पश्चिमी देशों में इन दलीलों तथा कैदियोंके अधिकार को गंभीरता से लिया जाता है। अबू सलेम का पुर्तगाल से प््रात्यार्पण भी शर्तो के साथ हुआ। सलेम एक अपराधी था। माल्या तो एक चालाक ठग है। भारत में जिस तरह के जेल हैं-भीड़ तथा भ्रष्टाचार से भरे -कि वह इतनी बड़ी लूट के बाद भागने के बावजूद प्रत्यार्पण की कोशिश को विफल कर सकता है।

माल्या 21 साल पहले के एक लंपट और रंगीन शक्तिशाली उद्योगपति के साथ जेल व्यवस्था के व्यवहार से सीख ले सकता है। 1995 में बिस्किटकिंग के नाम से जानवाले भारतीय उद्योगपति ने इसी तरह भारत से सिंगापुर के लिए प्रत्यार्पपण के लिए संघर्ष किया था। डकैत और आक्रामक कारपोरेट राजन पिल्लई हिरासत में मर गयज्ञं ‘‘ अपनी मौत के समय पिल्लई प्रत्यार्पण की सुनवाई का इंतजांर कर रहा भारतीय कैदी था’’ जुलाई 1995 को न्यूयार्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा।

राजन पिल्लई की पत्नी नीना पिल्लई अपने पति की मौत के मामले को अदालत में ले गई। उसने अपने मृत पति को न्याय दिलाने के लिए कपिल सिब्बल, पूर्व कानून मंत्री जिन्हें ‘‘ अदालत में नहीं चिल्लाने’’ की चेतावनी पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दी। यह पता नहीं कि सिब्बल 1995 में कोर्ट में चिल्लाए थे या नहीं, लेकिन इतना पक्का है कि अपने प्रत्यावर्तन के मामले में ब्रिटिश वकील क्लेयर मोंटगोमरी की सहायता के लिए वह कपिल सिब्बल को रखते हैं तो उन्हें फायदा होगा। पिल्लई के मामले की जानकारी के आधार पर क्लेयर को सिब्बल कुछ कानूनी बिंदु बता सकते हें कि भारत प्रत्यार्पण से कैसे बचाए।

पिल्लई के कैदी के अधिकार तथा मानवधिकार का हर कम उल्लंघन हुआ। फिलहाल, भारतीय बैंकों से 9000 करोड़ रूपया लूट ने वाले माल्या ने लूट लिया, क्लेयर अपने उस धनी मुुवक्किल के लिए उसके खिलाफ उसके खिलाफ मुकदमें में सुराख ढूंढ रही है जो जमीन परखडा कर दिए गए किंगफिशर एयर लाइन के जहाजों में उड़ा करता था और किंगफिशर बियर बेचा करता था। धनी भगौड़ा एक फार्मूला-वनका मालिक है और हर दम सुंदरियों के झुंड के साथ दिखाई देता है।

लंदन के वेस्टमिनिस्टर के मैजिस्ट्ेट अदालत में इस सप्ताह की शुरूआत में- क्लेयर ने भारत की जेल व्यवस्था को रूस से भी खराब बताया । किसी भी देश में प्रत्यार्पण से बचने के लिए उस देश के जेल की सुरक्षित व्यवस्था की दलील सबसे निश्चित मानी जाती है क्लेयर ने कहा रूस भारत से‘‘ काफी बेहतर है’’।रूस कम से कम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन की समीक्षा की इजाजत अंतराष्ट्ीय विशेषज्ञोंको देता है। भारतीय जेलों में सुरक्षा को लेकर भारत के आश्वासनों पर विश्वास नहीं कियाजा सकता क्योंकि ’’ इसके पालन को सुनिश्चित करने के लिए कोई भी प्रकियानहीं है’’, उन्होंने कहा।

दूसरे शब्दों में क्लेयर मौंटगोमरी दुनिया को बता रही थी कि भारत एक ‘‘ अविकसित लोकतंत्र ’’ है और इस के जेल नरक हैं। माल्या लंदन के नजदीक एक बड़ी जायदाद का मालिक है। यह साबित करने के लिए किभारतीय जेल भ्रष्टाचार के अड्डे हैं और जहां की लापरवाही की लंबी फेहरिस्त हैं, कपिल सिब्बल तथा नीना पिल्लई उनके बेहतरीन गवाह हो सकते हैं।

राजन पिल्लई कई अर्थो में विजय माल्या का अगुआ है। दोनों को ‘तड़क-भड़क वाला’ कहा जाता है। दोनों पैसा दिखा कर लोगों से पैसा निकाल लेते थे। दोनों जहां कुछ मिलता दिखाई नहीं देता थे, वहां से भी कुछ निकाल लेते थे। दोनों प्रचार की चकाचैंध में रहते थे। दोनों के बड़े-बड़े पदों पर बैठे दोस्त थे। दोनों ने कानून के साथ खतरनाक ढं़ग से खिलवाड़ किया। एक का भाग्य ने साथ देना छोड़ दिया और दूसरा उससे सीख लेगा तो भाग्यशाली बन जाएगा।

राजन पिल्लई एक मामूली काजू व्यापारी का बेटा था। वह एक महत्वकांक्षी इंजीनियर था और उसने गोवा में एक होटल खरीदा और वहंा से सिंगापुर जाकर आलू के चिप्स और मूंगफली बेचने लगा। उसकी मुलाकात अमेरिकी एक्जीक्यूटिव एफ रास जानसनसे हो गई । उसे उसने अपने ‘जोखिम भरे व्यापार’ करने की क्षमता से प्रभावित कर लिया।

रास राजन की इस क्षमता से प्रभावित हो गया कि वह वहां अवसर देख लेता है जहां कोई अवसरनहीं है वहां वह अवसर देख् लेता है। उसने अपनी कंपनी का एशिया का व्यापार इस मलयाली लंपट को सौंप दिया। राॅस ने उसे 3 करोड़ डालर का कर्ज भी दिया जिससे पिल्लई अपने को बिस्किट किंग के रूप में अपने को स्थापित किया और आधे दर्जन देशों में अपनी कंपनियां खोल ली।

लेकिन बिस्किट किंग कर्ज में डूबी कंपनियों को खरीद रहा था और ज्यादा वक्त नहीं लगा कि ये कंपनियां डूबने लगीं। न्यूयार्क टाइम्स ने उसकी तड़क-भड़क और फिर उसकी भगौड़ी जिंदगी तथा सिंगापुर में करोड़ों डालर की उसकी धोखाघड़ी के बारे में लिखा है।

यह 1993 में हुआ। जब सिंगापुर की अदालत ने उसे 14 सालकी सजा सुनाई तो वहां से व्ह किसी तरह निकल भागा और केरल चला आया जहां 1947 में, जब देश को आजादी मिली, उसका जन्म हुआ था।उसके खिलाफ इंटरपोल का एलर्ट था, लेकिन उसने अदालत से स्थगन ले लिया था।

लेकिन उसने एक गलती कर दी। वह दिल्ली चला आया और यहीं उसके भाग्य ने उसका साथ छोड़ दिया। उसे गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया। उसे ला मेरेडियन होटल से गिरफ्तार किया गया था। मैजिस्ट्रेट के यहां ईलाज के लिए उसने अर्जी दी तो इसे बीमारी का बहाना मान कर खारिज कर दिया गया।

एक दिन बिस्किट किंग बेहोश होकर गिर पड़ा और उसे दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। वहीं उसकी मौत बिना किसी सहायता के अकेले पड़े रहकर हो गई। उसकी पत्नी के संघर्ष और मौत की परिस्थितियोें काको ध्यान में रख कर मौत की परिस्थितियोें की जांच के लिए जस्टिस लीला सेठ आयोग बनाया गया। इस आयोग ने मौत के पीछे ‘‘उदासीनता और लापरवाही’’ को कारण बताया। यह माल्या के लिएरोमांचित करने वाली जानकारी है। राजन को जीबी पंत असपताल या एम्स के बदले दीनदयाल अस्पताल लेजाया गया था।

यह बात भी सामने आई कि उसे जेल सुपरिटेंडेेट ने पीटा था और 24 घंटे के भीतर एक मारूति कार और पांच लाख रूपया देने के लिए कहा था। रिपोर्ट के बाद जेल की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार हुआ है। डाक्टरों की संख्या सात गुना बढ गई है।

माल्या के मामले ने जेल की व्यवस्था को फिर से के केंद्र में ला दिया है। भारत सरकार ने ब्रिटिश अदालत को आश्वासन दिया है कि माल्या को मुंबईआर्थर रोड जेल में रखा जाएगा, जहां उसे पूरी सुरक्षारहेगी और उसके कल्याण की गारंटी रहेगी।

अगर माल्या जैसे ठग को भारत वापस लाना है तोहमें अपनी जेल व्यवस्था सुधारनी होगी अन्यथा कोईभी देश भारतीय जेलों में प्रत्यर्पण की अनुमति नहींदेगा और किसी अपराधी को नहीं भेजेगा। (संवाद)