पार्टी उम्मीदवारों की हार की वजहों पर कोई स्पष्टता नहीं है। योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि उनकी पार्टी अति आत्मविश्वास का शिकार बन गई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि पार्टी के उम्मीदवारों की हार के लिए कम मतदान जिम्मेदार था। उन्होंने एक प्रमुख कारण के रूप में बूथ प्रबंधन की कमजोरी को भी गिनाया।
गोरखपुर में अपमानजनक हार के बाद, भाजपा नेता और प्रवक्ता आईपी सिंह ने पार्टी नेतृत्व पर हमला करते हुए गलत उम्मीदवारों के चयन का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी चाहते थे कि टिकट अपने समर्थक को दिया जाए, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उपेंद्र दत्त शुक्ला को चुना, जिनके पास समर्थन कम था। यदि पार्टी नेतृत्व ने मुख्यमंत्री का समर्थन पाने वाले किसी व्यक्ति को टिकट दिया होता तो भाजपा ने गोरखपुर को अपने पास बनाए रखा होगा, उन्होंने कहा।
इसी प्रकार फूलपुर में, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के समर्थकों ने पार्टी के उम्मीदवारों की हार के लिए नेतृत्व को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि पार्टी इस बार भी सीट जीत लेती, अगर केंद्रीय नेतृत्व मौर्य की सलाह को गंभीरता से लेता।
हालांकि केंद्रीय नेतृत्व और योगी नतीजे से नाराज हैं, पर साधारण कार्यकर्ता खुश हैं क्योंकि उनकी कड़ी मेहनत को पार्टी नेतृत्व नजरअंदाज कर रहा था। उनका मानना है कि उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत के कारण ही 2017 के चुनाव में पार्टी को अपने समर्थक दलों के साथ 325 सीटों पर जीत हासिल हुए थी, लेकिन नेता लोग अपने अहंकार मे उनके योगदान को भूल गए थे।
योगी आदित्यनाथ परिणामों से इतने नाराज हैं कि उन्होंने अपने शासन के एक वर्ष के लिए उत्सव मनाने के कार्यक्रमों को छोटा कर दिया। शुरू में योजना बनाई गई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को एक भव्य समारोह में आमंत्रित किया जाएगा। लेकिन उपचुनावों में अपमानजनक हार ने उनके स्प्रिट को कम कर दिया है।
पार्टी को एक और झटका लगा जब कैबिनेट मंत्री और गठबंधन के सहयोगी ओम प्रकाश राजभर ने समारोह के बहिष्कार की घोषणा कर दी। वह राज्यसभा में द्विवार्षिक चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार का समर्थन नहीं करने की धमकी दे रहे थे। हालांकि अमित शाह से मिलने के बाद उनके सुर बदल गए।
ओम प्रधान राजभर के चार विधायक हैं और उनका समर्थन भाजपा के नौवें उम्मीदवार अनिल अग्रवाल के लिए महत्वपूर्ण है। राजभर ने विशेष रूप से थाना स्तर पर राज्य पुलिस के खिलाफ गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी में बहुत उत्साह है। अखिलेश और बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की तस्वीरों को लेकर लोग लखनऊ के पार्टी मुख्यालय और अन्य जगहों पर जुलूस निकाल रहे हैं।
हालांकि, अखिलेश यादव ने 2019 की लोकसभा के चुनाव के लिए बसपा के साथ गठबंधन जारी रखने का संकेत दिया है, यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चैधरी ने एक सार्वजनिक मंच पर घोषणा की कि उनकी पार्टी बसपा और समान विचारधारा वाले पार्टियों के साथ मिलकर काम करेगी। मायावती को प्रधानमंत्री और अखिलेश को यूपी का मुख्यमंत्री बनाते हुए बसपा कार्यकर्ता मोदी और योगी को हटाने और राज्य को एक ऐसी सरकार प्रदान करने की बात कर रहे हैं जो सामाजिक न्याय के लिए काम करेगी।
कांग्रेस दोनों जगहों पर पार्टी उम्मीदवारों के खराब प्रदर्शन से हैरान हुई है, खासकर फूलपुर में जो जवाहर लाल नेहरू का कभी निर्वाचन क्षेत्र था। हालांकि केंद्रीय और राज्य नेतृत्व सपा या बसपा के साथ गठबंधन के खिलाफ है, कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा हिस्सा पार्टी को गठबंधन में शामिल करना चाहता है। (संवाद)
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के हौसले बुलंद
योगी सरकार के उत्सव के रंग में पड़ा भंग
प्रदीप कपूर - 2018-03-21 19:19
लखनऊः गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में विजयी होने के बाद सपा और बसपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उत्साही मनोदशा के विपरीत भाजपा के मंत्रियों और नेताओं के मनोबल में तेज गिरावट आई है। गिरावट इतनी थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिनों के अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए। उनके मंत्रियों ने शर्मिंदगी से मुक्त होने के लिए सार्वजनिक कार्यों में भाग लेने से अपने को दूर रखा।