1957 मध्य प्रदेश राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के बाद देश के राजनीतिक मानचित्र पर अस्तित्व में आया। तब से लेकर 1990 तक कांग्रेस ने दो अपवादों को छोड़़कर यहां अपनी सरकार चलाई। पहली बार 1967 में जब डीपी मिश्रा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को दलबदल के माध्यम से उखाड़ फेंका गया और 1977 में जनता पार्टी ने सत्ता संभाली थी। 1990 में बीजेपी ने अपनी ताकत पर सत्ता संभाली। लेकिन 1993 में कांग्रेस फिर सत्ता में आई और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने और दस साल तक शासन किया। 2003 में कांग्रेस चुनाव हार गई और बीजेपी ने उमा भारती के नेतृत्व में सरकार बनाई। उसके बाद बीजेपी ने 2008 और 2013 में लगातार दो चुनाव जीते और इस साल के अंत में निर्धारित चुनावों में तीसरी बार वापसी की उम्मीद कर रही ळें
कांग्रेस फिर से वापसी की उम्मीद कर रही है और संभावना है कि यह बीएसपी के साथ तालमेल कर सकती है। संकेत मिल रहे हैं कि पर्दे के पीछे गठबंधन या तालमेल की बात चल रही हैं। हालांकि, दोनों पक्षों ने इस तरह के कदम से इंकार कर दिया है। दोनों पक्षों के प्रवक्ताओं ने ऐसी संभावनाओं से इंकार कर दिया। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन या तालमेल के बारे में सभी मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए कांग्रेस और बीएसपी ने मीडिया को बताया कि संभावित गठबंधन पर भी कोई चर्चा शुरू नहीं हुई है।
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ दोहरा रहे हैं कि पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ चुनाव से पहले गठबंधन के लिए तैयार है ताकि भाजपा विरोधी वोट-बैंक को बंटने से रोका जा सके। लेकिन उन्होंने बार-बार यह भी स्पष्ट किया कि गठबंधन के मोर्चे पर अभी तक कुछ भी ठोस नहीं हुआ है।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया कमेटी के चेयरमैन माणक अग्रवाल के अनुसार, गठबंधन का फैसला उच्चस्तरीय स्तर के स्तर पर किया जाएगा और एआईसीसी अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव से पहले निर्णय का संकेत दिया है। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि गठबंधन पर चर्चा भी शुरू नहीं हुई है।
राज्य बीएसपी अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद अहिरवार ने नवंबर विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस-बीएसपी के बीच किसी तरह की बातचीत होने के प्रति अपनी अनभिज्ञता दिखाई। उन्होंने कहा कि गठबंधन का सवाल मायावती द्वारा हल किया जाएगा, लेकिन अब तक कोई उस दिशा में प्रगति नहीं हुई है। बीएसपी की 230 सदस्यीय विधानसभा में चार सीटें हैं और 2008 और 2013 में अकेले चुनाव लड़ती रही हैं। उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी सभी 230 सीटों में उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। बीएसपी ने उत्तर प्रदेश के निकट चंबल और बुंदेलखंड इलाकों में फैली 60 से ज्यादा सीटों पर प्रभाव डाला है। 2008 के विधानसभा चुनावों में इसे 8.9 प्रतिशत वोट मिले। 2013 में पार्टी को 6.2 प्रतिशत वोट मिले।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी जन आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत की घोषणा की है, जो उज्जैन से शुरू होगी और उन्हें राज्य के लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में ले जाएगा। मंत्रियों, सांसदों और विधायकों समेत कई बीजेपी नेता मोदी और चैहान सरकारों की उपलब्धियों के बारे में लोगों को बताने के लिए राज्य का दौरा कर रहे हैं। लेकिन भोपाल पहुंचने वाली रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि जहां भी वे जाते हैं वहां नेताओं को शत्रुतापूर्ण भीड़ का सामना करना पड़ रहा है। जिन लोगों ने विरोध का सामना किया उनमें सुरेंद्र पटवा, सत्य प्रकाश मीना, सांसद फगगन सिंह कुलस्ते, अनुप मिश्रा (अटल बिहारी वाजपेयी के भतीजे), ज्ञान सिंह और विधायक शैलेन्द्र जैन और रामेश्वर शर्मा शामिल हैं। एक कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इन घटनाओं से पता चलता है कि बीजेपी पहले से ही लोगों का विश्वास खो चुकी है। (संवाद)
कांग्रेस और बसपा के बीच चुनावी तालमेल की बातचीत नहीं
दोनों पार्टियां कदम फूंक फूंक कर रख रही हैं
एल एस हरदेनिया - 2018-06-22 12:59
भोपाल: मध्यप्रदेश में अब तक दो-पक्षीय चुनावी मौहाल रहा है। लेकिन अब इस बात को लेकर हो रही है कि क्या 2018 विधानसभा चुनावों में स्थिति क्या बदल जाएगी।