पूर्व में मत पत्र प्रक्रिया जटिल एवं देर से परिणाम देने वाली रही जब कि आज की मतदान प्रकिया में जारी इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशाीन से कुछ पल में ही परिणाम आने लगते । कई वर्षो से केन्द्र में कांग्रेस के शासन काल से ही जारी ईवीएम से मतदान कराने की यह आधुनिक प्रणाली देश में लागू है। जिसके परिणाम संतोषजनक एवं बेहतर रहे है ।

पर जब -जब देश में चुनाव होते है तो जिस राजनीतिक दल को चुनाव में बहुमत मिल जाता है , उसकी तो बल्लंे - बल्लें । उसके लिये ईवीएम सही और जो जनमत में पिछड़ जाता है, वह ईवीएम पर हैक होने का आरोप लगाने लगता है। इस प्रक्रिया से चुनाव आयोग विवादों के घेरे में आ जाता है। विगत अंतराल में जब भी चुनाव ईवीएम द्वारा हुआ है , इस तरह के आरोप ईवीएम पर लगते रहे है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप पार्टी को जब सर्वाधिक जनादेश मिला जहां देश के बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस एवं भाजपा पिछड़ गई तब तो ईवीएम सही रही वहीं अन्य चुनावों में आप अन्य राजनीतिक दलों से पीछे रही तो वहीं ईवीएम आप के आरोपों के घेरे में आ गई। जगह -जगह आप ने ईवीएम हैक होने तौर तरीके का प्रदर्शन किया। यूपी विधानसभा चुनाव में नोटबंदी के प्रभाव से कालेधन पर अचानक रोक से जनमत में भापजा को सर्वाधिक लाभ मिला तो इस हालात के लिये वहां की सŸाा पर वर्षो कब्जा जमाने वाले राजनीतिक दल बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने ईवीएम के हैक होने का आरोप लगाया। गुजरात चुनाव में भी जहां पूरे देश की नजर टिकी हुई थी, जहां चुनाव के दौरान भावनात्मक प्रवाह में जनमानस को उलझाया गया जिसका प्रभाव चुनाव पर पड़ा भी जिसके वजह से भाजपा को जनमत में राजनीतिक लाभ भी मिला पर यहां भी ईवीएम पर हैक होने का आरोप लगा । इस तरह के हालात आगामी चुनावों में ईवीएम को लेकर उठते रहेगे , इसकी पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगते रहेंगे। इसके पूर्व जब देश में मतदान मतपत्र द्वारा होता था तब भी यह प्रक्रिया विवादों के घेरे में उलझी रहती। इस प्रक्रिया में मतदान के दौरान बाहुबलियों द्वारा मतदान केन्दों पर बुथ कब्जा कर लेना, मतपेटी को उठा ले जाना ,एक तरफा मतदान की प्रक्रिया बना देना, मत पत्रों केा फाड़ देना आम बात रही है । मतदान उपरान्त मतपत्रों की गिनती के दौरान धांधली होने के आरोप लगते रहे है एवं मत परिणाम आने में कई दिन लग जाते। इस प्रक्रिया में आई ढ़ेर सारी त्रुटियों को देखते हुए ही चुनाव को ज्यादा से ज्यादा सरल व निष्पक्ष बनाने की प्रक्रिया में ईवीएम मशीेन का प्रयोग चुनाव आयोग द्वारा किया जाने लगा। इस प्रक्रिया से मत पत्र फाड़ने एवं मतपेटी उठाने की घटना तो रूक गई, परिणाम भी जल्द आने लगे । पर इस प्रक्रिया में भी बाहुबलियों के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता । जहां विपक्ष कमजोर है एवं चुनाव कराने वाले अधिकारी सŸाा पक्ष के पक्षधर हो ईवीएम में भी एकतरफा कार्यवाही हो सकती है। अभी इस तरह के हालात अभी उभर कर सामने नहीं आये है पर भविष्य में मतपत्रों की तरह ही एक प्रक्रिया दूषित हो सकती है।

इस तरह के परिवेश पर उठते सवाल एवं मांग के तहत मतदान की दोनों प्रक्रियाओं पर मंथन जरूरी है । मतपत्र द्वारा मतदान करने की प्रक्रिया ईवीएम प्रक्रिया से कम जटिल एवं खर्चीली साबित हुई है । पूर्व प्रक्रिया से इस आधुनिक प्रक्रिया में समय एवं श्रम दोनों की बचत है । पूर्व प्रक्रिया से यह आधुनिक प्रक्रिया सबसे ज्यादा विश्वसनीय साबित हुई है। चुनाव के दौरान समाज के राजनीति से जुड़े असमााजिक तत्वों द्वारा मतपत्र फाड़े जाने, मत्रपत्रों से भरी मतपेटियों को कब्जा किये जाने एवं मतगणना के दौरान मतपत्रों को गायब करने की प्रक्रिया से प्रायः सभी भलीभॅति है। इस तरह की प्रक्रिया आज के आधुनिक प्रणाली में संभव नहीं है । अवैध समूहों द्वारा मतदान केन्दों पर कब्जा किये जाने की प्रक्रिया दोनों प्रणाली में संभव है पर मतगणना के दौरान मतपत्र प्रणाली से ईवीएम प्रणाली ज्यादा बेहतर एवं निष्पक्ष साबित हुई है । आज का मानव जब उंची उड़ान की बात सोचता है तो मतदान कराने की आधुनिक ईवीएम प्रणाली के वजाय फिर से मतपत्रों द्वारा मतदान कराये जाने की मांग करना यथोचित प्रसंग नहीं हो सकता । इस दिशा में ईवीएम को बेहतर आधुनिक प्रणाली से जोड़कर प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाया जा सकता है। इस दिशा में इस इ्रवीएम मशीन को आधार से जोड़ देने से ईवीएम प्रकिया बेहतर साबित हो सकती । आधार में हर व्यक्ति के अंगूठे सहित दशों अंगुलियों के निशान शामिल होते है जो अलग - अलग होते है। ईवीएम मशीन को आधार प्रक्रिया से जोड़कर निष्पक्ष मत देने की प्रक्रिया युक्त बनाया जा सकता हेै । तब किसी के मन में भी ईवीएम हैक होने का न संदेह होगा न बाहुबलियों का प्रभाव इस पर काम कर पायेगा । चुनाव आयोग को इस दिशा में विचार करना चाहिये जिससे आगामी चुनावों को निष्पक्ष पृृष्ठिभूमि में उभरने का अवसर मिल सके । (संवाद)