भारत में पर्यटकों पर बढ़ते हमले , गैंग रेप, चोरी और दूसरी घटनाओं की वजह से विदेशी सैलानी यहाँ आने से कतराने लगे हैं । दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद इस भय को और बल मिला है। विदेशी महिला पर्यटकों का नजरिया बहुत अच्छा नहीँ है । क्योंकि यह घटना अंतर्राष्टीय मीडिया की सुर्खियां बनी थी । महिलाओं में डर का यह सबसे बड़ा कारण है । भारत में पर्यटन उद्योग की अपार सम्भावनाएं हैं, लेकिन फतेहपूर सीकरी में स्विस पर्यटक क्लिंटन क्लार्क और उनकी महिला दोस्त के साथ जो कुछ हुआ उससे देश की छवि को काफी नुकसान पहुँचा है। वे भारत के बारे में जो छवि बनाकर आए थे उसका उल्टा उनके साथ हुआ । वापस स्विट्जरलैंड लौट कर भला वह अपने दोस्तों से क्या शेयर करेंगे । सीकरी के कुछ बिगडैल युवकों ने सेल्फी न खीचवाने पर विदेशी मेहमानों से जिस तरह मारपीट की , हमारी संस्कृति, सम्विधान और संस्कार इसकी कभी अनुमति नहीँ देता है । हम अतिथि देवोभव के अनुगामी हैं। जहाँ हमें मेहमाननवाजी करनी चाहिए वहीँ हम अपने अतिथियों पर पत्थर बरसा रहे हैं । यह कितनी बेशर्मी की बात है। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया गया कि वर्ष 2014 में दिल्ली में विदेशी पर्यटकों पर हमले की 135, गोवा में 66, महाराष्ट्र में 25 और उत्तर प्रदेश में 64 घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में क्रमशः 52, 43, 3 और 38 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया। 34, 27, 8 और 30 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए गए और गोवा में चार, दिल्ली और महाराष्ट्र में एक-एक व्यक्ति को दोषी पाया गया। लेकिन उत्तर प्रदेश में किसी के भी ऊपर दोष सिद्धि नहीं हुई। वर्ष 2015 में विदेशी पर्यटकों पर हमले की कुल 158 घटनाएं दर्ज की गयीं जिनमें चार लोगों के ऊपर दोषसिद्धि हुई। इस मामले में विदेशी महिला पर्यटकों से हुए बातचीत में दिल्ली को सबसे असुरक्षित बताया गया। हालाँकि भारत में यह पहली घटना नहीँ है । देश में इसके पूर्व भी अनगिनत घटनाएँ हो चुकी हैं। स्थितियां इतनी बद्तर होती जा रहीं हैं कि अब पर्यटन स्थल और सैलानी सुरक्षित नहीँ हैं । हमारे लिए यह चिंता की बात हैं । पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की सुरक्षा को लेकर हमारे पास कोई ठोस व्यवस्था नहीँ है। राज्सियों विल पुलिस के भरोसे ही यह जिम्मेदारी है । अलग से कोई पर्यटक पुलिस और सुरक्षा तंत्र मौजूद नहीँ है । जिसकी वजह से देश में आने वाले सैलानियों से मारपीट, गैंगरेप, कैमरों एवं सामानों की लूटपाट , चोरी , अनधिकृत गाइड की वसूली के साथ, खानपान , रेस्तरां , होटलों , टैक्सी चालकों की ओर से असहयोग और अधिक वसूली जैसी बातें आम हैं । इसका असर हमारे पर्यटक उद्योग और विदेशी अतिथियों की आमद पर पड़ता है । हालांकि इस घटना में केंद्र सरकार के तीखे तेवर की वजह से सभी आरोपी पकड़े गए और रिपोर्ट भी मांगी गई , लेकिन देश की छवि को भारी नुकसान हुआ है । जिसकी भरपाई सम्भव नहीँ है ।

देश में विदेशी पर्यटकों को प्रोत्साहित करने के लिए पर्यटन विभाग ने 2002 अतुल्य भारत अभियान शुरू किया । एक आंकड़े के मुताबिक भारत अंतर्राष्टीय स्तर पर पर्यटन करोबार में तेजी से उभरा है । 2005 में जहाँ चैथी तिमाही में 372 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार हुआ था , वहीँ अतुल्य भारत अभियान के आठ साल बाद उधोग का तेजी से विकास हुआ । जबकि पर्यटकों की संख्या दोगुनी पर पहुँच गई । 2.38 बिलियन से बढ़कर पर्यटक 5.58 पर जा पहुँचे । राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 6 और रोजगार में 9 फीसदी पर्यटन उद्योग का योगदान है ।

तमाम असुविधाओं और अव्यवस्था के बावजूद पर्यटन से होनेवाली आर्थिक वृध्दि में 2017 तक 42 फीसदी से अधिक की सम्भावना है । 2015 में ट्रेवेल्स एंड टूरिज्म की तुलनात्मक अध्ययन करने वाली एक संस्था के आंकड़े के मुताबिक पर्यटन के लिहाज से दुनिया में भारत का 52 वां स्थान है । सैलानियों को मिलने वाली सुविधाओं पर यह और 141 वीं पायदान पर है जबकि सुरक्षा को लेकर बेहद खराब हालात हैं , उसमें 129 वें स्थान पर हम हैं । हमें विदेशी सैलानियों के लिए सुरक्षा और सुविधाओं के लिहाज से ठोस नीति बनानी होंगी। सैलानियों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा पर नीतिगत निर्णय लेना होगा। इसके बाद संबंधित स्थलों को पर्यटन की लिहाज से और अधिक आकर्षक बनाना होगा । विदेशी मेहमानों से कैसे पेश आएं , उनकी सुविधाओं का कैसे ख़याल रखें इन सब बातों का विशेष ध्यान रखना होगा। देश में पर्यटन के विकास के लिए अलग से मंत्रालय है। इस पर और अधिक काम करने की जरूरत है। तभी हम यहाँ आने वाले सैलानियों का खयाल रख सकते हैं । अगर इसी तरह विदेशी अतिथियों पर हमले होते रहे तो स्थिति बेहद बूरी होगी । देश की छवि दुनिया में खराब होगी । सरकार को इस पर नीतिगत और कड़े कदम उठाने चाहिए । (संवाद)