चीन का मीडिया कह रहा था कि डोभाल की चीन यात्रा डाॅकलाम मसले पर चीनी नीति निर्माताओं को प्रभावित करने में विफल रहेगी। उसका मानना था कि भारतीय सुरक्षा सलाहकार की बैठक चीनी सुरक्षा सलाहकार और बिक्स देशों के अन्य सुरक्षा सलाहकारों तक सीमित रह जाएगी व चीन के राष्ट्रपति शिफिंग से उनकी मुलाकात नहीं हो पाएगी। पर चीन का मीडिया गलत साबित हुआ। डोभाल चीन के राष्ट्रपति से मिले।
चीनी मीडिया की भड़काऊ बातों से भारत विचलित नहीं हुआ और उसके तवज्जो तक नहीं दिया। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह चीन को डाॅकलम में रोड नहीं बनाने देगा, भले ही कुछ भी हो जाए। भारत ने अपनी चिंता बता दी थी कि उस रोड से न केवल भूटान की बल्कि खुद अपनी सुरक्षा भी खतरे मंे पड़ जाएगी।
चीन के सरकारी मीडिया की युद्धोन्मादी बयानबाजी और राजनैतिक नेतृत्व का उससे उलटा रुख स्पष्ट करता है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में एक ऐसा तत्व है, जो भारत के साथ युद्ध चाहता है और हमे वह सबक सिखाना चाहता है।
चीनी मीडिया ने यह सवाल उठाया कि क्या भारत के पास ऐसा कोई अधिकार है कि वह भूटान की ओर से बोले। लेकिन उसे बता दिया गया कि भारत और भूटान के बीच 1949 में एक समझौता हुआ था जिसके तहत भारत को यह अधिकार है कि वह भूटान पर आए खतरे से उसकी रक्षा करे, हालांकि भूटान के आंतरिक मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप करने का भारत को कोई अधिकार नहीं है। उस समझौते के अनुसार भूटान इस बात को मानता है कि विदेशी संबंधों को लेकर वह भारत की सलाह माने।
2007 में उस समझौते में संशोधन हुआ और संशोधित समझौते के अनुसार भूटान भारत से सलाह या सुरक्षा मांगने का निर्णय करने के लिए आजाद है। यह उस पर निर्भर करता है कि विदेशी मामलों में वह भारत की सलाह मांगे या न मांगे। लेकिन उसी समझौते मंे यह भी लिख हुआ है कि अंतरराष्ट्रीय मामले में दोनों देश एक दूसरे का सहयोग करेंगे, खासकर तब जब दोनों देशों राष्ट्रीय हित प्रभावित हो रहे हों।
डाॅकलम में चीन द्वारा सड़क के निर्माण से दोनों देशों के राष्ट्रीय हित प्रभावित हो रहे हैं। उससे दोनों देशों की सुरक्षा को खतरा है। यही कारण है कि चीन द्वारा उस इलाके में सड़क बनाने के एकतरफा निर्णय लेने का भारत विरोध कर सकता है और उसे रोक भी सकता है।
पिछले महीने चीन के हमबर्ग में जी-20 की एक बैठक हुई थी। उस बैठक में चीन और रूस दोनों ने भारत को आश्वस्त किया था कि चीन के साथ युद्ध की स्थिति मे वे भारत का साथ देंगे। चीन को भी इस बात की जानकारी होगी। यही कारण है कि चीन भारत पर हमला नहीं कर सकता। (संवाद)
डाॅकलम तनाव का हल संभव
चीन भारत से युद्ध करना नहीं चाहेगा
बरुण दास गुप्ता - 2017-08-01 12:32
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के चीन दौरे और उनकी वहां के नेताओ से बातचीत के बाद दो बातें साफ हो गई हैं। पहली बात तो यह है कि भले ही चीन का मीडिया भारत के खिलाफ आग उगल रहा हो और युद्ध की धमकी दे रहा हो, लेकिन चीन का राजनैतिक नेतृत्व युद्ध की ओर बढ़ने में दिलचस्पी नहीं रखता। दूसरी बात यह सामने आई है कि भारत और चीन में से कोई भी पक्ष ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता है, जिसके कारण डाॅकलम में स्थिति और भी भयानक हो।