इसे अलग अलग दृष्टि से देखा जाना चाहिए। इसे मेडिकल नजरिए से देखा जाना चाहिए कि क्या यह मेडिकल रूप से संभव है। इसे सामाजिक रूप से देखा जाना चाहिए कि इसका सामाजिक प्रभाव क्या पड़ता है। इसके अलावा इसे राजनैतिक नजरिए से भी देखा जाना चाहिए।

आयोग्य भारती का दावा है उत्तम संतति पैदा करने के लिए महिलाओं को बेहतर भोजन तो करना ही चाहिए, संभोग के सही समय का चुनाव भी करना चाहिए। सही समय का चुनाव ग्रहों की दशाओं को देखते हुए किया जाना चाहिए। उससे शुद्धिकरण होता है और स्वस्थ बच्चे पैदा होते हैं। उसके अलावा स्वस्थ बच्चे पैदा करने के लिए धार्मिक मंत्रों का जाप भी किया जाना चाहिए। यदि ऐसा किया गया तो आने वाली पीढ़ी स्वस्थ होगी।

लेकिन इस तरह के किए जा रहे दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इसके लिए कोई सबूत नहीं पेश किए जा रहे हैं। दावे के अनुसार उपरोक्त तरीका अपनाने से जीन में भी बेहतर बदलाव हो जाता है। लेकिन अंड्रोलाॅजी सोसायटी आॅफ इंडिया के उपाध्यक्ष डाॅक्टर बलबीर सिंह शाह का कहना है कि जीन में समय समय पर बदलाव होते रहते हैं, लेकिन इस तरह का बदलाव कुछ सप्ताह के शुद्धिकरण से हो जाएगा, इसका कोई प्रमाण नहीं है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

दावा किया जा रहा है कि शुद्धिकरण से पुरुष का स्पर्म और स्त्री का अंडज जेनेटिक दोषों से दूर हो जाएगा, लेकिन क्या इस दावे का वैज्ञानिक परीक्षण किया गया है? सच कहा जाय तो यह दावा पूरी तरह से अवैज्ञानिक है कि ग्रहों की दशा और कुंडली को ध्यान में रखते हुए चुने गए समय पर संभोग करने से लंबा, स्वस्थ्य और गोरा बच्चा पैदा होता है।

यह एक मिथ है कि यदि मां एक खास मंत्र का जाप करे, तो बच्चे का तेज मानसिक विकास होगा और पैदा होते समय उसका वजन भी 300 ग्राम अतिरिक्त बढ़ जाएगा।

दावा किया जा रहा है कि इस तरीके से अबतक 450 बच्चे पैदा हो चुके हैं। अब उन दावों की पड़ताल की जानी चाहिए और समय समय पर उन बच्चों की जांच की जानी चाहिए कि क्या वे बच्चे वास्तव में अन्य बच्चों से श्रेष्ठतर हैं। लेकिन क्या ऐसा किया जा रहा है? सच तो यह है कि यह सब आयुर्वेद के नाम पर किया जा रहा है और लोगों में आयुर्वेद के प्रति जो विश्वास है, उसका शोषण किया जा रहा है।

आरोग्य भारती आरएसएस द्वारा संरक्षित एक संस्था है। इसका कहना है कि इसने शुद्धिकरण द्वारा उत्तम संतति पैदा करने की इस विद्या का पता जर्मनी से पाया। गौरतलब हो कि दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी बर्बाद हो गया था और उसके बाद वह फिर से उबरा है।

आरोग्य भारती का दावा है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल मदर आॅफ जर्मनी ने किया था। इस लेखक ने जर्मनी के एक प्रख्यात डाॅक्टर से बात की तो उन्होंने बताया कि जर्मनी मे इस प्रकार की मदर आॅफ जर्मनी नाम की कोई चीज नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी मदर आॅफ जर्मनी के बारे में वह पहली बार सुन रहे हैं और यह कहानी पूरी तरह से मनगढ़ंत और भ्रामक है।

अनेक कारणों से हमारे देश में अधिकांश लोग अपनी संतान के रूप में बेटा चाहते हैं। उत्तम संतति की पूरी धारणा ही पितृसत्तात्मक और मर्दवादी है। हम इस समय समाज मे लिंग संतुलन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अनेक ऐसे कानून हैं, जो भू्रण के लिंग परीक्षण को रोकते हैं। आरोग्य भारती संस्था क्या यह बता सकती है कि जिन 450 बच्चों को इस शुद्धिकरण की प्रक्रिया से पैदा किया गया है, उनमें कितने लड़के हैं और कितनी लड़कियां हैं? (संवाद)