अबू धाबी ग्लोबल मार्केट दुबई इंटरनेशनल फायनेंसियल सेंटर की ही तरह है जिसमें कई फंड असेट मैनेजमेंट कंपनी (संपदा प्रबंधन कंपनी) इंवेस्टमेंट बैंक (निवेश बैंक) स्थित हैं। डीआईएफसी में भारतीय कंपनियां तथा बैंकों की बड़ी संख्या है। हाल में, अबू धाबी ग्लोबल मार्केट अपने को तेजी से फैलाने और विभिन्न संस्थाओं को अपने अधिकार क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने तथा उन्हें अपने आफर को एक्सचेंज में रखने के लिए कंपनियों के साथ मिलकर काम करने में लगा हुआ है।
अबू धाबी ग्लोबल मार्केट (एडीजीएम) और कांफेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) ने भारत तथा यूनाइटेड अरब आमीरात के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए एक मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैडिंग (सहमति पत्र) तैयार किया था। यूएई तथा भारत के फाइनेंसियल टेक्नोलौजी के बीच आदान प्रदान के लिए एडीजीएम ने यस बैंक के साथ एमओयू (सहमति पत्र) किया है। इस सहयोग का उद्देश्य मध्य पूर्व क्षेत्र तथा भारत के फाइनेंसियल टेक्नोलोजी खोजकर्ताओं को एडीजीएम की रेगुलेटरी लेबोरेटरी (नियमन प्रयोगशाला) के साथ काम करने के लिए सक्षम बनाना है ताकि उन्हें एक दूसरे के बाजार में फैलाव का अवसर मिले।
भारत के लिए नए अबू धाबी फंड को आॅर्बिट वेंचर्स (एनओवीफ एसडीएम) तैयार कर रहा है। नए शुरू किए गए अबू धाबी फंड कंपनी की स्थापना भारतीय व्यापारी अजय जालान ने की है जो अबू धाबी ग्लोबल मार्केट के अधिकार क्षेत्र में काम करेगी। फंड कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक 150 अरब डालर खाड़ी क्षेत्र से एनआवीफ ईसडीएम इकðा करेगा। बाकी 50 करोड़ डालर भारत सरकार तथा अलग-अलग व्यक्तियों के एक निवेशक समूह से सुरक्षित किया जा चुका है। पिछले साल एनओवीएफ ने अपने फैब प्रोजेक्टों के लिए अग्रणी तकनीक प्रदान कर्ताओं यूएमसी (ताईवान) एएमडी (अमेरिका) टावर जाज (अमेरिका) तथा सेंट्ोथर्म पीवी (जर्मनी) के साथ टेक्नोलौजी लाइसेंस लेने वाले के रूप में एमओयू किया है।
प्रस्तावित फैब प्रोजेक्ट का प्रस्ताव पिछले अगस्त में भारत सरकार को सौंपा गया है और फंड कंपनी इस पर सैद्धंातिक स्वीकृति देने को लेकर विचार कर रहा है। जालान ने बताया। प्रोजेक्ट के लिए जमीन पर अंाध्र प्रदेश तथा गुजरात की सरकारों से बातचीत चल रही है। जालान के मुताबिक अलग फैब प्रोजेक्ट के विपरीत एनओवीएफ-2 का फोकस 2000 एकड़ के संकुल में सहायक निवेश के लिए अंत तक आपस में जुड़ा वैल्यू-चेन विकसित करना है।
प्रोजेक्ट का लक्ष्य भारत के तेजी से विकसित हो रहे इलेक्ट्ोनिक समानों तथा इसके पाटपुर्जो के बाजार के लिए जरूरी ढ़ांचा बनाना है। अर्नस्ट एंड यंग तथा इलेक्ट्ोनिक तथा सेमीकंडक्टर एसोसियशन के अध्ययन से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2016 में भारत ने 45 अरब डालर का इलेक्ट्ोनिक सामानों तथा पाटपुर्जो का आयात किया। इलेकट्रोनिक उपकरणों तथा इंटरनेट के तेजी से प्रसार के कारण साल 2022 तक भारत में इलोक्ट्ोनिक सामानोें की अनुमानित मंाग 400 अरब डालर की होगी।
‘‘चीन विश्व के 80 प्रतिशत इलेक्ट्रोनिक सामानों के उत्पादन के बाद अपनी सेमी कंडक्टर क्षमता का निर्माण कर रहा है। इसके विपरीत भारत अपनी जरूरत का भी 15 प्रतिशत उत्पादन नहीं कर रहा है। इलेक्ट्ोनिक तथा सेमी कंडक्टर वैल्यू एडिशन मैन्युफैंक्चरिंग नहीं के बराबर है।
भारत सरकार पिछले दशक से सेमी कंडक्टर क्षेत्र को विकसित करने तथा इसमें निवेश आकर्षित करने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहा है ताकि व्यापार असंतुलन तथा साइबर सुरक्षा के खतरे को कम किया जा सके। सरकार ने सेमी कंडक्टर की अपनी पहली नीति 2006 में बनाई और इसका मसविदा बनाने में जालान भी शामिल थे। एक सेमी कंडक्टर स्टार्ट अप के सीएफओ के रूप में जालान ने एक अरब डालर का निवेश भी इकðा किया था और फैब का निर्माण शुरू किया था। लेकिन 2008 की लेमैन संकट के कारण इस प्रयास ने अपनी ताकत खो दी।
‘‘सेमीकंडक्टर फैब एक जटिल प्रोजेक्ट होता है और यह तीन महत्वपूर्ण चीजों पूंजी, टेक्नोलौजी तथा सरकारी प्रयास पर आधारित होता है। एनओवीएफ ने तीनों चीजें हासिल कर ली है और तेजी से क्रियान्वयन की ओर बढ़ रहा है,’’ बोर्ड के चेयरमैन संजीव तनेजा ने कहा।
एटीएंडटी बेल लैब्स, कांडेंस तथा अल्काटेल ल्यूसेंट में काम कर चुके तनेजा ने बरसों का अनुभव अपनी टीम को उपलब्ध कराया है। ‘‘ इलेक्ट्ोनिक्स तथा सेमीकंडक्टर कंपनी तथा स्टार्ट-अप पिछले कुछ सालों में काफी मूल्य सृजित किया हैं उभरते उपयोग में नहीं लाई गई प्रतिभा के साथ भारत विश्व का दूसरा बड़ा बाजार है, ’’ वह कहते हैं।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि यह पहल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का भारत में नया युग है। उनके अनुसार, भारत के लिए फीडर फंड का लक्ष्य पूर्ण पारदर्शी तथा आत्मविश्वास के निर्माण के जरिए स्थानीय तथा क्षेत्रीय निवेशकों में विश्वास पैदा करना है। (संवाद)
सेमी कंडक्टर में निवेश
अबू धाबी की फंड कंपनी की पहल
के रविंद्रन - 2017-12-18 10:11
अपनी तरह की पहली पहल के रूप में अबू धाबी की एक फंड कंपनी सेमी कंडक्टर तथा इलेक्ट्रोनिक्स फैब की संरचना तैयार करने के लिए दो अरब डालर का एक सहायक फंड शुरू करेगी। यह पहली बार हुआ है कि अबू धाबी ग्लोबल मार्केट के अधिकार क्षेत्र से नियंत्रित फंड जीसीसी-स्थित निवेशकों की ओर से भारत स्थित फंड बनाया जा रहा है।