देश की सबसे ज्वलंत समस्या रोजगार की है, जहां रोजगार देने के संसाधन उद्योग एवं व्यापार दोनों धीरे -धीरे समाप्त होते जा रहे है। व्यापार एवं बाजार पर विदेशी प्रभाव बढ़ता जा रहा है तथा अधिकांश रोजगार देने वाले बड़े -बड़े उद्योग बंद होते जा रहे है। देश के उद्योगपति उदासीन नजर आ रहे है जो नये उद्योग यहां लगाने के मुड में दिखाई नहीं दे रहे है। जो उद्योग संचालित है, उनमें भी दिन पर दिन गिरावट आती जा रही है, जिससे छटनी का महौल बना हुआ है। देश में नये उद्योग आ नहीं रहे है, जो चल रहे है वहां नर्ह भर्तियां हो नहीं रही है। इस तरह के हालात में बेरोजगारी का बढ़ना स्वाभाविक है। जब कि नये- नये खुले शिक्षा केन्द्र से हर क्षेत्र में प्रति वर्ष बहुतायत युवा पीढ़ी रोजगार के लिये तैयार हो रही है, जिनके आगे रोजगार पाने की गंभीर समस्या बनी हुई है। जिनकी जेबें तो खाली है पर रोजगार के लिये आवेदन शुल्क से लेकर साक्षात््कार तक लूट ही लूट है। इस तरह के मसले पर युवापीढ़ी को रोजगार देने एवं रोजगार पाने के मार्ग में आने वाले आर्थिक व्यवधान दूर करने की दिशा में बजट में सरकार क्या प्रावधान लाती है , विचारणीय पहलू है। इसी तरह अप्रत्यक्ष रोजगार देने के क्षेत्र में आने वाले व्यापार एवं बाजार जगत को पनपाने तथा विदेशी प्रभाव से मुक्त कराने की दिशा में सरकार बजट में क्या प्रावधान लाती है ? बजट में बड़े उद्योंगो को फिर से बचाने एवं नये उद्योग लगाने के लिये देश के उद्योगपतियों को प्रोत्साहित करने के प्रयास का प्रावधान होना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके।
आज भारतीय बाजार की हालत नाजुक दौर से गुजर रही है। वहां मुनाफाखोंरों का सम्राज्य कई वर्षो से संचालित है जिसकी वजह से किसानों को आजतक अपनी फसल का सही कीमत नहीं मिल पाई है और देश का अन्नदाता किसान आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। वह हमेशा कर्ज में डूबा रहता है, जिसकी वजह से किसानों की आत्महत्या के कई प्रसंग उभर कर सामने आये है। इस वर्ग को इस समस्या से निजात दिलाने के लिये सरकार बजट में क्या प्रवधान लाती है जिससे किसानों को अपनी फसल का वास्तविक लागत मूल्य से जयादा मूल्य मिल सके जिससे किसी किसान को आर्थिक तंगी के कारण फिर से आत्महत्या की नौबत नहीं आये ।
आज देश में विदेशी सामानों कीे भरमार है। उसकी वजह से भारतीय खजाने से विदेशी मुद्रा विदेश जा रही है। बाजार की इस खुली नीति के तहत प्रतिस्पद्र्धा की इस दौड़ में अपने आप को भारतीय बाजार में खड़ा करना समय की मांग है। इसके लिये देश में लधु उद्योग को बढ़ावा देना जरूरी हो गया है। चीन की तरह जब भारत में भी घर - घर लघु उद्योग की स्थापना होगी एवं बाजार में विदेशी सामान के मुकाबले सस्ते एवं गुणवता वाले सामान उपलब्ध होंगे तभी हमारा बाजार बेहतर परिणाम दे पायेगा। इस दिशा में बजट में प्रावधान होना चाहिए जिससे देश में लघु उद्योग का सपना साकार हो सके। इस दिशा में लघु उद्योग की स्थापना में बढ़़ते कदम के आगे आने वाली तमााम जटिलताओं को दूर करने के प्रावधान बजट में होना चाहिए ।
बजट पर आम वर्ग के साथ - साथ नौकरी पेशा से जुड़े लोगों की नजर भी टिकी रहती है, जो बजट में आयकर छूट दिये जाने पर विशेष ध्यान रखते है। तमाम टैक्स के बदले सरकार ने एक टैक्स जीएसटी लाने का प्रयास किया पर इसकी जटिलताएं आम आदमी के समाने और समस्या पैदा कर रही हैं, जिससे बाजार में सामान आम उपभोक्ता को पहले से महंगा मिलने लगा। आखिर ऐसा क्यों हुआ ? बजट के दौरान इसपर चर्चा किया जाना जरूरी है। आज बाजार सभी के लिये एक है पर वेतन पाने वालों में विभिन्नताएं है। बाजार पर नियंत्रण होना चाहिए जिससे आम आदमी को राहत मिल सके ।
आम बजट में रेल बजट भी जुडा हुआ है जहां आम आदमी आज की रेल व्यवस्था से ज्यादा दुःखी नजर आ रहा है। ट्रेन कीे संख्या तो दिन पर दिन बढ़ती जा रही है पर पटरी का विकास उसके अनुरूप नहीं हो पाया है जिसके कारण आज ट्रेन सबसे ज्यादा आपस में टकराती एवं देर से पहुचने के मुकाम पर पहुंच चुकी है। सरकार बुलेट ट्रेन लाने की बात तो कर रही है पर पहले भारतीय रेल को सही हालत में संभालना उवं संवारना जरूरी है जिसके लिये बजट में विशेष प्रावधान होना चाहिए।
जनोपयोगी बजट ही आम आदमी को राहत दे पायेगा । बजट में फिलहाल आम आदमी को टैक्स की जटिलताएं से मुक्ति, बाजार में महंगाई से राहत एवं युवा वर्ग को रोजगार देने के प्रावधान होना चाहिए। (संवाद)
जनोपयोगी बजट ही आम आदमी को राहत दे पायेगा
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-01-19 13:29
केन्द्र सरकार फरवरी माह में आम बजट लाने की तैयारी कर रही है। यह बजट इस सरकार के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा। इस वर्ष देश के अधिकांश भाग में विधानसभा चुनाव है और उनमें से ज्यादा में भाजपा की सरकार क्रियाशील है। आगामी वर्ष में लोकसभा के चुनाव भी होने है । गुजरात चुनाव उपरान्त देश का हर चुनाव केन्द्र की भापजा शासित सरकार के लिये चुनौती बना हुआ है। केन्द्र की नई आर्थिक नीति के तहत जारी बैंक नीति एवं जीएसटी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के ज्यादा आसार बनते दिखाई दे रहे है, जिसके लिये केन्द्र सरकार आंतरिक मन से ज्यादा चिंतित नजर आ रही है। बजट में इस गंभीर मुद्दे को लेकर चर्चा हो सकती है। एक तरह से यह चुनावी बजट भी हो सकता है जहां सरकार आम आदमी को विशेष राहत देने की भरपूर कोशिश करेगी पर बजट में आम आदमी को कितना राहत वर्तमान सरकार दे पायेगी, बजट उपरान्त ही पता चल पायेगा ।