संघ की जनरल बाॅडी मीटिंग हो रही थी। उस बैठक में एक महिला कलाकार के अपहरण और बलात्कार का मामला उठा था। उसके बाद जो कुछ कहा गया, उसने संघ के मर्दवादी सोच की पोल खोल दी।
अपहरण और बलात्कार की वह घटना लोगों को पिछले कई महीने से झकझोर रही है, पर जब वह मसला बैठक में सामने आया, तो उस पर चर्चा तक नहीं हुई। इससे भी ज्यादा आपत्तिजनक बात यह हुई कि अपहरण और बलात्कार के मामले में जिन लोगों के खिलाफ जांच चल रही है, उन्हें ही वहां बचाने की कोशिश हो रही थी। यही कारण है कि संघ के उस रवैये की चारों तरफ निंदा हो रही है।
संघ के अधिकारियों और सभा में भाग ले रहे लोगों को कम से कम उस महिला कलाकार के अपहरण और बलात्कार की निंदा तो करनी ही चाहिए थी। निंदा का एक प्रस्ताव पास होने की उम्मीद सब लोग कर रहे थे। उस महिला कलाकार के खिलाफ कुछ पुरुष कलाकार अश्लील बातें कर रहे थे। उन सबकी भी निंदा की जानी चाहिए थी।
लेकिन सघ के अधिकारियों ने वैसा करना उचित नहीं समझा। उनका रवैया बहुत ही आपत्तिजनक था और उससे भी ज्यादा आपत्तिजनक महिला कलाकार के बारे में अश्लील बातें करना था। जिस पुरुष कलाकार के खिलाफ जांच चल रही है, उसको बचाने की कोशिश करना तो हद को पार कर दिया जाना था।
संघ पीड़िता के साथ भी है और अभियुक्त के साथ भी है। इसी तरह की आवाज मंच से उठ रही थी। उस बैठक में हिस्सा लेने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि टीवी डिबेट जैसा माहौल वहां बना हुआ था।
इस क्रम में रील लाइफ के हीरो ने यह दिखाया कि वे रियल लाइफ में जीरो हैं। फिल्मों में जो हीरो टाइगर को पालतू बना देते हैं, उन्होंने यह साबित किया कि वे वास्तव में पेपर टाइगर हैं।
उनमें कुछ तो चुप रहे और कुछ ने मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों पर अपना भड़काऊ चरित्र दिखाया। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह सबकुछ एक ऐसे राज्य में हुआ, जो देश का सबसे साक्षर राज्य होने पर गर्व करता है।
महिला कलाकारों ने भी अपना एक संगठन बना लिया है। उस संगठन का काम महिला कलाकारों के हितों की रक्षा करना और उनके खिलाफ हो रही ज्यादतियों का विरोध करना है। उस संगठन की कुछ सदस्याएं भी संघ की बैठक में शिरकत कर रही थीं, लेकिन आश्चर्य की बात है कि उन लोगों ने भी अपने मुह पर ताला लगा रखा था।
इस चुप्पी का कारण यह बताया जा रहा है कि मलयालम फिल्म उद्योग में पुरुषों की ही चलती है। वे ही निर्माता हैं। वे ही निर्देशक हैं और वे ही अभिनेता भी हैं। काम पाने के लिए उनकी कृपा पर निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत कोई नहीं करता।
हां, उन महिला कलाकारों के संगठन ने यह जरूर निर्णय किया है कि वे उन लोगों के खिलाफ मुदकमा करेगा, जिन लोगों ने पीड़ित महिला कलाकार के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। (संवाद)
मर्दवादी सोच का भौंडा प्रदर्शन
केरल के फिल्म उद्योग के इतिहास का भौंडा अध्याय
पी श्रीकुमारन - 2017-07-10 11:30
तिरुअनंतपुरमः यह मर्दवादी सोच का भौड़ा प्रदर्शन था। मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स संघ के अंदर इस तरह का सोच किस हद तक घुसा हुआ है, उसे केरल की जनता ने देखा और उसे बहुत बड़ा झटका लगा।