इस संवाददाता के साथ बातचीत के दौरान कई भाजपा सांसदों ने आशंका व्यक्त की कि मतदाताओं का सामना करना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही सरकार ने कार्रवाई की। दरअसल आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, वह भी तब जब उच्च न्यायालय ने इसके लिए निर्देश जारी किए थे। अदालत ने तो यहा तक कह डाला कि राज्य में कानून-व्यवस्था का पूरा पतन हो चुका है।

बीजेपी के नेताओं और डॉक्टरों की मिलीभगत से पुलिस हिरासत में ही पीड़ि़ता के पिता को मार डाला गया था और फिर अस्पताल में फेंक दिया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उतना कुछ होने के बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस अभियुक्त विधायक कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार करने से बचती रही।

जिस तरीके से प्रधान सचिव (गृह) अरविंद कुमार और डीजीपी ओपी सिंह ने कुलदीप सेंगर द्वारा प्राप्त कई पुरस्कारों का उल्लेख किया, वह बहुत ही शर्मनाक था, हालांकि सेंगर सामूहिक बलात्कार मामले में मुख्य आरोपी था। भारतीय जनता पार्टी अब विपक्षी पार्टियों के साथ ही जनता की ओर से लगातार हमले का सामना कर रही है।

अल्पसंख्यक समुदाय के निर्दोष व्यक्तियों की भी अपराधियों से मुठभेड़ के नाम पर हत्या की जा रही है, जिसके कारण भाजपा सांसद परेशान हैं, क्योंकि उन्हें जल्द ही लोकसभा चुनाव में जनता का सामना करना है।

ऐसे समय जब पूरा देश उन्नाव में सामूहिक बलात्कार और जम्मू की कठुआ घटना के बारे में बात कर रहा है, योगी सरकार स्वामी चिन्मयानंद से जुड़े मामले वापस ले रही है। गौरतलब हो कि स्वामी चिन्मयानंद बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे थे। लगता है कि यह पर्याप्त नहीं था, एक और बीजेपी विधायक ने अपनी टिप्पणी से पार्टी को शर्मिंदा किया है कि तीन बच्चों की मां से कौन बलात्कार करेगा।

उन्नाव की अपमानजनक घटना से योगी आदित्यनाथ की छवि को जबर्दस्त झटका लगा है। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में भाजपा के एक वर्ग द्वारा देखे जा रहे थे। वे पार्टी का हिन्दुत्ववादी चेहरा थे और देश के दूसरे राज्यों में चुनाव अभियान पर निकला करते थे। अब चुनाव अभियानों में उनकी उपस्थिति नकारात्मक प्रभाव ही पैदा करेगी और उससे पार्टी को नुकसान ही होगा।

भाजपा सांसदों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते पार्टी के लिए अगला लोकसभा चुनाव लड़ना आत्मघाती होगा। गोरखपुर और फूलपुर में दो महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव पार्टी पहले ही हार चुकी है। हाल ही में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की यात्रा और मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी बातचीत योगी मंत्रालय में बड़े पैमाने पर फेरबदल के रूप मेें दिख सकती है, लखनऊ के राजनैतिक हलकों में ऐसा माना जा रहा है। (संवाद)