हद तो तब हो गई जब हार्दिक पटेल ने कहा कि वाईफाई के द्वारा सौ से ज्यादा इंजीनियर 5 हजार वोटिंग मशीनों के नतीजे गिनती के पहले बदलने के लिए भाजपा द्वारा नियुक्त किए गए हैं। पहले आरोप लगता था कि मतदान के समय ही ईवीएम से छेड़छाड़ करके ऐसा इंतजाम कर दिया जाता है कि बटन चाहे जो दबाओ वोट भाजपा को जाएगा। ऐसा कुछ मामलों में लोग देख चुके थे। एक बार तो मध्यप्रदेश की एक निर्वाचन अधिकारी जब ईवीएम मशीनों की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन पत्रकारों के सामने कर रही थीं उस समय भी लोगांे ने यही देखा कि बटन कोई दबाओ वोट भाजपा को जाता है। मशीन के उस बर्ताव को देखकर खुद निर्वाचन अधिकारी हंस पड़ी थी, क्योंकि उनको भी यह उम्मीद नहीं थी कि मशीन वैसा काम करेगी।
बहरहाल, खराब मशीनों द्वारा भाजपा के पक्ष में ही वोट पड़ने के कारण ईवीएम मशीनों पर सवाल खड़े होने लगे और वीवीपीएटी के इस्तेमाल की मांग उठी और कुछ लोग तो पुराने पेपर बैलट की मांग करने लगे। सुपी्रम कोर्ट के आदेश पर निर्वाचन आयोग ने सभी ईवीएम मशीनों के साथ वीवीपीएटी मशीन लगाने का फैसला किया है। यह जरूरी था, क्यांेंकि मतदाता को यह जानने का हक है कि जिसे वह वोट दे रहा है, उसका वोट उसे पड़ रहा है या नहीं। वीवीपीएटी उसके इस हक को सुनिश्चित करता है। वोट देने के बाद वीवीपीएट मशीन से एक पर्ची निकलती है, जिस पर वह चुनाव चिन्ह अंकित रहता है, जिसके लिए उसने वोट किया है। यदि कोई और चुनाव चिन्ह निकल जाए, तो मतदाता को पता चल जाता है कि उसका वोट कहीं और गया है और वह चुनाव अधिकारियों को इसके बारे में बता सकता है।
पर वैसी स्थिति तभी आ सकती है जब ईवीएम खराब हो और खराब ईवीएम को बदलने का विकल्प उस समय मौजूद रहता है। अब सभी वोटिंग मशीनों को ईवीएम से जोड़कर ही चुनाव कराया जाता है और इसके कारण अब मतदाताओं को पता चल जाता है कि उसका वोट उसे मिला या नहीं, जिसके लिए उसने वोट किया था।
यही कारण है कि ईवीएम मशीनों की प्रामाणिकता अब बढ़ गई है। वैसे यह आरोप अभी भी लगाया जा सकता है कि कहीं ऐसा तो नहीं हो रहा है कि वीवीपीएटी मशीन पर तो सही निशान आ रहा है, पर ईवीएम में वोट किसी और को जा रहा है। इस समस्या का समाघान यही हो सकता है कि किसी मशीन में अंकित वोट वीवीपीएटी पर्चियों के गिने गए वोट के बराबर हों। इसलिए यह मांग उठना स्वाभाविक है कि ईवीएम के मतगणनना नतीजों की जांच वीवीपीएटी मशीनों से निकली पर्चियों को गिनकर किया जाय।
इसके लिए निर्वाचन आयोग ने व्यवस्था कर रखी है। जैसा कि गुजरात विधानसभा चुनाव में किया गया। आयोग ने सभी 182 विधानसभा क्षेत्रों के एक एक मतदान केन्द्र के वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती करके मशीनों से आए नतीजों से मिलान किया और पाया गया कि वे शतप्रतिशत मेल खा रहे हैं। किस मतदान केन्द्र की पर्चियों की गणना हो, इसका निर्धारण लाॅटरी लगाकर किया गया। सभी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों के सामने ही ड्रा निकाला गया और पर्चियों की गणना हुई। इसलिए निर्वाचन आयोग पर किसी तरह का आरोप अब नहीं लगाया जा सकता है।
ईवीएम मशीनें हमारे देश में बहुत काम की है। हमारा देश बहुत बड़ी आबादी वाला देश है और यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है। मशीनों के कारण मतदान और मतगणना बहुत आसान हो गए हैं। मतदान के नतीजे आने में भी अब ज्यादा समय नहीं लगता। पहले जब कागज के मतदान पत्रों से चुनाव होते थे, तो लोकसभा चुनाव के मतगणना में कभी भी तीन दिन और तीन रातें लग जाती थीं। चुनाव शुरू होकर अगले दिन तक मतगणना होते रहना तो आम बात थी। इस बीच रात होती थी और अनेक किस्म के आरोप लगते थे कि बिजली गुल करके मतपेटियों को ही बदल दिए गए या मतपत्रों के बंडलों को इधर से उधर कर दिए गए। बढ़ती जनसंख्या और मतदाताओं द्वारा ज्यादा से ज्यादा मतदान करने के कारण यह अब मतपत्रों से चुनाव हो और उन्हें गिनकर नतीजे घोषित करने की नौबत आए, तो पहले से भी ज्यादा समय चुनावी नतीजे आने में लगंेगे और इस बीच मतदान केन्द्रों से बाहर या इलाके में पैदा तनाव से कानून व्यवस्था की समस्या अलग से होगी।
इसलिए गुजरात चुनाव में ईवीएम की प्रामाणिकता वीवीपीएटी मशीनों द्वारा साबित कर दिए जाने के बाद ईवीएम का विरोध बंद होना चाहिए। उस पर यदि किसी तरह का संदेह पैदा हो रहा हो, तो उस संदेह को दूर करने की हर संभव कोशिश निर्वाचन आयोग द्वारा की जानी चाहिए। निर्वाचन आयोग इस तरह का संशय दूर करने की स्थिति में अब आ गया है। वह वीवीपीएटी मशीनों की पर्चियों को गिनकर संशय को दूर कर सकता है।
एक मांग उठ रही है कि 25 फीसदी मशीनों की वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती हो। इस तरह की मांग लेकर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में पहुंची थी, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि जब चुनावी प्रक्रिया शुरू है, तो वह निर्वाचन आयोग के काम में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इसलिए कांग्रेस की इच्छा के अनुसार 25 फीसदी मशीनों के नतीजों का मिलान वीवीपीटी पर्चियों से नहीं किया गया, लेकिन जो भी मिलान हुआ है, वह यह साबित करने के लिए काफी है कि गुजरात के चुनाव में ईवीएम की जीत हुई है और उसके साथ कोई छेड़छाड़कर नतीजों को प्रभावित नहीं किया गया। (संवाद)
ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाना बंद होना चाहिए
निर्वाचन आयोग ज्यादा वीवीपीएटी मशीनों से मिलान करे
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-12-20 11:25
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजे आने के पहले ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाए जा रहे थे। हार्दिक पटेल सवाल उठाने वालों में सबसे मुखर थे। एक्जिट पोल में जिस तरह के नतीजे दिखाए जा रहे थे, उन्हें देखर हार्दिक व उनके जैसे अन्य संशयवादियों को लग रहा था कि भाजपा का प्रदर्शन जब बहुत अच्छा नहीं था, तो फिर उसे 120 या 135 सीटें कैसे आ सकती हैं। गौरलतब हो कि कई बार सटीक नतीजे देने वाला चाणक्य टुडे भारतीय जनता पार्टी को 135 सीटों पर जीतता दिखा रहा था।