दिल्ली के विशाल इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में आयोजित अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की पदोन्नति को मंजूरी दी गई। यह वैसे समय में हुआ जब देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने इतिहास के सबसे कठिन समय से गुजर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसे केवल 44 सीटें ही मिली थीं। पंजाब और कर्नाटक के अलावा उसके पास इस समय मिजोरम और पुदुच्चेरी में ही उसकी सरकार है।
गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा को मजबूत चुनौती देने और राजस्थान के उपचुनावों में जीत के बाद राहुल और उनकी पार्टी को थोड़ी राहत मिली है। बीजेपी उत्तर प्रदेश में बेचैन दिख रही है। मई में कर्नाटक में विधानसभा का चुनाव होगा। उसके बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी इसी साल चुनाव होंगे। यदि कांग्रेस कर्नाटक को बरकरार रखती है और तीन उत्तरी राज्यों में जीतती है तो पार्टी लोकसभा के आगामी आम चुनाव में बड़े हौसले के साथ मैदान में उतरेगी।
कांग्रेस अपने 133 साल के इतिहास के सबसे खराब संकट से बाहर आने का प्रयास कर रही है। पिछले अधिवेशन में इसने भविष्य के लिए एक एजेंडा तैयार करने की पूरी कोशिश की। पार्टी के नये अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने भाषण को अबतक का सबसे आक्रामक भाषण बना दिया। उन्होंने एक साथ भाजपा पर ताबड़तोड़ हमले किए। उन्होंने भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए देश के आर्थिक कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार एवं लोकतांत्रिक संस्थाओं मे हो रहे क्षरण को निशाना बनाया।
उन्होंने प्रतीकात्मक बिम्बों का सहारा लेकर भी भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने नरेंद्र मोदी झूठ बोलने वाला प्रधानमंत्री बताते हुए आगामी लोकसभा चुनाव को सत्य और झूठ के बीच युद्ध के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा कांग्रेस पांडवों की तरह थी, जिन्होंने अपना सबकुछ खो दिया है लेकिन चूंकि वह सच्चाई के साथ थी और उसके लिए ही लड़ रही थी, इसलिए उस समय भी जीत पांडवों की हुई और इस बार भी जीत पांडवों की ही होगी।
राहुल के भाषण, सोनिया गांधी का संबोधन और बैठक में अपनाया गया राजनीतिक और आर्थिक संकल्प सामूहिक रूप से 2019 के कांग्रेस के एजेंडे को स्पष्ट करता है। पार्टी की मुख्य रणनीति ‘व्यावहारिक’ गठबंधन होगी। अपनी कमजोरियों को स्वीकार करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि भाजपा विरोधी वोटों के विखंडन को रोकने की जरूरत है जाहिर है समझौते को लेकर अपने खुले रवैये को दोहराया गया है। पार्टी अर्थव्यवस्था की दुरवस्था, विकास में स्थिरता और रोजगार सृजन में मोदी सरकार की विफलता को मुख्य मुद्दा बनाने जा रही है। मोदी पर वादा खिलाफी के आरोपों पर भी जोर दिया जाएगा। पार्टी अपना ध्यान किसानों और युवकों पर खास रूप से लगाएगी।
कांग्रेस को पांडव और भाजपा को कौरव बताकर आगामी लोकसभा चुनाव को महाभारत बताने के प्रतीक शायद कांग्रेस के काम आ जाए। (संवाद)
राहुल गांधी का ‘पांडव’ शायद काम करे
कांग्रेस 2019 के चुनाव को महाभारत के रूप में लड़ना चाह रही है
हरिहर स्वरूप - 2018-03-26 09:20
कांग्रेस के सभी पूर्ण अधिवेशन सत्र लोगों को कुछ न कुछ खास संदेश भेजता रहा है। जब कांग्रेस ने अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करते हुए जून 1985 में बॉम्बे में अपना शताब्दी साल का सम्मेलन किया था, जो उस समय राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थे और प्रधानमंत्री भी। उन्होंने अपना प्रसिद्ध ‘शक्ति के दलाल’ वाला भाषण दिया। उस समय कांग्रेस भारत की राजनीति में अपने शीर्ष पर थी। उसे लोकसभा चुनाव मे तब 400 से अधिक सीटें मिली थीं। अधिकांश राज्यों में सरकार भी तब उसकी ही थी।