उस यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने न केवल वहां पूजा अर्चना की, बल्कि यह वायदा किया कि उनकी सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए आगे बढ़ेगी और इसके लिए विवाद से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत कर आम रया बनाएगी। योगी ने महंत नृत्य गोपाल दास के जन्मोत्सव में भी शिरकत की। गौरतलब हो कि राम गोपाल दास राम जन्मभूमि आंदोलन से नजदीकी से जुड़े हुए हैं।

अयोध्या की यात्रा करने वाले 2002 के बाद वे प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री हैं। गौरतलब हो कि 2002 में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी और राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। लेकिन उसी साल हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पराजित हो गई थी। उसके बाद 2017 में भाजपा सत्ता में आई है।

अयोध्या की यात्रा कर मुख्यमंत्री ने संकेत दे दिया है कि उनकी पार्टी रामजन्म मंदिर के निर्माण के मुद्दे को 2019 के लोकसभा चुनाव तक गर्म रखने की कोशिश करेगी।

योगी की यात्रा के दौरान भारी संख्या में वहां लोग इकट्ठे कर रहे थे और वे राममंदिर के निर्माण के पक्ष में नारे लगा रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिर के निर्माण के लिए सभी पक्षों से बातचीत करके आमराय बनाई जाएगी।

योगी की यात्रा के दिन हजारों लोग वहां नारेबाजी करते रहे। उन्हें देखकर 1990 और 1992 की याद ताजा हो रही थी। 1990 में भारी संख्या में लोग अयोध्या पहुंचकर मंदिर निर्माण करना चाहते थे। वहां वे लोग पहुंचे भी थे, लेकिन तब मुलायम सरकार ने उनपर गोली चलाकर उनके इरादे को नाकाम कर दिया था।

फिर मंदिर आंदोलनकारी ने कार सेवा के नाम पर 1992 के 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। उस समय वहां कल्याण सिंह की सरकार थी और केन्द्र में नरसिंहराव की कांग्रेस सरकार थी।

योगी की अयोध्या यात्रा के एक दिन पहले ही भाजपा के बड़े नेताओं ने लखनऊ की अदालत में हाजिरी लगाई थी। उस दिन मुख्यमंत्री योगी ने आडवाणी सहित अन्या बड़े नेताओं से मुलाकात की थी।

डसके पहले उन्होंने आडवाणी व अन्य नेताओं की आगवाणी करने के लिए वरिष्ठ मंत्रियों को हवाई अड़डे पर भी भेजा था।

गौरतलब हो कि आडवाणी व कुछ अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ मुकदमा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चलाया जा रहा है। हाई कोर्ट ने कुछ तकनीकी आधारों पर उनके खिलाफ साजिश का मुकदमा चलाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि दो साल के अंदर ही मुकदमे की सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए और फैसला भी आ जाना चाहिए। सुनवाई के कारण राममंदिर का मामला तो गर्म रहेगा ही। सबसे ज्यादा गर्मी फैसला सुनाने के बाद आएगी, चाहे वह फैसला किसी भी तरह का हो। संयोग से उसी समय 2019 लोकसभा का चुनाव प्रचार भी पूरे उफान पर होगा। (संवाद)