गोरखपुर सीट को योगी आदित्यनाथ और फुलपुर को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने खाली किया था। गोरखपुर में जीत योगी आदित्यनाथ के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने इस सीट को लगातार पांच बार जीता था। उप-चुनाव योगी आदित्यनाथ सरकार की लोकप्रियता का भी परीक्षण करेगा, जो मार्च में एक साल पूरा कर रही है।
जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा और विपक्षी दल दोनों अलग-अलग जातियों के समर्थन पर भरोसा कर रहे हैं। योगी ने अपने समुदाय से जुड़े अधिकारियों को नौकरशाही में सभी महत्वपूर्ण पदों को देकर एक आक्रामक ठाकुर कार्ड खेला था, जिससे ब्राह्मण समुदाय के अधिकारी नाराज हो गए। बाद में पार्टी ने गोरखपुर के प्रमुख ब्राह्मण चेहरा शिव प्रताप शुक्ला को राज्यसभा का सदस्य बनाकर केंद्र में उन्हें मंत्री बनाया।
भाजपा शक्तिशाली ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के प्रभाव को बेअसर करने का प्रयास कर रही है, जो संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार हो सकते हैं। तिवारी को योगी आदित्यनाथ ने अपमानित किया था जब पुलिस ने कुछ अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए उनके घर पर छापेमारी की थी।
उम्मीद है कि गोरखपुर में उम्मीदवार के चयन में योगी को महत्व दिया जाएगा। कम से कम भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने से पहले योगी की राय जरूर लेगा।
चूंकि भाजपा पहली बार फुुलपुर जीती थी इसलिए सीटों को बनाए रखने के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी। केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के राज्य अध्यक्ष थे, जब उन्होंने यह सीट जीती थी। बाद में उन्हें उपमुख्यमंत्री के पद पर बैठाया गया।
देश के पहले प्रधानमंत्री  जवाहरलाल नेहरू इस सीट का कभी प्रतिनिधित्व किया करते थे। 80 और 90 के दशक के दौरान जनता दल, सपा और बसपा ने पिछड़े, दलित और मुस्लिमों के समर्थन से इस क्षेत्र मंे जीत हासिल की थी। केशव प्रसाद मौर्य 2014 लोकसभा चुनाव में कुमी और मौर्य समुदायों के समर्थन से जीते थे।
उपचुनाव निश्चित रूप से लोगों को योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यालय के पहले वर्ष के प्रदर्शन पर अपनी राय व्यक्त करने का मौका देेगे। यह अगले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के प्रदर्शन की भी झांकी देगा।
रोजगार सृजन में मोदी सरकार का निराशाजनक रिकॉर्ड और योगी सरकार की कानून-व्यवस्था उपचुनावों में के बडे़ मुद्दे हो सकते है। सरकार और पुलिस प्रशासन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार भी महत्वपूर्ण मुद्दों में एक होगा। (संवाद)
        
            
    
    
    
    
            
    उत्तर प्रदेश के उपचुनाव: भाजपा और विपक्ष की परीक्षा की घड़ी
प्रदीप कपूर - 2018-02-15 13:22
                                            लखनऊः गोरखपुर और फूलपुर की दो सीटों के लिए 11 मार्च को होने वाले लोकसभा उपचुनाव योगी आदित्यनाथ सरकार और विपक्ष दोनों के लिए एक परीक्षण का समय साबित होगा। परिणाम अगले साल लोकसभा चुनावों की भूमिका भी तैयार कर देगा।