पीयू रिसर्च सर्वे के मुताबिक, भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा मानता है कि भारत के मुख्यधारा मीडिया में की जा रही रिपोर्टिंग ‘‘निष्पक्ष तथा वास्तविकत पर आधारित’’ हैं। इसके अनुसार, सभी मापदंडों पर भारतीय मीडिया अमरिकी मीडिया से आगे है।

सर्वे के नीतीजे उस समय आए हैं जब ट्रंप ने गलत रिपोर्टिंग करने वाले मीडिया संस्थानों को ‘‘फजी मीडिया’’ अवार्ड देने की घोषणा की है। ट्रंप पहले ही सीएनन, न्यूयार्क टाइम्स तथा वाशिंगटन पोस्ट जैसे मीडिया संगठनों की पहचान फर्जी मीडिया के रूप में कर चुके हैं।

पीयू सर्वे बताता है कि 72 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि भारतीय मीडिया सरकार का कवरेज बेहतर है। यह बकवास नही ंतो और क्या है? भारत का टेलीविजन मीडिया के सरकार समर्थक तथा सरकार विरोधी खेमें में बंटे होने के लिए बदनाम है।

अगर जी न्यूज के साथ रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ पूरी तरह भजपा के खेमे में हैं तो आज तक, इंडिया टीवी, इंडिया ंटुडे टीवी तथा सीएनएन न्यूज 18 मेंड़ पर खड़े हैं। एनडीटीवी, जो सदैव कांग्रेस के साथ रहा है, ने पिछले कुछ महीनों से अपने को सरकार के पक्ष में ‘‘सुधार’’ लिया है। इसका हिंदी संस्करण अभी भी कांग्रेस की ओर झुका है।

इन टीवी चैनलों तथा दूसरे चैनलोें में ‘‘निष्पक्ष तथा संतुलित’’ कवरेज बिल्कुल नहीं है। सरकार की लाइन का समर्थक करने वाले इकाइयों की संख्या विरोध करने वालों से ज्यादा है।

जहंा तक भारत के प्रिंट मीडिया का सवाल है, वे टीवी चैनलों के मुकाबले ज्यादा निष्पक्ष तथा वास्तविकता-आधारित हैं, कम से कम रिपोर्टिंग के मामले में, भले ही उनके संपादकीय इस पर निर्भर होते हैं कि अखबार कौन सा है और वह जिस क्षेत्र से निकलता है वहंा किस पार्टी की सरकार है।

पीयू सर्वे का कहना है कि जहां विश्व स्तर पर 62 प्रतिशत लोगों का विश्वास है कि मीडिया संस्थाओं की ओर से की जा रही रिपोर्टिंग ‘‘सही’’ है, भारत में 80 प्रतिशत ने भारतीय मीडिया संस्थाओं को ‘‘सही’’ बताया है, सिर्फ सात प्रतिशत लोगों के इसका उलटा लगता है।

स्ंायुक्त राज्य अमेरिका में 43 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनका मीडिया ‘‘वास्तविकता आधारित तथा सही’’ नहीं है। हालांकि, बहुमत (56 प्रतिशत) यह मानता है कि मुख्यधारा का मीडिया वास्तविकता-आधारित तथा निष्पक्ष खबरें देता है।

पियू ने कहा है कि 65 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि मीडिया राजनीतिक मुद्दों का रिपोर्टिंग निष्पक्षता से करता है। नेताओं के बारे में सही रिपोर्टिंग हेाने की बात मानने वाले 72 प्रतिशत तथा खबरों को सही रूप में देने की बात मानने वाले 80 प्रतिशत हैं। इसी तरह दिन की सबसे महत्वपूर्ण खबर को निष्पक्ष ढंग से प्रसारित होने को लेकर 72 प्रतिशत को भरोसा है।

पियू के मुताबिक, इन सभी मानदंडों पर भारतीय मीडिया अमेरिकी मीडिया मे बेहतर नजर आया है। अमेरिका में ऐसा मानने वालों का प्रतिशत 47, (राजनीति मामलों की रिपोर्टिंग ) 58 प्रतिशत (सरकार के नेताओं तथा अधिकारियों की रिपोटिंग) तथा 56 प्रतिशत (सही खबर) तथा 61 प्रतिशत (सबसे मुख्य खबर)।

पियू सर्वे ने कहा है कि 72 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि सरकार की भारतीय मीडिया में रिपोर्टिंग बेहतर हो रही है। सिर्फ 10 प्रतिशत भारतीयों को यह बेहतर नहीं लगती है जब कि सरकार के कवरेज को गलत मानने वाले अमेरिकियों का प्रतिशत 41 है। वैश्विक स्तर पर 39 प्रतिशत लोग सरकारों की कवरेज से संतुष्ट हैं।

दूसरी ओर, अमेरिका के 58 प्रतिशत लोग वहां की सरकार के मीडिया कवरेज को बेहतर मानते हैं, जो सरकारों के कवरेज को सही मानने वालों वैश्विक औसत 59 से कम है।

भारत में सिर्फ 16 प्रतिशत लोग ऐसा मानते हैं कि राजनीतिक मामलों की रिपोर्टिंग सही ढंग से नहीं की जा रही है जबकि इसे सही मानने वाले का अमेरिका में 65 प्रतिशत है। अमेरिका में ये अंाकड़े क्रमशः 52 प्रतिशत तथा 47 प्रतिशत है जबकि विश्व स्तर पर ये क्रमशः 44. प्रतिशत तथा 52 प्रतिशत है।

पियू के मुताबिक स्थनीय खबर देखने वालों का प्रतिशत काफी ज्यादा (61 प्रतिशत) है जबकि अमेरिका में यह 40 प्रतिशत है और विश्व स्तर पर ऐसे लोगों की संख्या 37 प्रतिशत है।

सर्वे किए गए ज्यादातर देशों में स्थानीय खबरों में रूचि राष्ट्रीय खबरों में रूचि के बराबर या कम हैं। भारत और इडोनेशिया ही ऐसे देश हैं जहां स्थानीय खबरों को लोग राष्ट्रीय खबरों के मुकाबले ज्यादा देखते हैं।

पियू ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर सोशल मीडिया पर खबर देखने वाले लोगों का प्रतिशत 35 है जबकि 13 प्रतिशत लोग दिन में एक बार भी इसे नहीं देखते। भारत में 52 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे खबरों के लिए कभी भी सोशल मीडिया साइट का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सिर्फ 15 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर रोज खबरें देखते हैं। इसमें लिंग भेद भी है। मर्दो के 22 प्रतिशत के मुकाबले सिर्फ 8 प्रतिशत औरतें ही रोज की खबरें सोशल मीडिया पर देखती हैं। (संवाद)