सरकार द्वारा की गड़बड़ी के खिलाफ विरोध का प्रदर्शन लगातार जारी है। अब तो उसमें लैटिन कैथोलिक परिषद भी शामिल हो गई है। उसने अपने आंदोलन को तेज करने की घोषणा कर दी है और राजभवन पर प्रदर्शन करने जा रही है।
बचाव और राहत कार्यों की सुस्ती के खिलाफ मछुआरों ने राष्ट्रीय राजपथ को ही जाम कर दिया। उनकी मांग है कि सरकार उन मछुआरों की सुध ले, जो अभी तक लापता हैं और उनको खोजने के प्रयास तेज कर दें।
लैटिल कैथोलिक परिषद का रवैया बहुत ही आक्रामक है। इस संवेदनशील मसले पर उनके इस आक्रामक रवैये से लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार को चिंता हो रही है। उनकी चिंता स्वाभाविक ही है, क्योंकि लैटिन कैथोलिक समुदाय उसका परंपरागत समर्थक रहा है।
यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने उनके गुस्से को शांत करने के लिए पर्यटन मंत्री के सुन्दरन को लैटिन आर्कबिशप से मिलने को भेजा। उस बैठक में मंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद ही मछुआरों ने रोड पर लगाया गया ब्लाॅकेड वापस लिया।
लेकिन उनका गुस्सा पूरी तरह शांत नहीं हुआ है। इसका पता इसी से लगता है कि वे राजभवन पर अपना प्रदर्शन नहीं स्थगित कर रहे हैं। यह प्रदर्शन पी विजयन सरकार द्वारा नाकाफी मुआवजा दिए जाने के विरोध में भी है।
इस बीच मुख्यमंत्री पी विजयन ने लैटिन कैथलिक समुदाय से अपील की है कि वे भावनाओं को भड़काना बंद करें। उन्होंने कहा कि यदि भावनाओं को इस तरह भड़काया जाना जारी रहा, तो उनकी समस्याओं का समाधान करना कठिन हो जाएगा।
यदि मछुआरे अपने आपको पीड़ित पा रहे हैं, तो सरकार इसके लिए खुद जिम्मेदार है। ओखी तूफान के शुरुआती दिनों में सरकार ने बहुत ही उदासीन रवैया अपना रखा था। वे इस बात को नहीं भूल पा रहे हैं कि सरकार के नेता विपत्ति के दिनों में उनके पास आए तक नहीं और राहत कार्यों का नेतृत्व नहीं किया। तीन दिनों तक तो सरकारी पार्टियों के नेता कहीं दिखाई तक नहीं पड़े।
जब केन्द्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने तटीय इलाकों का दौरा किया, उसके बाद ही प्रदेश की सरकारी पार्टियांे के नेता हरकत में आए। लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी। मछुआरों के गुस्से का पता इसी से लगता है कि जब मुख्यमंत्री ने एक तूफानग्रस्त इलाके का दौरा करना चाहा, तो लोगों के विरोध के कारण उन्हें अपना वह दौरा स्थगित करना पड़ा।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने अपने दौरे में शालीनता दिखाई और कहा कि यह अपने राजनैतिक विरोधियों पर हमला करने का सही वक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि समय की माग यह है कि राहत कार्य तेज किया जाय। इस तूफान से राज्य सरकार को सबक सीखनी चाहिए। (संवाद)
ओखी तूफान और उसके बाद
लैटिन कैथोलिक समुदाय हो रहा है नाराज
पी श्रीकुमारन - 2017-12-12 13:06
तिरुअनंतपुरमः ओखी तूफान द्वारा केरल के पश्चिमी तट पर मचाई गई तबाही के 12 दिनों से भी ज्यादा हो गए हैं, लेकिन सरकार ने उस तूफान द्वारा लाई गई तबाही से निपटने में जो कमियां दिखाई, उनके कारण उत्पन्न हुआ गुस्सा अभी भी शांत होने का नाम नहीं ले रहा है।