मानवी जीवन का इतिहास यह बताता है कि पुराने जमाने में जब बीमारियों के कारण का पता नहीं था, तो लोग उनके लिए किसी बाहरी शक्ति को जिम्मेदार मानते थे। उन्हें लगता था कि अंतरिक्ष में हो रही घटनाओं के कारण वे बीमारियां होती हैं और उनसे बचने का अनोखा तरीका भी वे इजाद करने की कोशिश करते थे। कोई बीमार क्यों पड़ता है, इसकी वैज्ञानिक जानकारी नहीं होने के कारण लोगों को लगता था कि कोई शैतानी साया है, जो परेशान कर रहा है। यही कारण है कि वे उस काले साये से मुक्ति दिलाने की कथित तकनीक का आविष्कार करने की कोशिश करते थे। छोटे स्तर पर ही सही, अभी भी उस तरह की प्रवृति और प्रैक्टिस समाज में पायी जाती है।

हमारे देश में ओझा, तांत्रिक और झाड़फूक करने वाले लोग उस तरह का काम किया करते हैं। वे लोगांें के अंदर से शैतान को बाहर कर उनका इलाज करते हैं। लगभग सभी रोगों के लिए इस तरह का इलाज किया जाता था। उदाहरण के लिए मिर्गी का दौरा पड़ने पर उसे जूते सुंघाए जाते थे और माना जाता था कि जूते सुंघाने से मिर्गी के दौरे से छुटकारा मिल जाएगा। झाड़फूंक करने वालों के पास भी लोग मरीजों को ले जाया करते थे। खासकर मानसिक रोगों से त्रस्त लोगों के इलाज के लिए उनके पास ले जाया जाता था। झाड़फूंक करने वाले मरीजों को इतना प्रताड़ित किया करते थे कि कभी कभी उनकी मौत भी हो जाती थी। औरतें खासकर झाड़फूंक करने वालों की शिकार हो जाया करती थीं।

समय बीतने के साथ लोग बुद्धिमान लोगों की सहायता लेने लगे, जो ज्योतिषाचार्य के नाम से जाने जाते थे। एक ज्योतिष विद्या पैदा हो गई। यह माना जाता था कि ग्रहों की दशा खराब चलने के कारण बीमारियां होती हैं। उन बीमारियों को दूर करने के लिए ग्रहदशाओं को शांत करने के उपाय बताए जाते थे। यह सब आस्था का मामला था, जो अलग अलग काल और स्थान पर अलग अलग रूप से विकसित हुआ था।

सत्य और ज्ञान की खोज ने मानव को उस दिशा की ओर धकेला जहां वह पहचान कर सकता था कि कौन सा पौधा खाने योग्य है और कौन खाने योग्य नहीं है। मनुष्य ने पाषाण युग में अनेक ऐसे पौधों की खोज की, जिनके इस्तेमाल के द्वारा कुछ बीमारियों का इलाज किया जा सकता था। उन्होंने इसकी जानकारी हासिल की कि किस पौधे के किसी भाग से किस बीमारी में लाभ होता है। जड़ी बूटी के औषधीय गुणों का इस्तेमाल अभी तक किया जा सकता है और आज भी इलाज का यह एक महत्वपूर्ण तरीका है। लेकिन शुरुआती वैद्य जड़ी बूटियों के औषधीय गुणों को लेकर बहुत स्पष्ट नहीं थे। उन्हें यह पता नहीं था कि वे औषधियां मरीजों पर किस तरह काम किया करते थे। सर्पगंधा नाम की जड़ी का इस्तेमाल मरीजों को शांत रखने के लिए किया जाता था। आज इसका इ्रस्तेमाल उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। अनेक पांरपरिक औषधियों का इस्तेमाल आज के आधुनिक चिकित्सक अब भी किया करते हैं और उनके आधार पर नई नई औषधियां बनाई गई हैं।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का विकास एकाएक नहीं हुआ है, बल्कि उसके पीछे का इतिहास ओझाओं, ज्योतिषाचायों और वैद्यों का इतिहास ही रहा है। लगातार जानकारियां बढ़ती गई। ज्ञान के नये दरवाजे खुलते गए। पुराने प्रैक्टिसों को छोड़कर नये प्रैक्टिस अपनाए गए।

लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार अब वहां फिर वापस जाना चाहती है, जिसे पीछे छोड़कर चिकित्सा विज्ञान वर्तमान मोड़ पर पहुंची है। लेकिन यह गलत है। अब मरीजों को ओझाओं और ज्योतिषाचायों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। (संवाद)