मुलायम सिंह यादव पर अपने छोटे भाई शिवपाल यादव और अपने परिवार के अन्य सदस्यों की ओर से जबर्दस्त दबाव पड़ रहा था कि वे एक नई पार्टी बनाएं। लेकिन नई पार्टी बनाना तो दूर, मुलायम सिंह यादव ने समाज के लोगों से अपील की है कि इस निर्णायक क्षण में वे समाजवादी पार्टी को मजबूत करें। उन्होंने समाजवादी विचारधारा में विश्वास करने वाले सभी लोगों से अपील की है कि वे पार्टी को मजबूत करने के लिए एक मंच पर आएं।

मुलायम सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस मे उस पत्र को पढ़ने से इनकार कर दिया, जो उन्हें उनके छोटे भाई शिवपाल और उनके समर्थकों ने लिखकर दिया था। उसके उलट उन्होंने वह प्रेस नोट पढ़ा जो केन्द्र की मोदी सरकार की आलोचनाओ से भरा हुआ था। उसमें योगी सरकार के खिलाफ भी बहुत कुछ लिखा हुआ था।

हां, वे अपने बेटे के प्रति भी नाराजगी दिखा रहे थे, लेकिन नाराजगी का कारण बताते हुए वे कह रहे थे कि उनके बेटे अखिलेश ने अध्यक्ष पद वापस करने के अपने वायदे को पूरा नहीं किया। गौरतलब हो कि अखिलेश ने कहा था कि वे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद मुलायम को पार्टी का अध्यक्ष पद वापस कर देंगे।

इस एक बिन्दु पर अखिलेश की आलोचना करने तक अपने को सीमित रख मुलायम लगातार समाजवादी पार्टी को मजबूत करने की हिमायत अपने उस प्रेस कान्फ्रेंस में करते रहे।

इसी साल जनवरी महीने में अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया था और उस सम्मेलन में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया था। उसके बाद उन्हीें के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने विधानसभा के चुनाव लड़े थे।

अध्यक्ष बनते समय अखिलेश ने कहा था कि वे चुनाव तक ही उस पद पर रहेंगे और तीन महीने के अंदर वह पद अपने पिता के लिए छोड़ देंगे। चुनाव के बाद शिवपाल और मुलायम लगातार अखिलेश को वह वायदा याद दिला रहे हैं, लेकिन अखिलेश वह पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने आगरा में इसी महीने पार्टी का एक सम्मेलन आयोजित किया है और पूरी संभावना है कि उन्हें इस सम्मेलन में अगले पांच सालों के लिए पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाएगा।

अखिलेश यादव की पार्टी के अंदर लगातार स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। इसका पता इसीसे लगता है कि बेनी प्रसाद वर्मा और आजम खान जैसे नेता जो अभी तक उनसे दूरी बनाए हुए थे, अब उनके द्वारा बुलाई गई बैठकों में शामिल हो रहे हैं। राज्य ईकाई की बैठक में भी वे शामिल हुए थे। वे उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के लिए शिवपाल यादव पर हमले भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिवपाल ने उस चुनाव में भाजपा की जीत में सहायता की थी।

अब शिवपाल के सामने एक मात्र विकल्प यही है कि अक्टूबर के आगरा सम्मेलन के बाद वे अपनी एक नई पार्टी बनाएं और भाजपा से हाथ मिला लें। भारतीय जनता पार्टी भी ऐसा ही चाहेगी, क्यांेकि इससे 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने में सहायता मिलेगी। शिवपाल यादव को मुलायम सिंह की पत्नी साधना गुप्ता, उनके बेटे प्रतीक और बहु अपर्णा का समर्थन हासिल है।

शिवपाल यादव मुलायम सिंह यादव के रवैये से बहुत परेशान हैं। वे उन्हें भगवान राम की तरह मानते थे और उनकी हर आज्ञा का पालन करते थे। वे लंबे समय से पार्टी में दूसरे सबसे ताकतवर नेता की हैसियत रखते थे। अब उनका धैर्य जवाब दे रहा है। यही कारण है कि उनके नजदीकी शारदा प्रसाद शुक्ल ने मुलायम सिंह पर हमला करते हुए उन पर समाजवादी पार्टी के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। (संवाद)