‘‘भारत इंटरनेट अभी भी मर्दो के लिए सुरक्षित’’ हैं। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों में सिर्फ एक तिहाई औरतें हैं’’, डिजिटल क्षेत्र में बच्चों की खैरियत (कुशल मंगल) पर अपनी रिपोर्ट में यूनिसेफ ने कहा। रिपोर्ट के अनुसार अगर उन्हें डिजिटल टेक्नोलौजी से वंचित रखा गया तो वे सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में अलग-थलग पड़ जाएंगी।
‘‘लड़कियों को अगर डिजिटल युग से बाहर रखा गया तो उनके लिए गंभीर नतीजे हो सकते हैं। उन देशों और संस्कृतियों में उन्हें आगे भी अलग-थलग होना पड़ेगा जहंा लड़कियों की आनलाइन तथा आफलाइन गतिविधियों पर पाबंदियां हैं।’’
रिपोर्ट का कहना है, ’’ इसका मतलब होगा अपने स्वास्थ्य के बारे में उपलब्ध आनलाइन सेवाओं तथा जानकारियों तक पहंुचने में सक्षम नहीं होना, अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं नहीं होना तथा ऐसे कौशल को आगे बढ़ाने की संभावना का नहीं होना जो उन्हें 21 वीं सदी की वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी में मदद करें।’’ रिपोर्ट कहती है।
‘विश्व के बच्चों की अवस्था, 2017ः डिजिटल दुनिया में बच्चे’’ नामक रिपोर्ट को पिछले सोमवार को जारी किया गया।
रिपोर्ट जारी करने के लिए हुए समारोह के बाद यूनिसेफ के प्रतिनिधि ने यह स्वीकार किया कि भारत में डिजटलीकरण पर मजबूती से जोर दिया जा रहा है।
‘‘ यह देखना महत्वपूर्ण है कि कौन इस अनुभव से बाहर हो रहा है।’’ प्रतिनिधि ने कहा।
विश्व के स्तर पर इंटरनेट का उपयोग करने वालों में हर तीसरा व्यक्ति बच्चा है। बच्चों में 71 प्रतिशत इंटरनेट का उपयोग करते हैं। लेकिन डिजिटल दुनिया में आने से बच्चों को हो रहे खतरों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं किया जा रहा है।
‘‘इसके बावजूद कि बच्चों की आनलाइन उपस्थिति बहुत ज्यादा है। इंटरनेट उपयोग करने वालों में हर तीन में से एक बच्चा-उन्हें इंटरनेट की दुनिया से होने वाले जोखिमों तथा सुरक्षित आनलाइन सामग्रियों तक उनकी पहंुच बढ़ाने को लेकर बहुत कम किया जा रहा है, ’’ रिपोर्ट कहती है।
यह डिजिटल टेक्नोलौजी के बच्चों का जीवन पर पड़ने वाले विभिन्न तरह के प्रभावों का यूनिसेफ का पहला अध्ययन था।
‘‘ अच्छे या बुरे के लिए, डिजिटल टेक्नोलौजी अब हमारे जीवन की ऐसी वास्तविकता बन चुकी है जिसे बदला नहीं जा सकता हे।’’ यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक एंथोनी लेक ने कहा।
‘‘ डिजिटल दुनिया में हमारी दोहरी चुनौती है- इससे होने वाली हानि को कम करना और साथ ही, इंटरनेट हर बच्चे को मिलने वाले लाभ को बढ़ाना।
रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल टेक्नोलौजी गरीबी में पलने वाले बच्चों या मानवीय आपदाओं से ग्रस्त बच्चों समेत सर्वाधिक वंचित बच्चों को मदद कर सकता है।, लेकिन करोड़ो बच्चे इसे पाने से वंचित हैं। दुनिया के एक तिहाई युवाओं, 34 करोड़ 60 लाख युवा, की इंटरनेट तक पहंुच नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार , इंटरनेट बच्चों के खतरे तथा हानियों में वृद्धि करता है। इसमें निजी जानकारियों के दुरूपयोग तथा हानिकारक सामग्रियां तथा डराना-धमकाना शामिल हैं।
मोबाइल उपकरणों के आसानी से मिलने के कारण बच्चों को मिलने वाली सुविधा पर ज्यादा नजर नहीं रखी जा सकती है और इससे ज्यादा जोखिम की संभावना बढ़ गई है।
डार्कवेब (गुप्त वेबसाइट) तथा डिजिटल मुद्रा बच्चों के शोषण तथा उनके साथ अनुचित व्यवहार को संभव कर देता है जिसमें तस्करी तथा यौन दुव्यवहार के आनलाइन आर्डर शामिल हैं ।
रिपोर्ट ने इंटरनेट के कारण बच्चों के सामने आने वाले खतरों को उजागर करने के लिए ताजा आकड़ों तथा विश्लेषण का सहारा लिया है।
राजनीतिक शोर-शराबे के बीच सोशल मीडिया, जो इंटरनेट का हिस्सा है, ने एक किशोर अभिनेत्री को यह मौका दिया कि वह अपने साथ छेड़खानी को सामने लाए और उस व्यक्ति को गिरफ्तार कराए जिसने उड़ान में अभिनेत्री के गर्दन और पीठ पर अपने पैर रगड़े थे।
बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों को लेकर बना नया कानून काफी स्पष्ट है। अगर कोई लड़़की यौन उत्पीड़न का शिकायत करती है तो अपराध करने वालों को काफी समय तक जेल में बिताना पड़ेगा। लड़की इंटरनेट की जानकार थी और उसके पास इंटरनेट था। वह देश की उन लड़कियां में नही हैं जो इंटरनेट से वंचित हैं। इंटरनेट पर जाने के लिए उसके पास पैसा और हैसियत है और जो भी कठिनाई आए उसका सामना करते हुए वह शहर में निकल सकती है।
भारत के छोटे शहरों तथा गंावों में कितने माता-पिता हैं जिनके पास इंटरनेट की सुविधा देने के लिए साधन है? इसका उत्तर है ‘बहुत कम’। यही यूनिसेफ का संदेश था। (संवाद)
इंटरनेट मेें लड़कियां पीछे
अंजली मैथ्यु - 2017-12-18 10:08
यूनिसेफ का कहना है कि भारत में मर्दों ने इंटरनेट को हथिया लिया है। उसने चेतावनी दी है कि इंटरनेट के इस्तेमाल में औरत-मर्दो के बीच का अंतर लड़कियों के लिए काफी गंभीर साबित होगा। इसका यह भी मतलब है कि मर्दों को इंटरनेट से जुड़ने का अवसर मिलता है और इसके कारण वे जेल भी जा सकते हैं जैसा मुंबई जा रहे एक हवाई जहाज में यात्रा के दौरान हुआ।