त्रासदी के बाद योगी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने उसे जिस तरह से हैंडिल किया, उसके कारण जनता में बहुत ही खराब संदेश गया है और पार्टी के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं की परेशानी का असली सबब यही है।

स्वास्थ्य मंत्री सिद्धनाथ सिंह के गैरजिम्मेदाराना बयान से सरकार और पार्टी की भारी भद्द पिटी है। मंत्री सिंह ने कहा था कि अगस्त में प्रत्येक साल बच्चे ज्यादा संख्या में मर जाया करते हैं। उनके ऐसा कहने से सरकार और पार्टी की प्रतिष्ठा को भारी आघात पहुंचा है।

इसके अलावा इस पूरी त्रासदी को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश भी की गई। पूरा दोष डाॅक्टर कफिल अहमद को दिया जाने लगे, जबकि श्री अहमद लोगों के बीच हीरो के रूप में उभर रहे थे। वे अपने संसाधनों के बूते अस्पताल में आॅक्सीजन का प्रबंध कर रहे थे और वैसा करके उन्होंने अनेक बच्चों की जान बचाई थी। कफिल को बदनाम करने की कोशिश को भी हिकारत की दृष्टि से देखा जा रहा है।

उन्नाव से भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है, ताकि त्रासदी की जिम्मेदारी तय की जा सके। पार्टी के नेता पूछ रहे हैं कि ब्रिटिश मेडिकल काॅलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई क्यांे नहीं की गई, जबकि आॅक्सीजन की संभावित कमी और प्रिंसिपल के भ्रष्टाचार की खबरें मीडिया में पहले से ही आ रही थीं।

भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री को पहले ही चिट्ठी लिखकर आगाह कर दिया था कि अस्पताल में भ्रष्टाचार का राज है और आॅक्सीजन की कमी की संभावना है, लेकिन उनके पत्र पर स्वास्थ्य मंत्री ने कोई कार्रवाई नहीं की।

सबसे ज्यादा रहस्यमयी बात यह है कि त्रासदी के कुछ घंटे पहले ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने उस अस्पताल का दौरा किया था। उस दौरे में किसी ने भी अस्पताल में होने वाले आॅक्सीजन संकट की उनसे चर्चा नहीं की थी।

यह विश्वास करना कठिन है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को यह पता नहीं रहा होगा कि उस अस्पताल के बड़े निर्णय प्रिंसिपल नहीं, बल्कि उनकी पत्नी लिया करती हैं। पूरे अस्पताल को इसके बारे में जानकारी थी। आदित्यनाथ योगी गोरखपुर के ही हैं और पिछले दो दशकों से वे वहां के सांसद भी हैं। अस्पताल के बारे में मुख्यमंत्री बनने से पहले से ही उनके पास जानकारी रही होगी, क्योंकि वे पहले से ही एक ताकतवर नेता रहे हैं और सूचनाएं व शिकायतें उनके पास लोग पहुंचाते रहे हैं। अस्पताल में आॅक्सीजन संकट होने वाला है, इसके बारे में भी उनको कहीं न कहीं से सूचना मिल ही गई होगी। ऐसा भाजपा के नेता और कार्यकत्र्ता मानते हैं।

उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जांच प्रगति पर है और तरह तरह से पूछताछ चल रही है, लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि सरकार और पार्टी की प्रतिष्ठा को भारी आघात लग चुका है। गोरखपुर और फूलपुर में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और उस चुनाव मे जनता का सामना करना कठिन हो सकता है। (संवाद)