मैं 2012 में जापान गया हुआ था। वहां मैं हिरोसिमा में था। वहां परमाणु युद्ध को रोकने के लिए डाॅक्टरों की भूमिका पर एक सम्मेलन हो रहा था। उस सम्मेलन में मैं भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा था। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि हथियारों के विनाशक रूप के बारे में जानते हुए कैसे मनुष्य उसका उसका निर्माण कर सकता है और लोगों के खिलाफ उसका इस्तेमाल कर सकता है। मुझे परमाणु हमलों के बाद हिरोशिमा में हुए विनाश की तस्वीरें दिखाई जा रही थीं। उन्हें देखना और विनाश के बारे मे पढ़ना एक भयानक सपने से कम नहीं था।
हिरोसिमा में जो छोटे परमाणु बम गिरा था, उससे 1 लाख 40 हजार और नागासाकी में 70 हजार लोगो की मौत हुई थी। उस परमाणु बम को छोटा ही कह सकते हैं, क्योंकि आज तो उनसे कई गुना बड़ा बम बन कर तैयार रखा गया है। मरने वाले लोगों की आधी संख्या तो बम गिरने के दिन ही मारे गए थे। उन दोनों शहरों में 300 डाॅक्टर थे, जिनमें से 272 परमाणु हमले में ही मारे जा चुके थे। 1780 नर्सो में 1684 भी बम गिरने के बाद मौत की आगोश में समा गई थी। दोनों शहरों में कुल 45 अस्पताल थे, जिनमें से 42 परमाणु बम हमले में नष्ट हो गए थे।
जाहिर है, परमाणु बम हमलो के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था भी ध्वस्त हो चुकी थी। विकिरण का स्तर भी बहुत ऊंचा था। उस सम्मेलन के दौरान उन लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई जो परमाणु हमले में बच गए थे। घटना का विवरण देते हुए कुछ तो बीच में ही भावुकता से फूट पड़े। इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है कि जिन लोगांे ने परमाणु बम फटने की गरमी से अपने दुलारों को पिघलते देखा होगा, तो उनपर क्या गुजरी होगी।
हिरोसिमा और नागासाकी की घटनाओं के बाद यह उम्मीद की जाती थी कि इन घातक परमाणु हथियारों पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टे, परमाणु बमों की संख्या बढ़ती गई। एक अनुमान के अनुसार इस समय दुनिया मे 17 हजार परमाणु बम हैं। उनमें इतनी विनाशक ताकत है कि वे इस पृथ्वी को कई बार नष्ट कर दें।
‘बंबई पर बमबारी’ नाम के एक शोध मे एक डाॅक्टर एम वी रमन्ना ने एक काल्पनिक तस्वीर पेश की है। उन्होंने बताया है कि यदि जितना बड़ा बम हिरोसिमा पर गिराया गया था, उतना ही बड़ा बम मुंबई पर गिरा दिया गया तो क्या होगा। उन्होंने बताया है कि डेढ़ लाख से 8 लाख तक लोग मर जाएंगे और 20 लाख तक लोग घायल और बीमार हो जाएंगे। उसके अलावा अन्य किस्म का भारी नुकसान होगा। विकिरण का प्रभाव आने वाले अनेक वर्षो तक पड़ता रहेगा।
फुकुशीमा परमाणु प्लांट मे जो लीक हुआ था, उसका परिणाम अभी तक लोग भोग रहे हैं। मैं जब वहां गया था, तो उस दुर्घटना के एक साल पांच महीने पूरे हो गए थे। एक लाख 60 हजार लोग उस समय तक अपने घरों से बाहर टेंटों मे रह रहे थे। अनेक गांव तो अब बस ही नहीं सकते।
यही कारण है कि अब परमाणु हथियारो को समाप्त किए जाने की जरूरत है। (संवाद)
परमाणु हथियार स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा
उससे छुटकारा पाने का सही समय
डाॅक्टर अरुण मित्र - 2017-08-05 10:01
लोगों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा यदि कोई है, तो वह युद्ध है। उससे लोग न सिर्फ मरते और बीमार होते हैं, बल्कि उसके कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह होता है और पर्यावरण की भी भारी क्षति होती है। इससे परिवार के परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा समुदाय ही नष्ट हो जाता है। कभी कभी तो यह पूरी संस्कृति का ही नाश कर देता है। इसके कारण जिन संसाधनों को स्वास्थ्य व अन्य सामाजिक क्षेत्रों मंे खर्च करना था, उनका एक बड़ा हिस्सा हथियारों की खरीद और सैनिकों के वेतन पर खर्च हो जाता है।