न्यायाधीश मिश्रा की मजहब आधारित आरक्षण पर चर्चा के दौरान वक्ताओं ने राम मंदिर निर्माण पर कल की मुस्लिम नेताओं की तीखी व विपरीत प्रतिक्रिया परे आज खुले अधिवेशन में कोई टिप्पणी नहीं की।इतना ही नहीं जब कुछ पत्रकारों ने नीतिन गडकरी से ‘मंदिर दो , मस्जिद लो’ मुद्दे पर कुछ स्पष्टीकरण जाननी चाह तो वह बड़ी चतुराई इसे टाल गए।सिर्फ तीन मिनट की ब्रीफिंग में मीडिया के प्रति आभार जताने के साथ कोई तकलीफ होने पर क्षमा याचना कह कर वह सफागार की ओर चले गए।
इसके पहले अधिवेशन में चर्चा की शुरुआत करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद नेहरू, पटेल, मौलाना आजाद व अंबेडर समेत सभी नेताओं ने मजहब आधारित आरक्षण को देश के लिए खतरनाक बताते हुए इसे लागू करने से इनकार कर दिया था।लेकिन अब वही कांग्रेेस वोट बैंक की राजनीति के लिए संविधान और कोर्ट के आदेशों का धज्जियां उड़ाते हुए इसे लागू करने पर तुली हुई है।उन्होंने कहा कि इसके लागू हो जाने से देश में सामाजिक वैमनष्यता बढ़ेगी और देश की एकता खतरे पड़ जाएगी।उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम समाज पिछड़ा है तो इसके लिए कांग्रेस का 50 साल का शासन जिम्मेवार है।
वेंकैया ने कहा कि मजहब आधारित आरक्षण देश के एक और विभाजन का बीज साबित होगा।उन्होंने कार्यकर्ताओं का आहवान करते हुए कहा कि इसको लागू होन से रोकने के लिए वे खून बहाने के लिए तैयार रहे।उन्होेंने कहा कि इसका स्थानीय निकाओ,विधानसभाओं तथा संसद में विरोध होेना चाहिए।
रंगनाथ मिश्रा रिपोर्ट के परखचे उड़ाते हुए बीजेपी उपाध्यक्ष गोपीनाथ मुंडे ने साफ कर दिया कि दलितों ,पिछड़ों ,आदिवासिओं तथा जनजाति समाज के आरक्षण कोटे में सेंध लगा कर मुस्लिम व इसाई समाज को आरक्षण देने के किसी भी फैसले का बीजेपी विरोध करेगी।
नीतिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित खुले अधिवेशन के दौरान अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्ीय प्रभारी राम कोविद ने आज यहां एलान किया कि रंगनाथ मिश्रा की वोट बैंक पर आधारित रिपोर्ट को खारिज करने की मांग को ले कर 11 मार्च को बीजेपी कार्यकर्ता संसद पर प्रदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा कि दलित मुस्लिम तथा दलित ईसाई समेत सभी अल्पसंख्यक ओबीसी कोटे के 27 प्रतिशत आरक्षण में से 8.4 फीसदी अधिकृत है यदि अल्पसंख्यको के लिए आरक्षण 8.4 प्रतिशत से बढ़ा कर 15 फीसदी कर दिया गया तो ओबीसी जिनकी संख्या मंडल आयोग रिपोर्ट के अनुसार 52 फीसदी है, के लिए केवल 12 फीसदी शेष रह जाएगा। जिससे उनके प्रति अन्याय अपमान तो होगा ही साथ ही सामाजिक विद्वेष भी पैदा होगा। संविधान के अतंर्गत जनसंख्या आधारित आरक्षण अनुसूचित एंव जनजाति 15 फीसदी तथा 7.5 फीसदी के लिए ही निर्धारित है तथा समाज के किसी अन्य वर्ग के लिए यह व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।
रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए भाजपा नेताओं ने यह भी बताया कि पुअर क्रिश्चियन लिबेरेशन मुवमेंट तथा इंडियन क्रिश्चियन एक्शन फोरम के नेताओं आर एल फ्रांसिस और जोसेफ जी एंथोनी के अनुसार यह दवा बीमारी से भी खतरनाक है।पंथ आधारित आरक्षण न केवल असंवैधानिक है बल्कि यह अल्पसंख्यको,हिंदू दलितों और अन्य पिछड़े वर्ग के बीच विवाद पैदा करना वाला भी है।
बीजेपी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि जो इस्लाम अथवा इसाई पंथ का पालन करते हैं,उन्हें न तो ब्रिटिश कालीन भारत में और ना ही स्वतंत्रता के उपरांत कभी अनुसूचित जाति का दर्जा दिया गया।इसाई और इस्लाम दोनों पंथों का उदभव भारत के बाहर हुआ।दोनों पंथ जाति व्यवस्था केा मान्यता नहीं देते।ऐसे में आरक्षण की बात कहना अनुचित होगा।
नायडू ने अपने भाषण के दौरान यह सफाई भी पेश करने का प्रयास किया कि बीजेपी कभी भी मुसलमानों के खिलाफ नहीं रही।वाजपेयी शासन के दौरान डा कलाम केा राष्ट्पति बनाया गया।इससे पूर्व अनेक राज्यों में मुस्लिम मुख्यमंत्री बने तथा भाजपा ने कभी विरोध नहीं किया।उन्होंने फिल्म सितारों शाहरूख खान,आमिर खान आदि का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में इस पंथ से जुड़े लोगों केा भी पूरा आदर मिल रहा है।समाज केा आरक्षण के नाम बांटने के बीजेपी खिलाफ है।
बाबरी पर उदार बीजेपी ने मुस्लिम आरक्षण को नकारा
सिफारिशें लागू न होने देने के खातिर खून देने का आहवान
इसके खिलाफ 11 मार्च को संसद पर भी पार्टी बोलेगी हल्ला
एस एन वर्मा - 2010-02-19 10:48
इंदौर। कलतक अयोध्या में मुस्लिम समाज से मंदिर निर्माण के लिए सहयोग मांगने वाली बीजेपी ने आज मजहब आधारित आरक्षण पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह देश के एक और विभाजन का बीज के समान है। बीजपी के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कार्यकर्ताओं का आहवान करते हुए कहा कि उन्हें रंगनाथ मिश्रा की रिपोर्ट को लागू करने से रोकने के लिए खून देने के लिए तैयार रहना चाहिए। बीजेपी ने आज यह भी घोषणा की कि इस रिपोर्ट के खिलाफ 11 मार्च को संसद पर हल्ला बोला जाएगा।