अब यह तय हो गया है कि योगी और उनके अविधायक मंत्री विधानसभा चुनाव जीतकर इस संवैधानिक बाध्यता को पूरा नहीं करना चाहते। उनकी नजर विधान परिषद पर लगी हुई है। विधानसभा का सदस्य बनने के लिए उन्हें किसी मौजूदा विधायक से इस्तीफा दिलाना होगा और इस्तीफे से खाली हुई सीटों पर चुनाव लड़कर जीतना होगा।

पर भारतीय जनता पार्टी अभी जनता का सामना करने के मूड में नहीं है। यदि उसने विधानसभा का रास्ता चुना, तो चार मौजूदा विधायकों को इस्तीफा करवाना होगा और वहां से आदित्यनाथ योगी और तीन अन्य मंत्रियो की जीत सुनिश्चित करवानी होगी।

गौरतलब हो कि पिछले लोकसभा चुनाव मंे भारी जीत हासिल करने वाली भाजपा बाद मे हुए अधिकांश उपचुनावों में हार गई थी। उस समय तो विपक्ष एकजुट भी नहीं था, तब भाजपा हार रही थी, लेकिन इस समय तो भाजपा को विपक्ष के एकजुट विरोध का सामना करना पड़ सकता है। और वह हार का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती। यदि चार में से एक मंत्री भी विधानसभा का चुनाव हार गए, तो पार्टी को भारी फजीहत का सामना करना पड़ेगा।

विधान परिषद में योगी और अन्य तीन मंत्रियो को लाने के लिए ही भारतीय जनता पार्टी सपा और बसपा के विधान परिषद सदस्यों का इस्तीफा करवा रही है। यह कोई संयोग नहीं था कि तीन विधान परिषद सदस्यों ने उस दिन ही अपने पदों से इस्तीफा दिया, जब अमित शाह लखनऊ में थे। उसी दिन उन्होंने भारतीय जनता पार्टी मंे शामिल होने की बात भी कर दी।

उस दिन समाजवादी पार्टी के दो विधानपार्षद यशवंत सिंह और भुक्कल नवाब ने इस्तीफा दिया, जबकि बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह ने भी वही काम किया। उनका अपने पदों से इस्तीफा और भाजपा में शामिल होने की घोषणा योजनाबद्ध तरीके से हुई।

भुक्कल नवाब ने अपनी संपत्ति बचाने के लिए अपनी विधायकी गंवाई। उन्होंने गैरकानूनी निर्माण कर रखा था और करोड़ो रुपये के दंड देने का खतरा उनके ऊपर मंडरा रहा था। उन्हें सरकार की ओर से कानूनी नोटिस भी मिल चुकी थी। उनके पास अपनी संपत्ति बचाने और दंड से बचने का एक ही रास्ता रह गया था कि वे विधायक पद छोड़ दें, ताकि कोई मंत्री उस पद पर काबिज हो जाय।

ठाकुर जयवीर सिंह बहुजन समाज पार्टी के विधानसभा पार्षद थे। वे बसपा के अंदर घुटन महसूस कर रहे थे। इसके अलावा उन्हें अपने भाई को अलीगढ़ जिले का जिला परिषद अध्यक्ष पद भी बचाना था। उनके खिलाफ भाजपा के सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव ला रखा था। वहां भाजपा से दोस्ती करने के लिए ठाकुर जयवीर ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

यशवंत सिंह ने राजा भैया के कहने पर अपना पद छोड़ा। राजा भैया उनके मेंटर रहे हैं। पहले राजा भैया समाजवादी पार्टी का समर्थन कर रहे थे। वे सपा की मुलायम सरकार में ही नहीं, बल्कि अखिलेश सरकार में भी मंत्री हुआ करते थे। लेकिन अब वे भारतीय जनता पार्टी के साथ आ गए हैं। राजा भैया भी ठाकुर हैं और मुख्यमंत्री योगी भी ठाकुर हैं। इसलिए मुख्यमंत्री की इच्छा का सम्मान करते हुए राजा भैया ने यशवंत सिंह से इस्तीफा करवा दिया।

भाजपा प्रदेश के कुछ विपक्षी नेताओं को भी मिलाने की कोशिश कर रही है। उसकी नजर मुलायम परिवार पर भी है। शिवपाल सिंह यादव भी योगी से मिलकर उनकी प्रशंसा कर चुके हैं। अखिलेश के छोटे भाई प्रतीक की पत्नी भी योगी से मिल चुकी हैं। (संवाद)