विज्ञान के द्वारा उसके बारे में जाना जा सकता है। प्रयोगशाला में उन वस्तुओं को जांचा और परखा जा सकता है। जांचने परखने की यह परंपरा बहुत ही पुरानी है। जिस समय लोग गुफा में रहते थे, उस समय भी लोग जांच परख कर ही किसी चीज का खाने पीने में इस्तेमाल करते थे। अब जांचने की सुविधाएं बढ़ गई हैं। उसका तरीका भी बदल गया है। आधुनिक औषधि विज्ञान के तहत शरीर को चीर फाड़ कर भी देखा जाता है। इसके कारण शरीर के अंदरूनी अंगों के बारे में भी हमें सटीक जानकारी मिल जाती है।

पुराने जमाने में दार्शनिकों का मानना था कि जिस प्रकृति ने हमे बीमार बनाया है, उसी प्रकृति में हमारी बीमारी का इलाज भी होगा। इस सोच के कारण अनेक किस्म के उपचार की व्यवस्थाएं अस्तित्व में आई। भारत में सिद्ध और आयुर्वेद का विकास हुआ। यूनान में यूनानी उपचार पद्धति अस्तित्व में आई। चीन में एक्यूप्रेसर और एक्यूपंक्चर से इलाज होना शुरू हुआ।

अब तो हमारे पास शरीर को लेकर बहुत सारी सूचनाएं उपलब्ध हैं। हमें पता है कि हमारे शरीर के अंदर एक ऐसी व्यवस्था है, जो शरीर के अंदर की व्यर्थ और अनावश्यक चीजों को शरीर से बाहर कर देती है। हम जो भी खाते पीते हैं उसका शरीर द्वारा इस्तेमाल किया जाता है और जो इस्तेमाल के काबिल नहीं रहता है, वह शौच, मूत्र और पसीने से बाहर हो जाता है।

गुर्दा हमारे खून के उन पदार्थो को बाहर निकालने का काम करता है, जो शरीर के मेटाबाॅलिज्म के बाद शेष रह जाता है और जिसका उपयोग शरीर के लिए बाकी नहीं रह जाता है। वे सब मूत्र के रूप मे बाहर आ जाते हैं। वही गाय के लिए भी सच है। गाय और मनुष्य के मूत्र में समानता है। दोनों में एक ही तरह के पदार्थ बाहर आते हैं और प्रयोगशाला में मूत्र की जांच कर यह पता लगाया जा चुका है कि उसमें क्या क्या तत्व या यौगिक होते हैं।

मानव मूत्र की तरह गोमूत्र में भी पानी, यूरिया, सोडियम, क्लोरीन, सोडियम क्लोराइड, सल्फेट, पोटाशियम, फाॅस्फेट, क्रिटाइन, अमोनिया, यूरिक एसीड, मैग्नेशियम व कुछ अन्य पदार्थ होते हैं। ये रसायन अन्य स्रोतो से भी उपलब्ध होते हैं।चूंकि मानव और गाय के मूत्र की संरचना एक समान होती है, इसलिए यह मानना मुश्किल है कि मानव मूत्र और गोमूत्र में सिर्फ गोमूत्र ही मनुष्य के लिए फायदेमंद है।

गोमूत्र के बारे में सरकारी संस्थानों से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गई। सूचना के अधिकार कानून के तहत उन सरकारी संस्थानों से जानकारी लेने की कोशिश की गई, जिनमें गोमूत्र से संबंधित अनुसंधान की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन किसी भी संस्थान ने इसके गोमूत्र के औषधीय गुण के बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी। उसने बताया कि इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। यही कारण है कि गोमूत्र के औषधीय फायदे को हमें संदेह की दृष्टि से देखना चाहिए। बिना शोधित गोमूत्र तो अनेक बीमारियों का कारण भी हो सकता है। (संवाद)