आखिर सृजन घोटाला है क्या? सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड नाम का एक गैरसरकारी संगठन है, जिसका केन्द्र भागलपुर है। मनोरमा देवी उस संगठन को चला रही थीं। इसी सल के फरवरी महीने में उनका निधन हो गया। अब इस संगठन को उनका पुत्र और बहु चला रहे हैं। आरोप है कि 2006 से फरवरी 2017 तक सृजन के बैंक खाते में भागलपुर के जिलाधिकारी के खाते से पैसे स्थानांतरित होते रहे। जांच में पता चला है कि कम से कम 700 करोड़ रुपये उस संगठन के खातों में गए। वैसे कुछ लोगों का मानना है कि यह रकम 1000 करोड़ से ज्यादा हो सकती है और लालू यादव का कहना है कि यह रकम 2000 करोड़ रुपये है।

रकम चाहे जितना भी हो, लेकिन यह स्थापित सत्य है कि घोटाला हुआ है और इस दौरान भागलपुर में 9 जिलाधिकारियों की तैनाती हुई है। चूंकि रकम जिलाधिकारी के खाते से ही गई है, इसलिए उनकी संलिप्तता की संभावना व्यक्त की जा रही है। वैसे ऐसे लोग भी हैं, जो यह कहते हैं कि बैंक के अधिकारियों के कारण ये घोटाले हुए, क्योंकि बैंक आॅफ इंडिया और इंडियन बैंक की जिन शाखाओं में जिलाधिकारी के खाते हैं, उनमें ही सृजन के खाते भी हैं।

बिहार सरकार द्वारा गठित विशेष जांच ईकाई ने दावा किया कि दो जिलाधिकारियों के दस्तखत फर्जी पाए गए और बैंकों के कर्मचारियों ने घोटाले कर पैसा जिलाधिकारी के खाते से निकालकर सृजन के खातों में डाल दिया, लेकिन बैंक इस आरोप को गलत बता रहे हैं और उनका कहना है कि रकम को स्थानांतरित करने के पहले बैंक कर्मचारी जिलाधिकारी से फोन पर बात किया करते थे और रकम निकासी की सूचना एसएमएस से उन्हें दे दी जाती थी। इसलिए बैंक के इस घोटाले में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं उठता।

फिलहाल करीब एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है, जिनमें जिला के कुछ अधिकारी- कर्मचारी, बैंक के कर्मचारी और सृजन में काम करने वाले लोग भी शामिल हैं। पर बिहार सरकार की एजेंसी से जांच करवाने का यह कहकर विरोध किया जा रहा था कि इस सरकार के बड़े अधिकारी और मंत्री तक इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं, तो फिर इस सरकार की एजेंसी कैसे उनके दबाव के तहत जांच कर सकती है?

लालू यादव उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को इस घोटाले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार बता रहे हैं, क्योंकि घोटाला जब शुरू हुआ था, तो वित्त मंत्री वही थे। 2013 तक वे बिहार के वित्तमंत्री बने रहे। उस बीच उन्होंने कई बजट पेश किए और बजट में सरकारी खर्चों का लेखाजोखा होता है। चारा घोटाला में लालू यादव इसीलिए फंसे कि वे वित्तमंत्री भी थे और अदालत ने यह मानने से इनकार कर दिया था कि उनको चारा घोटाले की जानकारी नहीं रही होगी। अब उसी तर्क से लालू यादव सुशील मोदी को उस घोटाले के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं।

घोटाले की राशि सृजन के पास गई। सवाल उठता है कि वहां से राशि किसके पास गई? इतना बड़ा घोटाला बिना उच्च पदों पर बैठे लोगों की मदद के बिना हो ही नहीं सकता। जाहिर है, जिन लोगों ने घोटाले में मदद किया उनके पास भी इसकी राशि गई होगी। दुर्भाग्य से इस संगठन की कत्र्ताधत्र्ता अब इस दुनिया में नहीं है। इससे जांच पर जरूर असर पड़ेगा।

उधर लालू यादव आरोप लगा रहे हैं कि इस घोटाले में भाजपा के नेताओं का हाथ है। वे अनेक तस्वीरें जारी कर रहे हैं, जिनमें मनोरमा देवी के साथ केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह, दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी, सांसद अश्विनी कुमार चैबे और सुशील मोदी भी दिख पड़ते हैं। राजद प्रमुख उन्हें मनोरमा देवी के करीबी लोगों में बता रहे हैं और कह रहे हैं कि इन लोगों के कारण ही जिला के खजाने को लूटा गया। वे जनता दल(यू) के नेताओं के भी इसमें शामिल होने का आरोप लगा रहे हैं।

कहा तो यह भी जा रहा है कि सृजन के खाते में आया पैसा एक रियल इस्टेट कंपनी, जिससे मनोज तिवारी जुड़े हुए हैं, के पास गया। गौरतलब हो कि दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी मूल रूप से बिहार के ही हैं और वास्तु विहार नाम के एक रियल इस्टेट के ब्रांड अंबेसडर हैं। कहा जाता है कि वे इसके मालिकों में भी शामिल है। वास्तुविहार का बिहार में लंबा चैड़ा व्यापार है।

नीतीश ने इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला कर अपने ऊपर लगाए जा रहे इस आरोप को निरस्त कर दिया है कि वे इसके आरोपियों को बचाना चाहते हैं। सिफारिश के बाद केन्द्र सरकार इसकी सीबीआई जांच का आदेश दे सकती है। लेकिन इस घोटाले में मनोज तिवारी जैसे भाजपा नेताओं के नाम आ रहे हैं, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि सीबीआई की जांच कौन सी दिशा पकड़ती है।

अब तक तो देखा यही जा रहा है कि सीबीआई केन्द्र सरकार के राजनैतिक विरोधियों के खिलाफ ज्यादा सक्रिय है। वैसे घोटाला चाहे जिसने भी किया हो, उसे किसी भी हालत में नहीं छोड़ा जाना चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि क्या सीबीआई भाजपा नेताओं के खिलाफ भी उसी मुस्तैदी से जांच करेगी, जिस मुस्तैदी से वह विपक्षी पार्टियों के नेताओं के घोटाले की जांच करती है। (संवाद)