लेकिन भाजपा के वही मंत्री और सांसद कह रहे थे कि मायावती अपना इस्तीफा वापस ले लें। यानी जब इस्तीफे की धमकी दी थी, तो उसे उपसभापति का अपमान बताया था और माफी मांगने को कहा था, लेकिन जब इस्तीफा दे दिया, तो भाजपा इस्तीफे की वापसी की मांग करने लगी। एक काल्पनिक सवाल यह है कि यदि मायावती इस्तीफा वापस लेकर फिर से सदन में आ जाती है, तो क्या भाजपा सांसद और मंत्री उनसे फिर कहते कि वे उपसभापति से माफी मांगे, क्योंकि उन्होंने इस्तीफे की धमकी देकर उनका अपमान किया था?

यह तो रही भाजपा की बात। सवाल उठता है कि क्या मायावती ने इस्तीफा इसलिए दे दिया कि उन्हें कांग्रेसी सांसद उपसभापति पी जे कुरियन बोलने नहीं दे रहे थे या इसके पीछे कारण कोई और है? दिलचस्प बात यह है कि सदन में तो वह कुरियन पर लाल पीली हो रही थीं और इस्तीफे की धमकी भी उन्हीं को देकर गई थीं, लेकिन सदन के बाहर जाकर वे भाजपा सरकार पर बरसने लगी। यह सच है कि भाजपा सांसद उनके बोलने के दौरान व्यवधान खड़ा कर रहे थे। वे हल्ला कर रहे थे, लेकिन सच यह भी है कि मायावती को बोलने से उन्होंने नहीं, बल्कि उपसभापति पी जे कुरियन रोक रहे थे, और वे कांग्रेस के सदस्य हैं। पर संसद से बाहर निकलने के बाद मायावती पी जे कुरियन को भूल गईं और अपना गुस्सा भाजपा और उसकी सरकार पर ही निकालना शुरू कर दिया।

बोलने नहीं देने के लिए गुस्सा होना स्वाभाविक था, लेकिन उपसभापति बता रहे थे कि जब दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर चर्चा होगी, तब वह विस्तार से बात कर सकती हैं, लेकिन फिलहाल संक्षेप में तीन मिनट में अपनी बात समाप्त कर बैठ जाएं। लेकिन मायावती ने उपसभापति की बात को नजरअंदाज करना जारी रखा और उपसभापति ने भी उनकी आवाज को अपनी आवाज में दबाकर उन्हें बोलने से रोकना जारी रखा।

अब सवाल उठता है कि उन्होंने इस्तीफा दिया है या इस्तीफे का नाटक किया है और वैसा क्यों किया है? सबसे पहली बात तो यह है कि उनका कार्यकाल मात्र 8 महीने बचा हुआ था और उनकी पार्टी के पास उत्तर प्रदेश में इतने विधायक नहीं जीतकर आए हैं, जो उन्हें दुबारा राज्यसभा भेज सकें। यदि कांग्रेस के 7 विधायक भी उत्तर प्रदेश में उनका समर्थन कर दें, तब भी मायावती राज्यसभा में नहीं पहुंच सकती हैं। उन्हें अखिलेश की सहायता लेनी पड़ सकती है, पर मुलायम सिंह मायावती को सांसद बनाने के अखिलेश के प्रयासों में पलीता लगा सकते हैं, क्योंकि उनके समर्थक विधायक ऐन वक्त पर मायावती के विरोधी को वोट कर सकते हैं या मतदान का बहिष्कार ही कर सकते हैं।

बहरहाल, मायावती की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि अब वे अपनी ताकत से राज्यसभा की सांसद भी नहीं बन सकती हैं। पिछले दो चुनावों में उत्तर प्रदेश में उनके दलित समर्थन आमतौर पर उनके साथ ही रहे। यही कारण है कि उन्हें लोकसभा चुनाव में करीब 20 फीसदी और विधानसभा चुनाव में 22 फीसदी मत मिले। पर ओबीसी की कमजोर जातियों के लोग उनको लगभग पूरी तरह छोड़ चुके हें और अब खतरा है कि दलित, खासकर गैरजाटव दलित उनको पूरी तरह छोड़ दें। जाटवों में भी उनके खिलाफ आवाज उठने लगी है, क्योंकि सर्वसमाज की बात करते करते वे ब्राह्मणों के नजदीक चली गई हैं और जाटवों का राजनैतिक प्रशिक्षण ब्राह्मणों के खिलाफ ही हुआ है। इसके कारण जबतक मायावती जीत रही हैं, तब तक तो वे उनके साथ बने रहेंगे, लेकिन हारती हुई मायावती को जाटव भी छोड़ने लगेंगे और भीम आर्मी जैसे संगठनों की ओर उनका आकर्षण बढ़ता जाएगा, जो उग्र दलितवाद के पोषक हैं।

यानी मायावती के सामने अब राजनैतिक बियावान में पहुंचने की स्थिति बन रही हैं। वे दलित समस्याओं को लेकर अब जनआंदोलन शायद ही चला सकें, क्योंकि अब उनमें दलितों से जमीनी स्तर पर जुड़ने की क्षमता नहीं रही। वे अपने आपको सबसे दूर रखना ही पसंद करती हैं, हालांकि वे खुद एक आंदोलन की पैदाइश हैं और कभी एक जुझारू आंदोलनकारी थीं। लेकिन सत्ता और दौलत ने उनका वर्ग चरित्र पूरी तरह बदल दिया है। यही कारण है कि दलितों की मसीहा बनी रहने के लिए उन्होंने इस्तीफे का यह नाटक किया, जिससे उनको राजनैतिक रूप से कोई नुकसान नहीं होना है। 8 महीने के बाद उनकी सदस्यता वैसे भी खत्म हो रही थी।

सवाल उठता है कि क्या मायावती खोई हुई राजनैतिक जमीन इस इस्तीफे से हासिल कर सकेंगे? इसकी संभावना नहीं के बराबर है, क्योंकि वे ओबीसी का समर्थन खो चुकी हैं, जिनके मत उनके दलित आधार में जुड़ने पर ही उनके उम्मीदवारों की जीत होती थी। मुस्लिम तो उसी को वोट देते हैं, जिनमें जीत की संभावना हो। इसलिए जो थोड़े बहुत माया के साथ हैं, वह मुस्लिम भी उनको अपनी पीठ दिखा देंगे। ब्राहमणों का जो कुछ समर्थन माया को मिला था, उसका कारण मुलायम सिंह थे, जिनकी पार्टी को हराना ब्राह्मणों की प्राथमिकता होती थी। अब उत्तर प्रदेश की राजनीति बदल चुकी है और माया को ब्राहमणों का मत मिलने से रहा। जाहिर है, यह इस्तीफा उनके लिए सही नुस्खा नहीं है। (संवाद)