डोको ला सिक्किम, भूटान और तिब्बत के तिराहे पर पड़ता है। यह चुम्बी घाटी में है। यदि नक्शे पर देखा जाय, तो चुम्बी घाटी एक चाकू की तरह दिखाई देती है, जो भूटान और भारत के सिक्किम राज्य के बीचोबीच है। चीन इस पर अपना ऐतिहासिक दावा पेश कर रहा है। यदि हम सुदूर इतिहास में नहीं भी जायं, तो 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भी चीन ने कभी इस इलाके में सड़क बनाने का सोचा तक नहीं।
यदि नक्शे पर एक और नजर डाली जाय, तो यह साफ दिखाई देता है कि चुंबी घाटी में सड़क निर्माण कर चीन इस चाकू की नोक भारत के सिलीगुड़ी गलियारे की ओर कर रहा है। यह सड़क इस गलियारे से एकदम सटा हुआ होगा। सिलीगुड़ी गलियारा भारत की मुख्यभूमि को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है। यह गलियारा बहुत ही पतला है। एक स्थान पर तो यह मात्र 17 किलोमीटर चैड़ा है। इसलिए इसे चिकेन नेक भी कहते हैं।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का कुल क्षेत्रफल 2 लाख 55 हजार वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। उसी में अरुणाचल प्रदेश भी है, जिसे चीन पिछले कई दशकों से अपना हिस्सा घोषित करता रहा है। उसे वह दक्षिण तिब्बत कहता है। लेकिन यदि अरुणाचल प्रदेश पर कब्जे के लिए चीन ने चिकेन नेक को काटा तो पूरा पूर्वोत्तर इलाका ही भारत के हाथ से निकल जाएगा और वह चीन के नियंत्रण मे चला जाएगा। समस्या की जड़ यही है और इसके कारण भारत कभी भी चीन को वहां सड़़क का निर्माण करने नहीं देगा।
तीन साल पहले चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि भारत ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास की उपेक्षा की है और इसके कारण वहां के लोग गरीब होकर विद्रोही हो गए हैं। इसके कारण वहां जनजाति समूह आंदोलित रहते हैं। साफ है चीन वहां की उग्रवादी गतिविधियो के लिए वहां के लोगों की उपेक्षा को जिम्मेदार बता रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि उस क्षेत्र के विकास के लिए एक मंत्रालय का ही गठन कर दिया गया है और अरबों अरब रुपये वहां के विकास पर खर्च किए जा रहे हैं।
चीन बार बार पूर्वोत्तर राज्यों के लोगांे के मंगोलियन रेस होने का वास्ता देकर उन्हें भारत से अलग दिखाने की कोशिश करता रहा है। दिलचस्प बात यह है कि शिन्हुआ की उस रिपोर्ट ने पूर्वोत्तर राज्यों की चर्चा करते हुए उनमें असम और त्रिपुरा को नहीं रखा। उस रिपोर्ट में मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और मेघालय को ही पूर्वोत्तर राज्य कहा गया हैं। अरुणाचल प्रदेश को तो वह भारत का हिस्सा ही नहीं मानता।
ठसे महज संयोग नहीं कहा जा सकता कि चुंबी घाटी का यह प्रसंग उस समय आया है जब दार्जिलिंग में गोरखालैंड के लिए आंदोलन चल रहा है। इसके अलावा सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने भी गोरखालैंड आंदोलन का समर्थन कर दिया है। पश्चिम बंगाल की सरकार पहले से ही कह रही है कि गोरखालैंड आंदोलनकारियों के पास सिक्किम में बना हथियार है।
जाहिर है, भारत को चीन की जबर्दस्त चुनौती का सामना करना है। (संवाद)
चीन से पूरे पूर्वोत्तर को खतरा
भारत के सामने सिक्किम सेक्टर में बड़ी चुनौती
बरुण दास गुप्ता - 2017-07-07 10:40
पिछले चार-पांच सप्ताह में चीन की तरफ से भारत की सुरक्षा पर बढ़ रहे खतरे साफ दिखाई पड़ रहे हैं। 1962 के बाद से चीनी सैनिकों की गतिविधियां आज सिक्कम सेक्टर में चरम पर हैं। समस्या एक जून को शुरू हुई, जब जन मुक्ति सेना ने डोको ला में सड़क का निर्माण शुरू कर दिया। डोको ला सिक्किम के पास ही है और इसे भारत अपना इलाका मानता है, जबकि चीन इसे अपना इलाका मानता है।