2012 और 2013 में, छत्तीस गांवों के 405 किसानों से लगभग 1,200 एकड़ जमीन - एनटीपीसी थर्मल पावर प्लांट के निर्माण के लिए चोर बरहता, मेहरखेड़ा, उमारिया, डोंगरगांव, कुड़ारी और गंगाई में अधिग्रहण की गईं। किसान मुआवजे के साथ अधिग्रहीत भूमि के लिए निगम में नौकरी की मांग कर रहे हैं।

नौकरी के अलावा, किसानों की मांगों में शामिल एससी और एसटी अत्याचार अधिनियम की रोकथाम अधिनियम के तहत 17 किसानों के खिलाफ थप्पड़ मारने वाले मामलों की वापसी भी है। इस बीच रविवार को यशवंत सिन्हा, किसान नेता शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी अन्य किसान प्रतिनिधिय और एनटीपीसी प्रबंधन व वरिष्ठ जिला अधिकारी के साथ एक बैठक नरसिंहपुर शहर के सर्किट हाउस में आयोजित की गई।

नरसिंहपुर जिले के कलेक्टर अभय कुमार वर्मा के अनुसार, विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के साथ हर दिन बातचीत की जा रही है। एनटीपीसी ने अपनी ओर से वह पेशकश की है जिससे ज्यादा पेशकश की ही नहीं जा सकती। उन्होंने किसानों को ठेके पर नौकरियों की पेशकश की है उन्होंने उन किसानों को दुकान आबंटन में प्राथमिकता देने का वायदा किया है, जिनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी।

सिन्हा के अलावा, किसान नेता शिवकुमार शर्मा उर्फ काक्का जी, आम आदमी पार्टी के राज्य संयोजक आलोक अग्रवाल और अन्य नेताओं ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। धरने पर पर बैठने के लिए शत्रुघ्न सिन्हा भी रविवार की रात कलेक्टरेट परिसर में पहुंचे और विरोध करने वाले किसानों को अपना समर्थन दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वे इस मुद्दे को दिल्ली में उठाएंगे।

चैहान को एक और शर्मिंदगी का सामना कहीं और से नहीं, बल्कि राज्य के नवनिर्धारित राज्यपाल आनंददीबेन पटेल के कारण करना पड़ा। पद पर बैठने के पहले दिन से ही वह कुछ इस तरह व्यवहार कर रही है, मानो प्रदेश की सरकार की मुखिया वही हों। शपथ लेने के दि नही, उन्होंने कुछ संस्थानों का दौरा किया। राज्यपाल ने निर्देश जारी किए हैं कि प्रिंसिपल व अन्य सचिवों को राजभवन में उनसे मिलने के लिए हिा गया। उनके संबंधित विभागों की रिपोर्ट का पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी राज्यपाल के सामने करने को कहा। राज्यपाल का यह कदम असामान्य था। परंपरा के अनुसार राज्यपाल को राज्य का सजावटी प्रमुख माना जाता है। राज्यपाल से दिन-प्रतिदिन प्रशासन में रुचि लेने की उम्मीद नहीं की जाती है। इस प्रकार, आनंदीबेन जो कर रही हैं वह संविधान के खिलाफ तो नहीं है पर परंपरा के खिलाफ है। चूंकि वह फाइलों को देख रही हैं और उन्हें ऐसी कुछ चीज मिल सकती है जिससे मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े।(संवाद)