खनन के लिए कोई कमिटी बनाई हो, ताकि नदी के खादर को सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि कमिटी बताएगा कि बिना नदी और उसके पर्यावरण को हानि पहुंचाए कैसे रेत का खनन किया जा सके।
खनन पर लगाए गए इस प्रतिबंध से सरकारी खजाने को सालाना 200 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। लेकिन इससे प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा की रक्षा हो सकेगी और पर्यावरण का संतुलन बना रहेगा।
खनन मंत्री शुक्ला ने कहा कि यह मुख्यमंत्री का ऐतिहासिक फैसला है और नर्मदा की रक्षा के लिए वे एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ विशेषज्ञों की पहचान की है और उन्हें इस पर विस्तार अध्ययन कर उचित अनुशंसा करने को कहा है।
खनन मंत्री ने कहा कि अन्य नदियों के किनारे होने वाले खनन में मशीनों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसके कारण उनकी भी रक्षा हो सकेगी।
नर्मदा के किनारे रेत पर प्रतिबंध लगाने के एक दिन के अंदर ही भोपाल में रेत की कीमतों में उछाल आ गया है। इसके कारण जो रियल इस्टेट सदमे में है और जो लोग अपना घर बना रहे हैं, उनका निर्माण बजट भी बिगड़ता दिखाई दे रहा है।
सूत्रों के अनुसार रेल आपूर्तिकत्र्ताओं ने आपूर्ति को रोक दिया है। उन्हें लगता है कि आने वाले दिनों में कीमतें और बढ़ेगी। इसलिए वे जमाखोरी कर मुनाफा कमाने की आस मे लग गए है। वैसे भी मानसून शुरू होने के साथ रेत का खनन रुक जाता है और मानसून शुरू होने में अभी तीन सप्ताह बाकी है।
आपूर्तिकर्ताओ का कहना है कि मंगलवार को रेल 39 रुपये प्रति घन फीट बिक रहा था, जिसमें बुधवार को 15 फीसदी का इजाफा हो गया। उनका मानना है कि आने वाले दिनों में यह बढ़कर 38 रुपये प्रति घन फीट हो सकता हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो कह रहे हैं कि कीमतें कहां जाकर रुकेंगी, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि नर्मदा पर खनन को पूरी तरह से रोक दिया गया है।
इस बीच सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ती भी दिखाई दे रही हैं। सरकार ने अन्य नदियों पर मशीन द्वारा खनन पर रोक लगा दी है, लेकिन केन नदी पर मशीनों द्वारा खनन जारी है। गांव वाले उसका विरोध कर रहे हैं और उन्होंने जल सत्याग्रह की धमकी दे रखी है। (संवाद)
मध्यप्रदेश में नर्मदा के किनारे खनन पर पूर्ण पाबंदी
रेत की कीमतों में भारी उछाल
एल एस हरदेनिया - 2017-05-29 13:02
भोपालः इस अहसास के बाद कि नर्मदा के किनारे हो रहे रेत खनन से वहां के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है, सरकार ने नदी के किनारे उसके खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। उस खनन के खतरे का पता पहले से ही था, लेकिन 148 दिनों की नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री चैहान ने उस खतरे का खुद जायजा लिया और फिर उस पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया।