राज्यसभा चुनावों के बाद बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन 2019 तक जारी रहेगा। उनके इस बयान को बहुत महत्व दिया जा रहा है। मायावती ने कहा कि गठबंधन भाजपा को केंद्र की सत्ता में आने से रोकने का काम करेगा।

सपा और कांग्रेस के समर्थन के बावजूद राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार की हार के बाद भाजपा उम्मीद कर रही थी कि मायावती इसके लिए अखिलेश यादव और कांग्रेस को दोषी ठहराएंगीं। लेकिन भाजपा नेतृत्व को सदमा देते हुए मायावती ने न केवल सपा और कांग्रेस की प्रशंसा की और उनके उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया बल्कि यह भी कहा कि वे 1995 के गेस्ट हाउस प्रकरण को भूल जाने के लिए तैयार हैं।

गौरतलब हो कि जून 1995 में, मायावती लखनऊ में वीआईपी अतिथिगृह में घंटांे बिताने के लिए मजबूर हों गई थीं, क्योंकि समाजवादी पार्टी के कथित गुंडे उनकी जान के पीछे पड़े हुए थे। उस घटना के सिर्फ एक दिन पहले ही उनकी पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन तोड़ा था। गेस्टहाउस प्रकरण के बाद, उन्होंने भाजपा की मदद के साथ सरकार बनाया था।

अखिलेश यादव ने मायावती के को खश रखने के लिए राजनेता और स्वतंत्र विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया द्वारा पार्टी की उम्मीदवार जया बच्चन को समर्थन देने लिए शुक्रिया अदा करते हुए जो ट्विट किया था, उसे हटा लिया।

अब विपक्षी दलों को यह अहसास हो गया है कि जब तक वे एकजुट न हों, तब तक सत्ता में आने से भाजपा को रोकना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव होगा। भाजपा केंद्र में 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई ही इसीलिए, क्योंकि 89 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अपने सहयोगी दल सहित 73 सीटों पर विजय हासिल कर ली थी।

गौरतलब है कि इस बार समाजवादी पार्टी ने छोटे दलों के साथ गठबंधन किया, जिसने गोरखपुर और फूलपुर में उसके उम्मीदवारों को जीत दिलाई। निषाद पार्टी और पीस पार्टी के साथ गठबंधन ने एमबीसी और मुसलमानों का समर्थन पाने में मदद की। छोटे दलों के साथ सपा और बसपा का गठबंधन मुस्लिम मतों को बंटने से रोकेगा।

राज्य सभा के चुनाव के बाद आरएलडी के अध्यक्ष अजीत सिंह ने तुरंत अपने पार्टी के विधायक के खिलाफ कार्रवाई की, क्योंकि वह क्रॉसवोटिंग में शामिल पाए गए थे। अपने उम्मीदवार की हार के बाद मायावती आरएलडी की आलोचना कर रही थी, क्योंकि इसके विधायक क्रॉस वोटिंग में शामिल थे। इसी तरह निषाद पार्टी ने भी अपने विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ क्रॉस वोटिंग करने के लिए कार्रवाई की।

इस समय सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरएलडी के अध्यक्ष अजीत सिंह और निषाद पार्टी के संजय निषाद बीएसपी को नाराज करना नहीं चाहते हैं, बल्कि उन्हें खुश रखना चाहते हैं, क्योंकि वे बीजेपी का मुकाबला करने के लिए एक बड़े गठबंधन की तलाश में हैं और वह बड़ा गठबंधन उत्तर प्रदेश में बसपा के बिना संभव नहीं है। कैराना लोकसभा क्षेत्र में भी उपचुनाव होना है और वह क्षेत्र अजित सिंह की आरएलडी के प्रभाव का क्षेत्र है। मायावती तो अपनी पार्टी का उम्मीदवार उपचुनाव मे खड़ा करेंगी नहीं और अजित सिंह चाहेंगे कि वह (मायावती) फूलपुर और गोरखपुर की तरह कैराना में उनके उम्मीदवार का समर्थन करें।

2019 में लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के संबंध में मायावती द्वारा की गई घोषणा के बाद सपा और बसपा के रैंक और फाइल में बहुत उत्साह है। विपक्षी नेता राम गोविंद चैधरी के अनुसार आगामी आम चुनावों में मायावती को प्रधानमंत्री और अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी की जा रही है। (संवाद)