लेकिन टेक्सास के साथ साथ भारत के मुंबई ने भी लगभग उसी समय बाढ़ और बरसात की विभाषिका देखी। दोनों जगहों पर बाढ़ और बरसात से निबटने के जो तरीके दिखे उनमें काफी फर्क देखा गया।
टेक्सास के दौरे के दौरान मैंने देखा कि प्रशासन ने स्थितियों से निबटने के लिए बहुत ही तेजी से काम किया। सरकार वहां बहुत ही सक्षम दिखाई पड़ रही थी। हार्वे नाम का एक तूफान वहां आया था। उसके बारे में पहले से पता था और उस तूफान के आने के दो दिन पहले ही उससे निबटने के इंतजाम कर लिए गए थे।
टेक्सास के गवर्नर ने पूरे टेक्सास नेशनल गार्ड को काम पर लगा रखा था। मेयर ने पुलिस फोर्स को पहले से ही पूरी तरह तैनात कर रखा था। फंसे लांगों को निकालने के लिए हेलिकाॅप्टर का इस्तेमाल पलक झपकते ही शुरू हो गया था। 30 हजार नेशनल गार्ड सहायता के लिए पहले से ही तैनात थे।
तबाही के दो दिनों के बाद ह्यूस्टन के मेयर ने सीएनएन को बताया कि उन्हें कचरो को हटाने के लिए साढ़े सात करोड़ से 10 करोड डाॅलर तक की रकम चाहिए। तबाही के दोरान लेगों ने भी एक दूसरे का साथ दिया। पुराने लोग कहते हैं कि 2005 में कटरीना तूफान आने के बाद जिस तरह का राहत कार्य चलाया गया था, उससे भी बेहतर राहत कार्य इस बार चलाए गए।
टेक्सास में भारतीय मूल के लोगों आबादी करीब साढ़े तीन लाख है। अकेले ह्यूस्टन में ही डेढ़ लाख भारतीय रहते हैं। भारतीय कंसुलर कार्यालय उस बंद था, लेकिन उसके लोगों ने भी राहत काम करने में किसी प्रकार की कोताही नहीं दिखाई। वे भी प्रभावित लोगों तक पहुंचने की लगातार कोशिश करते रहे। सड़कों पर पानी भर था और उस पर ट्रैफिक भी बंद था। इसके बावजूद कंसूल जनरल अनुपम रा विश्वविद्यालय परिसर तक पहुंचे, जहां 250 भारतीय छात्र फंसे हुए थे। रे ने इस संवाददाता को बताया कि जिन छात्रों को हमने बचाया, उन छात्रों ने बाद में वहां के लोगों को बचाने का काम किया। टेक्सास मे रह रहे भारतीयों ने वहां के स्थानीय लोगों की बहुत सहायता की।
अमेरिकी प्रशासन तबाही के बाद की स्थितियों से निबटने की कोशिश मे जुटा हुआ है। वहां लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा पैदा हो गया है। पानी प्रदूषित हो चुके हैं। किटाणुओं और विषाणुओं के फैलने का खतरा पैदा हो गया। उसके कारण अनेक प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही हैं। आर्थिक गतिविधियां भी तबाह हो चुकी हैं। कम आय वाले लोगों के सामने सबसे बडा संकट है। वहां लैटिनो आबादी भी बहुतहै। उनमें अनेक के पास दस्तावेज तक नहीं है। उनके वहां से बाहर कर दिए जाने का खतरा पैदा हो गया है।
यदि हम टेक्सास की आपदा की तुलना मुंबई की आपदा से करें, तो पाते हैं कि वहां कुछ भी नहीं बदला। 2005 मे भी मुंबई मे बाढ़ और बरसात की समस्या आई थी। उस समय उस संकट के दौरान जो माहौल था, वह इस बार भी देखा गया। उस समय जिस तरह से प्रशासन ने काम किया, इस बार बार भी वे उतने ही लापरवाह दिखाई पड़ रहे थे। मुुंबई में भी टेक्सास की तरह भारी बारिश के बारे मे ंपहले से ही जानकारी थी, लेकिन मुबंई में उससे निपटने के लिए कुछ खास नहीं किया गया। आखिर कबतक हम इसी तरह लापरवाह बने रहेंगे? (संवाद)
आपदा प्रबंधन एक बड़ी चुनौती
मुंबई और ह्यूस्टन का अंतर तो देखिए
कल्याणी शंकर - 2017-09-06 12:55
टेक्सासः अमेरिका के टेक्सास मे एक सप्ताह मे 50 इंच की बारिश हुई और एकाएक बाढ़ आ गई। इस घटना के कारण टेक्सास ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस तरह की बारिश और बाढ़ वहां 500 सालों के बाद हुई। तूफान ने तो 10 लाख लोगों को अपनी जगह से हट जाने के लिए मजबूर कर दिया। 50 लोग तो उसमें मारे भी गए।