यह एक बहुत ही अच्छी शुरुआत है और किसी भी रेलमंत्री द्वारा किया गया एक ऐतिहासिक फैसला है। भारतीय देश की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है। यह जान और माल को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा कर देश के विकास में योगदान करता रहा है, लेकिन अब उसने देश के विकास का एक ऐसा गैर पारंपरिक रास्ता तैयार किया है, जिससे देश के विकास में रेल की भूमिका और भी बढ़ जाएगी।
विद्यालय खोलने और अस्पताल बनाने के साथ साथ अन्य अनेक परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी के कारण रेल को अपने विस्तार के लिए सिर्फ अपने संसाघनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अपने संसाघनों पर निर्भरता के कारण रेल को यात्री किराए और माल भाड़े में वृद्घि जैसे उपाय करने पड़ते हैंए जिनसे न केवल लोगों का शोषण बढ़ता है, बल्कि जिसके कारण देश की अर्थव्यवसथा पर भी बुरा असर पड़ता है। अतिरिक्त संसाघन जुटाने के लिए कुझ लोग तो रेलवे को अपनी फालतू जमीन की बिर्की तक की सलाह दे रहे थे, लेकिन ममता बनर्जी ने रेल की संपत्तियों के बूते निजी क्षेत्र से पूंजी आकर्षित करने की नीति बनाई है, जिसके कारण रेल की अपन संपत्ति पर कब्जा बरकरार रहेगा।
यात्री किराए और माल भाड़े में वृद्धि नहीं किया जाना रेलमंत्री का एक साहसिक कदम है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। लोग महंगाई से पहले से परेशान हैं। महंगाई की चपेट में अब निम्न मध्य वर्ग से ऊपर का तबका भी आने लगा है। चीनी, अनाज, दूध, तेल से लेकर बस यात्राएं जक महंगी होती जा रही हैं। इस माहौल में रेल का किराया नहीं बढ़ाकर रेलमंत्री ने महंगाई के एक और दंश से लोगों को मुक्त रखने का काम किया है।
माल भाड़े में वृद्धि नहीं किया जाना एक बहुत बड़ा निर्णय है। माल की ढुलाई महंगी होने से माल भी महंगा होने लगता है। जब चौतरफा महंगाई बढ़ रही हो और उसी बीच रेल से माल की ढुलाई भी महंगी हो जाए तो महंगाई और भी बढ़ जाती है। थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर मुद्रस्फीति का दर 8 फीसदी से भी ऊपर हो गया है। उसके 10 फीसदी से ऊपर जाने के खतरे बढ़ गए हैं। खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति की दर तो 18 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गई है। इस माहौल मेे माल भाड़ा बढ़ाना महंगाई को और भी बढ़ाने का सबब होता। जाहिर है रेलमंत्री ने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी की परिचय देते हुए महंगाई पर लगाम लगाने वाला बजट पेश किया है।
या़त्री किराए बढ़ाए नहीं गए हैं, उलटे ई टिकटिंग को सस्ता कर दिया गया है। रेल मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि देश के सभी पंचायतों में ई टिकटिंग के काउंटर खोले जाएंगे। टिकट काउंटर नजदीक आ जाने के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग ई टिकटिंग का सहारा ले रहे हैं। उस पर सरचार्ज कम होने का लाभ करोड़ों लोगों को हासिल होगा। जाहिर है ई टिकटिंग का इस्तेमाल कर यात्रा करने वाले लोगों की यात्रा इस रेल बजट के बाद और भी सस्ती हो गई है। माल भाड़े को भी अनाज और किरासन की ढुलाई के लिए सस्ता कर दिया गया है। 100 रुपए प्रति बैगन माल भाड़े की कमी भले सांकेतिक लगती हो, लेकिन इससे महंगाई के खिलाफ रेलमंत्री की प्रतिबद्धता का संकेत मिलता है।
देश की आबादी बढ़ रही है और रेल से यात्रा करने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। जाहिर है, देश में हर साल ज्यादा से ज्यादा रेलगाड़ियों की जरूरत बढ़ रही है। इसलिए प्रत्येक रेलमंत्री को नई रेलगाड़ियां चलानी पड़ती हैं। ममता बनर्जी ने भी इस बजट में 117 नई रेलगाड़ियों के चलाने की फैसला किया है। ज्यादातर रेलगाड़ियां पूर्वी भारत से ताल्लुकात रखती हैं। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि पूर्वी भारत में आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है।
पश्चिम बंगाल तो देश की सबसे घनी आबादी वाला प्रदेश है। पूर्वी भारत में यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है। वहां से रेल को सबसे ज्यादा फायदा भी हो रहा है। जाहिर है, वहां ज्यादा से ज्यादा रेलबाड़ियां भी चलनी चाहिए। पिछले 15 सालों में बिहार ने तीन रेलमंत्री दिए और उन्होंने रेल यात्रा पर बिहार के लोगों के बढ़ते दबाव के मद्देनजर वहां से शुरू होने वाली अनेक रेलगाड़िया चलाईं। ममता बनजीै ने पश्चिम बंगाल के यात्रियो को ध्यान में रखते हुए अनके रेलगाड़िया चला दी हैं। जहां रेल यात्रा की मांग ज्यादा हो, वहां ज्यादा गाड़ियां चलाई जाय। आर्थिक विवेकशीलता का तकाजा तो यही है।
भारत में राष्ट्र निर्माण में रेल की सबसे बड़ी भूमिका रही है। सच कहा जाए तो रेल का विकास और भारत में आधुनिक अर्थों में राष्ट्र का निर्माण साथ साथ हुआ है। बजट में प्रति साल 1000 किलामीटर की नई रेल पटरियों के निर्माण की घोषणा राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को और भी नई बुलंदी पर ले जाने का फरमान है। रेलमंत्री का विजन 2020 देश के सभी भागों को रेलवे से जोड़ने का संकल्प व्यक्त करता है। रेल यातायात का सस्ता और कम से कम प्रदूषण फेलाने वाला माध्यम है। यह रोड परिवहन से अनेक मामलों में बेहतर है। उसकी अपेक्षा उसमें कम ऊर्जा की खपत होती है। इसलिए देश के सभी हिस्से को रोड की अपेक्षा रेल से जोड़ने का मतलब है तेज विकास के साथ देश को जोड़ना।
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का भी प्रयास रेलमंत्री ने अपने बजट में किया है। महिलाओं के लिए अलग से कई गाड़ियां चलाने का फैसला किया गया है। महिला वाहिनी की व्यवस्था भी उक अनोखा कदम है। रेल में काम करने की इच्छुक महिला उम्मीदवारों को निशुल्क आवेदन करने की सुविधा प्रदान कर दी गई है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातिए अन्य पिछड़े वर्ग और आर्थक रूप से कमजोर सभी लोगों का रेलवे ने यह सुविधा उपलब्ध करा दी है। जाहिर है यह रेल बजट समाज के सभी तबकों का ख्याल रखता है।
ममता बनर्जी द्वारा पेश किया गया यह बजट अनेक मामलों में क्रांतिकारी बजट है। यह सिर्फ तात्कालिक हितो का ख्याल नहीं रखता, बल्कि इसकी नजर भविष्य पर भी है। अपने मुख्य कायों के अलावा अपनी संपत्ति का इस्तेमाल कर यह अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरो के विकास की ओर भी कदम बढ़ाने वाला बजट है और अपने प्रसार के लिए यात्रियों की जेब पर कम बल्कि अन्य स्रोतों पर इसकी नजर है। (संवाद)
भारत
ममता की रेल बजट: वर्तमान ही नहीं, भविष्य पर भी नजर
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-02-25 10:47
ममता बनर्जी द्वारा पेश किए गए दूसरे बजट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पहली बार किसर रेलमंत्री ने रेल के संशाधनों को राष्ट्रीय संसाधन मानते हुए उनका इस्तेमाल सिर्फ लोगों को यात्रा करवाने और माल की ढुलाई तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि देश के अन्य सेक्टरों के विकास के लिए भी समर्पित कर दिया है। ऐसा करते समय उन्होंने यह घ्यान रखा है कि रेल की संपत्ति निजी हाथों में नहीं जाए बल्कि निजी क्षेत्र रेल के साथ भागीदारी कर परियोजनाओं को आगे बढ़ाए और पूंजी लगाकर मुनाफे में भागीदारी करे।