अभी हाल ही में मध्यप्रदेश के प्रभारी और दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने भोपाल में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में चुनावी रणनीति बनाई। उस रणनीति के तहत मध्यप्रदेश में ‘‘बदलेंगे मध्यप्रदेश’’ अभियान चलाया जा रहा है। इसकेे तहत प्रदेश के सभी 42 हजार मतदान केन्द्रों तक पार्टी जाएगी। किसान बचाओ, बदलाव लाओ यात्रा से किसानों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। भोपाल में भी एक बड़ी रैली की योजना है। 42 हजार मतदान केन्द्रों पर मंडल अध्यक्ष बनाना और उनके माध्यम से डोर टू डोर अभियान चलाना आप के एजेंडे में है। सभी लोकसभा क्षेत्रों में पोहा चैपाल आयोजित कर जनता की राय लेने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसे चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल करने की बात की जा रही है। पार्टी के राज्य संयोजक आलोक अग्रवाल का कहना है कि भ्रष्टाचार, अपराध एवं चरित्रहीनता के आरोप वाले लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा और जुलाई तक सभी 230 विधानसभाओं पर प्रत्याशी घोषित कर दिया जाएगा। प्रत्याशी चयन प्रक्रिया की जिम्मेदारी पार्टी की वरिष्ठ नेता चित्तरूपा पालित को दी गई है।

आम आदमी पार्टी ने किसान बचाओ, बदलाओ लाओ यात्रा की शुरुआत मंदसौर की पिपलिया मंडी से शुरू की। यहां पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से 6 किसानों की मौत हो गई थी। इस यात्रा में आप के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी शामिल हुए। इस यात्रा को शुरू करने से पहले इंदौर में पार्टी ने पोहा चैपाल भी लगाई। पोहा चौपाल के दौरान नाश्ते पर लोगों से चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि पोहा मालवा क्षेत्र का प्रसिद्ध नाश्ता है, जिसे पूरे मध्यप्रदेश में पसंद किया जाता है। इन यात्राओं एवं चैपालों पर आप नेता भ्रष्टाचार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बदहाल स्थिति, महिलाओं के खिलाफ अपराध, किसानों की खराब स्थिति एवं महंगी बिजली जैसे मुद्दे पर प्रदेश सरकार के साथ-साथ केन्द्र सरकार को भी घेर रहे हैं।

मध्यप्रदेश में भाजपा एवं कांग्रेस के अलावा अन्य दल प्रदेश स्तर पर कभी भी मजबूत स्थिति में नहीं रहे हैं। चंबल एवं बघेलखंड में बहुजन समाज पार्टी मजबूत रही है। समाजवादी पार्टी की उपस्थिति बुंदेलखंड के इलाके में रही है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने महाकौशल में अपनी शक्ति दिखाई थी। लेकिन ये दल प्रदेश में कभी तीसरी शक्ति नहीं बन पाए। इनमें बिखराव भी होता रहा और दूसरे दलों में पलायन भी। प्रदेश में 2003 से ही कांग्रेस कमजोर है और भाजपा संगठनात्मक रूप से मजबूत होती गई। साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की लोकप्रियता भी बढ़ती गई। इन परिस्थतियों में प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों में राजनीतिक बदलाव की संभावनाएं कमजोर पड़ गई थी।

प्रदेश में भाजपा पिछले 15 सालों से काबिज है। प्रदेश में ’मिशन 2018’ में जुटी भाजपा को एंटी इनकम्बेंसी का बड़ा खतरा सता रहा है। भाजपा की संगठनात्मक सक्रियता भी कम हुई है। अब जब राजनीतिक बदलाव की संभावनाएं दिख रही है, तब एक ओर कांग्रेस अपनी सक्रियता दिखा रही है, तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी अपनी संभावनाओं को विस्तार दे रही है। अगले दो-तीन महीनों में प्रदेश के राजनीतिक फलक पर आप की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि क्या वह आगामी विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण शक्ति होगी? (संवाद)