इस दिशा में केवल जगह जगह बने सुलभ शौचालय एवं पेशाबघर सही ढंग से कार्यरत है। सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान को तेज गति देने के बावजूद भी आज अधिकांश सार्वजनिक स्थल , विशेष रूप से बस स्टैंड सुलभ जनसुविधाओं से वंचित है, जहां बने है, सही देख - रेख के अभाव में प्रयोग में आने लायक नहीं है जिससे आस पास का वातावरण और प्रदूषित हो रहा है । इस दिशा में सार्वजनिक स्थलों एवं बस स्टैडों के हालातों का अवलोकन करना जरूरी है जिससे स्वच्छता के दिशा में चलाये जा रहे कदम का सही परिमार्जन हो सके।
आज देश के सभी सार्वजनिक स्थलों की दशा साफ - सफाई के मामले में काफी कमजोर है, जिससे हर जगह गंदगी फैली नजर आती है। इन स्थलों के रख रखाव की प्रक्रिया नहीं के बराबर है। इन जगहों पर अधिकांश जगह आज भी न कचरा रखने की कोई जगह है, न शौचालय, मूत्रालय आदि की व्यवस्था है, और जहां है भी वहां कहीं कोई नियम की पालना नहीं। जो जहां चाहे, वहीं थूक दें, कचरा डाल दें , न कोई रोकने वाला, न कोई कुछ कहने वाला। ऐसे हालात में गंदगीं का फैलना स्वाभाविक है। इन जगहों पर सरकारी तौर पर जो भी शौचालय, मूत्रालय बनें है, रख - रखाव के बिना इतने गंदे हैं कि वहां जाने का मन नहीं करता। ऐसे हालात में आस - पास जो भी खुली जगह आम लोगों को मिल जाती है, उसी का प्रयोग आमजन को न चाहते हुए भी करना पड़ता है। इस तरह के हालात का ख्याल वहां पर न तो स्थानीय प्रशासन को है, न किसी सामाजिक संगठन को। रैलियों, सार्वजनिक उत्सवों, मेला आदि स्थानों पर गंदगी की भरमार देखी जा सकती है, जहां न तो कोई उचित व्यवस्था है न कोई नियम कानून। इस तरह के हालात सार्वजनिक स्थलों के अलावे देश के हर भाग में आज विकसित हो रही नई काॅलोनियों में भी देखे जा सकते है। जहां सार्वजनिक रूप से कोई शौचालय, मूत्रालय, कचरादान नहीं होने से गंदगी का फैलना स्वाभाविक है। इन जगहों पर कचरादान नहीं होने से आस- पास जो भी खाली प्लाॅट मिल जाता है, घर का कचरा लोग वहीं डाल देते है। यह उनकी मजबूरी भी है। आज नई काॅलोनियां हर जगह बन रही है। नये - नये , उच्चे - उच्चें भवन हर जगह बन रहे है पर इन मकानों में रहने वालों के पास हर रोज कचरा भी होगा, किसी को ख्याल नहीं। आस- पास पार्क, खेल मैदान, अस्पताल, विद्यालय, स्वीमिंगपुल,, लिफ्ट आदि की चर्चा तो इन विकसित नगरों में बिल्डर्स की ओर से की गई होती है पर कचरा कहां डालेंगे इस व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं। इन नगरों में जों नगर निगम के तहत नहीं आते, जहां पंचायतें है, वहां की व्यवस्था और भी ज्यादा खराब है। पंचायत इस तरह की व्यवस्था उपलब्ध कराने में आर्थिक रूप से अपनी असमर्थता जता जाती है। इस तरह के हालात में गंदगीे का फैलना स्वाभाविक है।
दिल्ली का धौला कुंआ राजस्थान एवं हरियाणा क्षेत्र से जुड़ी यात्राओं के क्रम में प्रवेश एवं निकास का मुख्य द्वार है। जहां से प्रतिदिन देश के विभिन्न भागों से दिल्ली होकर राजस्थान एवं हरियाणा राज्य की ओर सैंकड़ों बसों का आवागमन जारी है। साथ ही राजस्थान एवं हरियाणा राज्यों की हजारों बसें इसी जगह से देश के विभिन्न भागों में नित्य दिन दौड़ती रहती है। दिल्ली का प्रमुख व्यापारिक संस्थान सदर बाजार, चांदनी चैक, नई सड़क, चावड़ी बाजार भी पुरानी दिल्ली में ही है जहां जाने व वापिस आने के लिए यात्रियों को स्थानीय बसों द्वारा धौला कुंआ ही सुगम पड़ता है। इस प्रमुख द्वार पर स्थानीय बसों का भी जमावड़ा काफी है जिससे हजारों की संख्या में स्थानीय यात्री भी बस में चढ़ते व उतरते देखे जा सकते हैं। इस तरह के महत्वपूर्ण यात्रा प्रसंग से जुड़े इस प्रमुख द्वार के आस - पास अंतर्राजीय बसों के लिए कोई भी बस स्टैंड प्रशासन द्वारा आज तक निर्धारित नहीं है तथा यह जगह आज तक यात्रा से जुड़ी तमाम जनसुविधाओं से भी वंचित है। इस जगह पर पानी पीने, शौचालय, मूत्रालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इस तरह दिल्ली का यह प्रमुख यात्रा प्रसंग से जुड़ा प्रमुख द्वार आज तक यात्रा से जुड़ी जनसुविधाओं से वंचित है जिससे यात्रियों को काफी असुविधाओं का सामना प्रतिदिन करना पड़ता है। जनसुविधाओं के अभाव में सबसे ज्यादा परेशानी यात्रा के दौरान महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों को उठानी पड़ती है। शौचालय एवं मूत्रालय नहीं होने से बसों से जुड़े पुरुष यात्रियों द्वारा आस-पास मूत्रालय करने से दूषित वातावरण बनना भी स्वाभाविक है। यह सार्वजनिक स्थल बस स्टैंड आज भी सुलभ जनसुविधाओं से वंचित है। इसी तरह देश के विभिन्न भागों में संचालित बस स्टैंडों के हालात देखे जा सकले है जहां जन सुविधाओं का आज भी अभाव है।
इस तरह के परिवेेश में भारत कैसे स्वच्छ रह पायेगा, जबकि हर व्यक्ति सफाई पसंद करता है पर उसे उचित माहौल एवं सही संसाधन मिले। शौच, पेशाब आदि मौलिक आवश्यकता है, जहां रहेगा कचरा भी होगा। यदि इसकी व्यवस्था सहीं ढ़ंग से हर जगह उपलब्ध हो सके तो देश को साफ - सुथरा रखने में काफी मदद मिल सकती है। (संवाद)
सुलभ जनसुविधाओं से आज भी वचिंत है सार्वजनिक स्थल
इस तरह के परिवेेश में भारत कैसे स्वच्छ रह पायेगा?
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2017-10-07 11:26
केन्द्र की वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभालते ही महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर से भारत को स्वच्छ बनाने की दिशा में स्वच्छता अभियान का आगाज किया, जिसका परिणाम यह रहा कि आज देश का अधिकांश आम जन इस बात को समझने लगा तो है कि आस - पास का वातावरण साफ - सुथरा होना चाहिए, इसीलिये कुछ खाने के बाद व्यर्थ सामान को इधर - उधर फेंकने के वजाय वह कचरा पेटी तलाशता नजर आता है। आम दुकानदारों के साथ ठेले वाले भी अपने साथ कचरा रखने के पात्र साथ रखने लगे । रेलवे स्टेशन भी अब साफ - सुथरे नजर आने लगे । इस दिशा में पूर्व सरकारों एवं वर्तमान सरकार द्वारा भी जगह जगह सार्वजनिक स्थलों एवं बस स्टैंड के आस पास शौचालय एवं पेशाबघर बनाये गये जिसमें देश का करोडों का बजट भी लगा, पर सही रख - रखाव नहीं होने के कारण वे आज बेकार साबित हो रहे हैं।