इस तथ्य को लेकर भाजपा खेमें में चिंता तो जताई जा रही है पर ऊपरी मन से मन को तसल्ली देकर यह भी कहा जा रहा है कि कभी - कभी ऊंची छलांग लगाने के लिये पीछे भी लौटना पड़ता है। इस तरह के उभरते हालात में निश्चित तौर पर भाजपा के कार्यकाल के दौरान आम जनता से किये गये वायदें न पूरा कर पाने एवं आमजनता के पैमाने पर खरा न उतरने जैसी स्थितियां शामिल हो सकती है जहां देश भर में भाजपा के खिलाफ लामबंध हो रहे विपक्षी एकता को बल स्वतः ही मिलने लगा है।

इस एकता के आगे वर्तमान भाजपा के गढ़ में सेंध लगती जा रही है। अभी हाल ही में भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों में सारी की सारी सीटें भाजपा के हाथ से निकलकर विपक्षी एकता के पास चली गई । नरेन्द्र मोदी एवं अमीत शाह के गृृह प्रदेश गुजरात राज्य के विधान सभा चुनाव के परिणाम संतोषजनक नहीं रहे। कर्नाटक में उभरी स्थितियां भी भाजपा के प्रतिकूल ही रही जहां सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भाजपा को अंत में मात खानी पड़ी एवं विपक्षी एकता की सरकार गठित हुई।

फिलहाल भाजपा के अन्दर ही अन्तःकलह उभर कर सामने आने लगा है जहां भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा सरकार के कार्यकाल पर अंगुलियां उठने लगी है । जहां भाजपा खेमें से ही यह आवाज आने लगी है कि आगामी चुनाव नेहरू - गांधी परिवार के खिलाफ होगा या आमजनता वर्तमान सरकार के कार्यकाल को मापदंड मानकर अपना निर्णय देगी ।

हर पैमाने पर वर्तमान सरकार विफल नजर आ रही है। कालेधन विदेश से वापिस लाने की बात करने वाली सरकार देश में ही कालेधन पर लगाम नहीं लगा सकी । चंदे के नाम सर्वाधिक उगाही की बात भाजपा के नाम ही उछलकर सामने आने लगी है जहां उसके चंदे में पहले से 9 गुणा अधिक की वृृद्धि बताई जा रही है। इस तरह के हालात वर्तमान सरकार की निष्पक्षता पर सवाल अवश्य उठाते नजर आ रहे है। सरकार की एक देश एक टैक्स की नीति के तहत जीएसटी विफल ही रही जहां आम आदमी को कोई राहत नहीं मिली।

सरकार की नोटबंदी योजना भले भाजपा के लिये लाभप्रद रही हो, आमजन के लिये कष्ट कारक ही रहीं। सर्वाधिक विदेश यात्रा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी की रही पर एक भी उद्योग आजतक इस सरकार के कार्यकाल में नहीं आ सके जिससे युवाओं को रोजगार देने की सरकार की घोषणाएं मात्र थोथी ही साबित हुई। किसानों की कर्ज माफी एवं फसलों को उचित मुवावजा देने एवं बाजार पर नियंत्रण करने के मामले में भी सरकार विफल ही रही जिससे हर वर्ग में सरकार के प्रति आक्रोश उभरता नजर आने लगा है। वर्तमान में पेट्रोल एवं डीजल में हो रही वृृद्धि को लेकर आम जनता सरकार के खिलाफ लामबंद होती दिखाई दे रही ळें

इस तरह के उभरते हालात के बीच वर्ष के अंतराल में भाजपा शासित देश के तीन प्रमुख राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छŸाीसगढ में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। इन राज्यों में वर्तमान सरकार के खिलाफ जनादेश साफ - साफ नजर आ रहा है फिर भी देश के भाजपाइयों को नरेन्द्र मोदी के जादुई नेतृृत्व में सफलता की चिंगारी नजर आ रही है। वर्ष 2014 के चुनाव में उभरते मोदी नेतृृत्व में भाजपा के हर जगह उड़ते पंख वर्ष 2018 के प्रारम्भ से ही नीचे गिरते नजर आ रहे है। इस तरह के परिवेश में होने वाले आगामी चुनाव निश्चित तौर पर भाजपा के लिये गंभीर चुनौती है जहां एक तरफ सरकार के कार्यकाल से उभरा जनक्रोश है दूसरी ओर भाजपा के खिलाफ लामबंद हो रही विपक्षी एकता। इस तरह के हालात के बीच निश्चित तौर पर वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के लिये एक बड़ी चुनौती है।(संवाद)