लालू यादव का घोटालों से पुराना संबंध रहा है। वे गर्व से कहते हैं कि पिछले 20 साल से वे सीबीआई का सामना कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। लेकिन सीबीआई का सामना करते हुए उन्होंने क्या खोया है, इसका जिक्र वे नहीं करते। सच तो यह है कि सीबीआई द्वारा चारा घोटाले में उनके खिलाफ 5 मुकदमे दर्ज हुए थे। उनमें से एक का फैसला आ चुका है और उसमें उन्हें पांच साल की सजा भी मिल चुकी है। पिछले 20 साल में वे कई बार जेल की हवा खा चुके हैं। चारा घोटाले के 4 अन्य मुकदमों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हो गई है और कोर्ट ने कहा कि 9 महीने के अंदर उनकी सुनवाई पूरी हो। अदालती मामलों की समझ रखने वालों का कहना है कि 2018 में जब उन मुकदमों के फैसले आएंगे, तो वे सभी के सभी लालू के खिलाफ ही होंगे। इस तरह वे एक बार फिर जेल जाएंगे और तब उन्हें जमानत मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।

चारा घोटाले के चार मुकदमों का फैसला तो अगले साल आएगा, लेकिन लारा घोटाले में लालू इसी साल जेल जा सकते हैं। उनके साथ उनके बेटे भी जेल जा सकते हैं। राबड़ी देवी पर महिला होने के कारण अदालत शायद कुछ रहम कर दे, लेकिन लालू परिवार के अन्य जिन सदस्यों को इस लारा मुकदमें में अभियुक्त बनाया गया है, उन्हें जेल जाना पड़ सकता है, भले ही बाद में ऊपरी अदालत उन्हें जमानत पर रिहा कर दे।

इस लारा घोटाले को लेकर लालू के खिलाफ अभियान चलाने वाले वही लोग थे, जो चारा घोटाले में उनके खिलाफ सक्रिय थे। वही शिवानंद तिवारी, वही ललन सिंह और वही सुशील कुमार मोदी। 1995-96 में इनके कारण ही चारा घोटाले की सीबीआई जांच हुई थी और लालू यादव की वर्तमान हालत बनी, जिसके कारण वे लोकसभा और विधानसभा का चुनाव भी नही लड़ सकते।

लारा प्रोपर्टी की तीन एकड़ जमीन पर बन रहे माॅल की फालतू मिट्टी बिहार सरकार का वन विभाग खरीद रहा था और उसके लिए अच्छा खासा भुगतान कर रहा था। मजे की बात तो यह है कि लारा प्रोपर्टी की जमीन के मालिकों में से एक तेज प्रताप हैं और वे बिहार सरकार के वन मंत्री भी हैं। जाहिर है, वे अपनी जमीन की फालतू मिट्टी को अपने पद का इस्तेमाल करते हुए सरकारी खजानों से गलत तरीके से कर रहे थे। लारा घोटाले के विवाद की शाुरुआत इसी मिट्टी घोटाले से हुई। उसके बाद तो भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने एक के बाद एक दस्तावेज पेश कर लालू परिवार के घोटाले की पोल खोलने लगे। सत्तारूढ़ राजद और जद(यू) के नेताओं और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनौती देनी शुरू कर दी कि यदि दस्तावेज हैं, तो केन्द्र सरकार उन घोटालों की जांच करे और मुकदमा दर्ज करे।

अब केन्द्र सरकार की एजेंसी सीबीआई ने उसकी जांच भी शुरू कर दी है और मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। सीबीआई के अनुसार यह घोटाला उस समय शुरू हुआ, जब लालू यादव केन्द्र में रेलमंत्री थे। भारतीय रेल के दो होटलों को एक निजी कंपनी को लीज पर दिया गया और बदले में उस कंपनी ने अपनी तीन एकड़ प्राइम कमर्शियल जमीन डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को औने पौने दाम में बेच दी। डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लालू के खास सांसद प्रेमगुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की थी। बाद में कुछ सालों के बाद सरला गुप्ता ने वह कंपनी लालू परिवार को दे दी। उसी डिलाइट मार्केटिंग कंपनी का नाम बदलकर पहले लारा प्रोजेक्ट और बाद में लारा प्रोपर्टी कर दिया गया। इस तरह रेल के दो होटलों को लीज पर लेने वाली कंपनी की जमीन सरला गुप्ता के मार्फत लालू परिवार के पास आ गई और उसी जमीन पर बिहार का सबसे बड़ा माॅल बनाया जा रहा था, जिस पर काम फिलहाल ठप पड़ा हुआ है।

यह मुकदमा तो फुलप्रूफ लगता है और इससे लालू परिवार का बच पाना लगभग असंभव सा दिखता है। हां, जब सरला गुप्ता के शेयर लालू परिवार को स्थानांतरित हुए थे, उस समय लालू रेल मंत्री नहीं थे। इस तकनीकी बिन्दु का लाभ उठाकर लालू इससे बचने की कोशिश करेंगे, लेकिन इसमें फैसला आते आते तो काफी समय लग जाएगा। फिलहाल खतरा यह है कि लालू के दोनों मंत्री बेटों की गिरफ्तारी हो सकती है।

अभी से नीतीश कुमार पर दबाव पड़ने लगा है कि वे लालू के दोनों बेटों को मंत्री पद से हटा दें। लेकिन यदि वे ऐसा करते हैं, तो लालू द्वारा समर्थन वापस लिए जाने पर उनकी सरकार या तो गिर जाएगी या उन्हें भाजपा के समर्थन के सहारे अपनी सरकार चलाना पड़ेगा। वे जांच और मुकदमे के इस स्तर पर तो शायद लारा प्रोपर्टी के मालिक मंत्रियों को नहीं हटाएं, लेकिन यदि उनके खिलाफ अभियोग पत्र दाखिल होता है और उनकी गिरफ्तारी हो जाती है, तो फिर उनके पास विकल्प ही क्या रह जाएगा? तब उन्होंने दोनों मंत्रियों को हटाया, तो फिर अपनी सरकार कैसे बचाएंगे? क्या बेटों के मंत्री पद से हटाए जाने के बाद भी लालू नीतीश सरकार का समर्थन जारी रखेंगे? और सवाल यह भी उठता है कि क्या राजद के विधायक क्या अगले चुनाव में जाना चाहेंगे या लालू का दामन छोड़कर नीतीश के साथ जुड़ जाएंगे? इस तरह के अनेक ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा, जब लारा घोटाले का साया लालू परिवार को अपनी चपेट में पूरी तरह ले लेगा। (संवाद)