गुजरात विधानसभा इस बार तीन राज्यसभा सदस्यों को चुन रही है। उनमे से दो सीटें तो भारतीय जनता पार्टी को मिलनी ही मिलनी है। तीसरी सीट कायदे से कांग्रेस के पास जानी चाहिए थी, क्योंकि उसके पास विधानसभा मे 57 सीटें हैं और तीन अन्य विधायकों का समर्थन भी उसे हासिल है। जीत के लिए 47 विधायको के वोट की जरूरत पड़ेगी, जिससे 13 वोट भारतीय जनता पार्टी को ज्यादा थे।
यही कारण है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए मतदान के पहले अहमद पटेल की जीत को लेकर किसी को कोई संशय नहीं था। पर राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए मतदान में कांग्रेस के 11 विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार को वोट दे डाला। यह कांग्रेस और उसके नेता अहमद पटेल के लिए एक बड़े झटके से कम नहीं था। उसी समय से अहमद पटेल पर जीत के खतरे मंडराने लगे।
उसके बाद कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा। शंकर सिंह बाघेला बागी हो गए। वे गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के विधायक दल के नेता था। लेकिन आगामी विधानसभा में उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप मंे प्रोजेक्ट नहीं किया जा रहा था। इससे नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उन्होंने इस्तीफे के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की घोषणा नहीं की है।
लेकिन उनके समर्थकों की संख्या 11 बताई जा रही है। उनमें से 6 ने तो कांग्रेस से इस्तीफा भी दे दिया है। उसके बाद विधानसभा में कांग्रेस के 51 सदस्य रह गए हैं। यदि वे भी अहमद पटेल को वोट डाल दें, तब भी पटेल जीत जाएंगे, लेकिन डर है कि उनमे से भी अनेक भारतीय जनता पार्टी के तीसरे उम्मीदवार को वोट दे देंगे और उसके कारण अहमद पटेल की हार हो जाएगी।
इस डर से कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को गुजरात से बाहर और भाजपा की पहुंच से दूर कर्नाटक के एक रिजाॅर्ट में छिपा रखा है। निर्वाचन आयोग से भी शिकायत की गई है। इन 44 विधायकों के अलावा जनता दल(यू) के एक और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के दो अन्य विधायक भी फिलहाल अहमद पटेल के पक्ष में बताए जा रहे हैं। लेकिन वे किस तरह से मतदान करेंगे इसके बारे में दावे से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
जिन 44 विधायकों को भाजपा की नजरो से दूर कर्नाटक में रखा गया है, उनके बारे में भी कांग्रेस निश्चिंत नहीं रह सकती। यदि उनमें से भी कुछ ने अहमद पटेल को वोट देने का मन बना लिया है, तो फिर कांग्रेस कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि जिसने पार्टी छोड़ने का ही मन बना लिया हो, उसे दल बदल विरोधी कानून से भी डर नहीं लगता और पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर वे मतदान कर सकते हैं।
यदि अहमद पटेल की हार हो जाती है, तो कांग्रेस के लिए एक बड़े सदमे से कम नहीं होगा। इसका एक कारण यह है कि श्री पटेल कांग्रेस के अंगुली पर गिने जाने वाले कुछ नेताओं में से एक हैं। वे लंबे समय से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव हैं।
गुजरात कांग्रेस मंे यह संकट ऐसे समय में पैदा हुआ है, जब प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। लगभग दो दशक से वहां कांग्रेस सत्ता से बाहर है। इस बार उसे लग रहा था कि वह चुनाव जीत सकती है। पटेल आंदोलन और उसके खिलाफ ओबीसी आंदोलन के साथ साथ दलितों पर होने वाले अत्याचार ने कांग्रेस को उम्मीदें जगा दी थीं, लेकिन कांग्रेस के विधायकों का विद्रोह और शंकर सिंह बघेला का पार्टी से इस्तीफा कांग्रेस के सपनों पर पानी डालता दिखाई दे रहा है। (संवाद)
गुजरात में कांग्रेस की फजीहत
अहमत पटेल को पड़ रहे हैं जीत के लाले
कल्याणी शंकर - 2017-08-02 12:18
गुजरात में राज्यसभा चुनाव के लिए 8 अगस्त को मतदान होने हैं। उस चुनाव मे कांग्रेस के नेता अहमद पटेल भी उम्मीदवार हैं। वे पांचवीं बार राज्यसभा में प्रवेश करना चाह रहे हैं, लेकिन उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है और वे हार का सामना करते दिखाई पड़ रहे हैं।